Saturday, April 20, 2024
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Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान के पंजशीर में होगी जंग? अहमद मसूद ने तालिबान के सामने सरेंडर करने से किया इनकार

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 23, 2021 20:09 IST
अफगानिस्तान के पंजशीर में होगी जंग? अहमद मसूद ने तालिबान के सामने सरेंडर करने से किया इनकार - India TV Hindi
Image Source : AP FILE PHOTO अफगानिस्तान के पंजशीर में होगी जंग? अहमद मसूद ने तालिबान के सामने सरेंडर करने से किया इनकार 

काबुल: अफगानिस्तान के 34 में से 33 प्रांतों पर तालिबानी लड़ाकों ने कब्जा कर लिया है। अब सिर्फ अफगानिस्तान का पंजशीर ही इकलौता प्रांत है, जहां पर तालिबान कब्जा करने की कोशिश में लगा है। अफगानिस्तान में पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद से तालिबान को पंजशीर में कड़ी टक्कर मिल रही है। मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के खिलाफ रणनीति बना ली है। जहां तालिबान ने अहमद मसूद को सरेंडर करने के लिए तय समयसीमा दी है, वहीं उन्होंने दो टूक ऐसा करने से इनकार कर दिया है।

अहमद मसूद ने सरेंडर करने से किया इनकार 

तालिबान द्वारा अल्टीमेटम दिए जाने के बाद अहमद मसूद ने कहा है कि वह सरेंडर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा है कि हमने सोवियत संघ की सेना से टक्कर ली है और अब तालिबान की सेना से ले रहे हैं। मसूद के पिता अहमद शाह मसूद भी अफगानिस्तान के एंटी तालिबान और एंटी सोवियत नेता थे। उन्होंने सोवियत संघ और तालिबान के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। तालिबान और अलकायदा ने साजिश रचकर अहमद शाह मसूद को 9/11 पर हुए हमले से ठीक पहले मार दिया था। इसके बाद उनके बेटे अहमद मसूद अब तालिबान को खत्म करने के लिए जी-जान से अपने पिता की तरह ही लगे हुए हैं। बता दें कि, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अफगानिस्तान की बड़ी आबादी तालिबान पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं कर रही है। काबुल एयरपोर्ट पर रोजाना भारी भीड़ इकट्ठी हो रही है, जो जल्द से जल्द देश छोड़कर निकल जाना चाहते हैं। तालिबान अफगानिस्तान के नागरिकों को देश में ही रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है।

पंजशीर प्रांत में तकरीबन 10 हजार की सेना तैनात

मसूद को पंजशीर की रहने वाली बड़ी आबादी साथ मिल रहा है। अहमद मसूद ने कहा कि तालिबान का विरोध करने वाले सरकारी बलों ने विभिन्न प्रांतों से रैली की और पंजशीर घाटी के गढ़ में जमा हो गए हैं। इससे पहले गुरुवार को प्रकाशित वॉशिंगटन पोस्ट के एक ओपिनियन पीस में उन्होंने पश्चिम से समर्थन की अपील भी की थी। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि तालिबान के साथ बातचीत विफल रहती है तो फिर युद्ध को किसी भी कीमत पर टाला नहीं जा सकता है। पंजशीर प्रांत में तकरीबन दस हजार की सेना तैनात कर दी गई है, जोकि तालिबानी लड़ाकों के साथ लोहा लेने के लिए पूरी तरह तैयार है।

तालिबान के साथ वार्ता का रास्ता खुला है- अहमद मसूद 

गौरतलब है कि, तालिबान के प्रवक्ता जबील्ला मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने पंजशीर प्रांत को घेरना शुरू कर दिया है। तालिबान ने दावा किया कि उसके लड़ाकों ने पंजशीर घाटी को कई दिशाओं से पूरी तरह से घेर लिया है। उन्होंने बातचीत के जरिए से पूरे मुद्दे का हल निकालने के लिए कहा है, साथ ही मसूद से सरेंडर करने की भी अपील की गई है। अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पंजशीर इकलौता ऐसा प्रांत है जहां तालिबान कब्जा नहीं कर सका है।

अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रहे अमरूल्ला सालेह ने ट्विटर पर लिखा कि तालिबान लड़ाके प्रांत के आसपास एकत्रित हो गए हैं। वर्ष 2001 में तालिबान को हटाने के लिए अमेरिका का साथ देने वाले 'नार्दर्न अलायंस' संगठन के दिवंगत कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने कहा कि उसके लड़ाके भी पंजशीर में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि ताकत से प्रांत पर कब्जा करने के किसी भी प्रतिरोध का उनके लड़ाके मुकाबला करेंगे लेकिन तालिबान के साथ वार्ता का रास्ता खुला है। तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा कि तालिबान की योजना पंजशीर के लोगों से बात करने की है। उन्होंने कहा, 'अभी तक तो वहां लड़ाई नहीं हो रही। हम पंजशीर के लिए शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहते हैं।' 

तालिबान ने 31 अगस्त ‘रेड लाइन’ को लेकर दी चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा कि वह लोगों को निकालने के अभियान को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने से इनकार नहीं करेंगे। इसी तारीख तक अमेरिकी सैन्य बलों की अफगानिस्तान से पूर्ण वापसी होनी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बाइडन से आग्रह करेंगे। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ‘स्काई न्यूज’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि 31 अगस्त ‘रेड लाइन’ है और अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी की समय सीमा बढ़ाना उकसावे का कदम होगा। काबुल हवाईअड्डे पर इस्लामिक स्टेट से संबंधित स्थानीय संगठनों द्वारा हमले का भी खतरा है। इस बीच काबुल से 120 किमी दूर उत्तर में बगलान प्रांत में स्वयं को ‘जन विद्रोह’ से जुड़ा बताने वाले लड़ाकों ने हिंदुकुश में अंदराब घाटी में तीन जिलों पर कब्जा करने का दावा किया। लेकिन तालिबान ने सोमवार को दावा किया कि उसने इन जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है। 

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