Sunday, April 28, 2024
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अफगानिस्तान से संघर्ष छिड़ने के बाद पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर हमला, 8 बंदूकधारी ढेर

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष तेज होने के बाद अज्ञात बंदूकधारियों ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर हमला कर दिया। इस हमले में पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में 8 बंदूकधारियों के मारे जाने की खबर है। बता दें कि पाकिस्तान के लिए ग्वादर रणनीतिक और महत्वपूर्ण बंदरगाह है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: March 20, 2024 20:56 IST
ग्वादर पोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP ग्वादर पोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष तेज होने के बाद अज्ञात बंदूकधारियों ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर हमला कर दिया। इस हमले में पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में 8 बंदूकधारियों के मारे जाने की खबर है। बता दें कि पाकिस्तान के लिए ग्वादर रणनीतिक और महत्वपूर्ण बंदरगाह है। जियो न्यूज ने बुधवार को बताया कि अज्ञात बंदूकधारियों ने पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह प्राधिकरण परिसर में गोलीबारी की। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों की जवाबी गोलीबारी में दो हमलावर मारे गये। 

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावरों ने सबसे पहला ग्वादर पोर्ट पर बम धमाके किए और फिर सुरक्षा अधिकारियों के साथ उनकी मुठभेड़ शुरू हो गई। बता दें कि ग्वादर बंदरगाह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का एक महत्वाकांक्षी हिस्सा है। इस क्षेत्र में दशकों से चले आ रहे अलगाववादी विद्रोह के बावजूद, चीन ने बलूचिस्तान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत भारी निवेश किया है, जिसमें ग्वादर का विकास भी शामिल है। यह बलूचिस्तान का खनिज समृद्ध क्षेत्र माना जाता है।

प्राकृतिक गैस और खनिज का भंडार है बलूचिस्तान

बलूचिस्तान प्रांत प्राकृतिक गैस से लेकर कोयला और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। मगर कम जनसंख्या घनत्व, पानी की किल्लत और बहुत खराब बुनियादी शिक्षा के साथ मानव संसाधन होने के बावजूद पाकिस्तान का सबसे वंचित क्षेत्र बना हुआ है। यहां के स्थानीय लोग ग्वादर के विकास को अपने संसाधनों के शोषण के रूप में देखते हैं। इसीलिए वह चीन का विरोध करते हैं। बलूचिस्तानियों का हमेशा कहना रहा है कि पाकिस्तान ने उनकी खनिज संपदा को चीन के हवाले कर दिया है।

ऐसे में उन्हें न्यायसंगत लाभ के बिना हाशिये पर जाने और विस्थापन का डर है। इस भावना ने पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), लश्कर ए-तैयबा, लश्कर ए-झांगवी, दाएश सहित विभिन्न जातीय-अलगाववादी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट और कट्टरपंथी धार्मिक आतंकवादी संगठनों की वृद्धि को बढ़ावा दिया है। 

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