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चीन ने फिर कोलंबो बंदरगाह भेजा अपना अनुसंधान पोत, भारत को जासूसी की चिंता; अमेरिका ने भी जताया खतरा

चीन ने श्रीलंका को कर्ज देकर उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों श्रीलंका के राष्ट्रपति चीन की यात्रा पर थे। इस दौरान चीन ने श्रीलंका की मदद का ऐलान करके अब उसका दोहन करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही चीन दूसरे देशों की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी खतरा बन रहा है।कोलंबो पोर्ट पर अपना अनुंसधान जहाज भेजा है

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Oct 25, 2023 09:00 pm IST, Updated : Oct 25, 2023 09:09 pm IST
चीन का अनुसंधान पोत। - India TV Hindi
Image Source : AP चीन का अनुसंधान पोत।

चालबाज चीन की एक हरकत ने फिर से भारत और अमेरिका समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। चीन ने दोबारा अपना एक अनुसंधान पोत श्रीलंका के कोलंबो एयरपोर्ट भेजा है। भारत हमेशा से चीन के जासूसी और अनुसंधान पोत का विरोध करता रहा है। भारत को शक है कि चीन इसके जरिये भारतीय सेना और संबंधी गतिविधियों की जासूसी करता है। इससे पहले चीन श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर भी अपना जासूसी जहाज भेज चुका है। भारत के कड़े विरोध के बाद श्रीलंका के कहने पर चीन ने इसे वापस बुलाया था। एक बार फिर चीन वही हरकत दोहरा रहा है। 
 
जानकारी के अनुसार चीन का एक अनुसंधान पोत बुधवार को श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अमेरिका ने इस जहाज की यात्रा को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंता जाहिर की थी। श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘शी यान 6 को ईंधन फिर से भरने के लिए (कोलंबो) बंदरगाह में प्रवेश की अनुमति दी गयी थी।’’ सूत्रों के अनुसार भारत द्वारा उठाई गई सुरक्षा चिंताओं के कारण श्रीलंका ‘शी यान 6’ के आगमन की अनुमति देने में देरी कर रहा था। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह जहाज कोलंबो बंदरगाह पर कितने समय तक रहेगा।
 
श्रीलंका के राष्ट्रपति की चीन यात्रा के बाद बना था शेड्यूल
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह चीन की यात्रा की थी। श्रीलंका ने अगस्त में घोषणा की थी कि चीन का अनुसंधान पोत श्रीलंका की ‘नेशनल एक्वेटिक रिसोर्स रिसर्च एंड डवलपमेंट एजेंसी’ के साथ साझेदारी में समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए अक्टूबर में यहां पहुंच सकता है। यह जहाज 1,115 डीडब्ल्यूटी की क्षमता वाला अनुसंधान या सर्वे पोत है। अमेरिका ने चीन के अनुसंधान पोत की श्रीलंका यात्रा के कार्यक्रम को लेकर पिछले महीने द्वीपीय देश से चिंता जताई थी। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी से मुलाकात करने वाली अमेरिकी राजनयिक विक्टोरिया नूलैंड ने 'शी यान 6' की यात्रा के बारे में कथित तौर पर चिंता जताई थी। चीन नियमित आधार पर अपने अनुसंधान या निगरानी जहाजों को श्रीलंका भेजता रहता है। श्रीलंका में चीनी जहाजों के आने पर भारत चिंता जताता रहा है। (भाषा) 
 
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