Sunday, April 28, 2024
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अफगानिस्तान के स्कूलों में छात्राओं के बिना नया शैक्षणिक सत्र शुरू, 10 लाख से अधिक लड़कियां प्रभावित

अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा का हाल बेहाल है। आलम ये है कि अफगानिस्तान के स्कूलों में लड़कियों के बिना ही नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो गई है। अफगान तालिबान का जोर मदरसों या धार्मिक स्कूलों पर है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: March 20, 2024 19:20 IST
अफगानिस्तान में छात्राएं (प्रतीकात्मक)- India TV Hindi
Image Source : AP अफगानिस्तान में छात्राएं (प्रतीकात्मक)

अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा को लेकर अफगान तालिबान के रुख से दुनिया वाकिफ है। अफगानिस्तान के विद्यालयों में बुधवार को लड़कियों के बिना नया शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो गई है। तालिबान ने छठी कक्षा से आगे की कक्षाओं में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी है। महिला शिक्षा पर रोक लगाने वाला अफगानिस्तान दुनिया का इकलौता देश है। संयक्त राष्ट्र समेत दुनिया के कई देश अफगान तालिबान के इस रुख को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। तालिबान ने 1990 के दशक में भी अफगानिस्तान पर शासन के दौरान लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी थी। 

महिला पत्रकारों से मांगी माफी

संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी के मुताबिक प्रतिबंध से 10 लाख से अधिक लड़कियां प्रभावित हुई हैं. एजेंसी का यह भी अनुमान है कि सुविधाओं की कमी और अन्य कारणों से तालिबान के कब्जे से पहले ही 50 लाख लड़कियां विद्यालय छोड़ चुकी थीं। तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत एक समारोह के साथ की जिसमें महिला पत्रकारों को शामिल होने की अनुमति नहीं थी। संवाददाताओं को भेजे गए निमंत्रण में कहा गया- ‘‘बहनों के लिए उपयुक्त जगह की कमी के कारण, हम महिला पत्रकारों से माफी मांगते हैं।’’ तालिबान के शिक्षा मंत्री हबीबुल्लाह आगा ने समारोह के दौरान कहा कि मंत्रालय ‘‘धार्मिक और आधुनिक विज्ञान की शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।’’ 

ऐसा करने से बचें छात्र 

तालिबान मदरसों या धार्मिक स्कूलों पर जोर दे रहा है। इससे अफगानिस्तान में बुनियादी साक्षरता समेत गणित या विज्ञान के बजाय इस्लामी शिक्षा को तवज्जो दी जा रही है। मंत्री ने छात्रों से ऐसे कपड़े पहनने से बचने का भी आह्वान किया जो इस्लामी और अफगान सिद्धांतों के विपरीत हों। तालिबान के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी ने कहा ‘‘देश के सभी दूरदराज के इलाकों’’ में शिक्षा का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। तालिबान ने पहले कहा था कि लड़कियों की शिक्षा जारी रखना इस्लामी कानून या शरिया की उनकी व्याख्या के खिलाफ है और स्कूल में उनकी वापसी के लिए कुछ शर्तों की आवश्यकता है। हालांकि, ये शर्तें क्या हैं, किस तरह की हैं इस बारे में स्थिति साफ नहीं हो पाई है. 

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