Wednesday, April 24, 2024
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बंगाल विधानसभा से आउट हुई कांग्रेस, एकमात्र विधायक भी TMC में हुआ शामिल

बिस्वास मुर्शीदाबाद जिले के सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में वाम मोर्चा के समर्थन से हाल ही में विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। अब उनके टीएमसी में शामिल होने के बाद राज्य में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं रह गया है।

Sudhanshu Gaur Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: May 29, 2023 19:02 IST
West Bengal, Trinamool Congress, Congress, Mamata Banerjee, Abhishek Banerjee, Byron Biswas- India TV Hindi
Image Source : TWITTER कांग्रेस का एकमात्र विधायक भी TMC में हुआ शामिल

कोलकाता: देश की राजनीति में पश्चिम बंगाल काफी महत्व रखता है। यहां इस समय ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। साल 2021 में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने टीएमसी को सत्ता से बेदखल करने का प्रेस तो खूब किया, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुई। यहां कांग्रेस भी कई दशकों से सत्ता में आने के लिए बेचैन है, लेकिन वह भी सफल नहीं हो पा रही है। इसी बीच प्रदेश में पार्टी को बड़ा झटका लगा है। यहां उसका एकमात्र विधायक भी टीएमसी में शामिल हो गया है।   

सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में हुए थे निर्वाचित 

कांग्रेस से पार्टी से विधायक बायरन बिस्वास सोमवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। इस तरह 294 सदस्यीय सदन में कांग्रेस का अब कोई विधायक नहीं है। बिस्वास मुर्शीदाबाद जिले के सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में वाम मोर्चा के समर्थन से हाल ही में निर्वाचित हुए थे। सोमवार को तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बायरन बिस्वास को पार्टी में शामिल कराया था। इस अवसर पर विश्वास ने कहा कि उपचुनाव में उनकी जीत के पीछे कांग्रेस का कोई योगदान नहीं है।

मैं कांग्रेस के साथ कभी नहीं था- बिस्वास

बिस्वास ने कहा, मैं कांग्रेस के साथ कभी नहीं था। मैं कांग्रेस में होने के कारण सागरदिघी के लोगों के लिए काम नहीं कर सका। साथ ही, मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल ही एकमात्र पार्टी है जो सही मायने में बीजेपी का विरोध कर रही है। इसलिए, मैं तृणमूल में शामिल हो गया। केवल समय ही बताएगा कि क्या मैं ट्रेटर हूं।

बिस्वास ने आखिरकार सत्ताधारी दल के दबाव के आगे घुटने टेक दिए- कांग्रेस 

इस बीच, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बिस्वास ने आखिरकार सत्ताधारी दल के दबाव के आगे घुटने टेक दिए। चौधरी ने कहा, पहले उन्हें तृणमूल कांग्रेस द्वारा पैसे की पेशकश की गई। जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। यह तृणमूल की रणनीति है। पहले वे धन बल का उपयोग कर लोगों को लुभाने की कोशिश करते हैं, और यदि वह चाल विफल हो जाती है, तो वे धमकियां देने लगते हैं।

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