Thursday, April 25, 2024
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पर्यावरण के लिहाज से G-20 में ये दो मुद्दे होंगे भारत के लिए अहम, पूरी दुनिया को होगा फायदा

जलवायु परिवर्तन से पैदा हुए पर्यावरण के खतरे के मद्देनजर जी-20 सम्मेलन में भूमि संरक्षण और संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल भारत के लिए दो अहम मुद्दे होंगे। भूमि क्षरण, जैव विविधता की हानि, समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव व कोरल रीफ का संरक्षण, संसाधानों का अति उपयोग और कूड़े के निस्तारण में खामी वे अहम पर्यावरण चिंताएं हैं।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: February 06, 2023 23:12 IST
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत- India TV Hindi
Image Source : AP नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत

नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन से पैदा हुए पर्यावरण के खतरे के मद्देनजर जी-20 सम्मेलन में भूमि संरक्षण और संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल भारत के लिए दो अहम मुद्दे होंगे। भूमि क्षरण, जैव विविधता की हानि, समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव व कोरल रीफ का संरक्षण, संसाधानों का अति उपयोग और कूड़े के निस्तारण में खामी वे अहम पर्यावरण चिंताएं हैं, जिनके समाधान की कोशिश भारत की अध्यक्षता में जी-20 की प्राथमिकता होगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साहित करेगा और जी-20 में लचीले विकास प्रतिमान को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य जी-20 की अध्यक्षता करने के दौरान जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए एक एकीकृत, व्यापक और सर्वसम्मति से संचालित दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है। अधिकारियों ने बताया कि जलवायु वित्त के मुद्दे को भी चर्चा में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत जी-20 की अध्यक्षता के दौरान ‘‘भूमि क्षरण से निपटने के लिए जी-20 मसौदा’ स्वीकार करने और ‘‘जी-20 ऑनलाइन ज्ञान और समाधान आदान-प्रदान मंच’ के विकास को प्रोत्साहित करेगा। अधिकारियों ने बताया कि भारत समुद्री परिसंपत्ति का सह लाभ के साथ बेहतरीन प्रबंध, स्थायी विकास लक्ष्य 14 के लिए वित्त व्यवस्था करने के लिए ‘समुद्र 20 संवाद’ करना चाहता है। इसका उद्देश्य समुद्र, सागर और समुद्री संसधान का संरक्षण और स्थायी इस्तेमाल है।

बेंगलुरु में 9 फरवरी से पहली बैठक

शेरपा ट्रैक के अधीन गठित 13 कार्य समूहों में से एक पर्यावरण व जलवायु स्थायित्व कार्यसमूह फरवरी और मई के बीच चार बार बैठक करेगा। पहली बैठक बेंगलुरु में नौ से 11 फरवरी के बीच होगी, दूसरी बैठक गांधीनगर में 27 से 29 मार्च के बीच प्रस्तावित है, तीसरी बैठक मुंबई में 21 से 23 मई के बीच होगी और चौथी बैठक के लिए चेन्नई को चुना गया है जहां पर 26 और 27 मई को समूह की बैठक प्रस्तावित है। समूह की मंत्रिस्तर की बैठक 28 जुलाई को चेन्नई में आयोजित करने की योजना है। अतिरिक्त सचिव रिचा शर्मा ने कहा, ‘‘भूमि क्षरण, जैव विविधिता को हो रही हानि को रोकने और पारिस्थितिकी को बहाल करने की तत्काल जरूरत है क्योंकि दुनिया की 23 प्रतिशत भूमि अब संसाधनों के अतिदोहन और बंजर होने की वजह से कृषि उत्पादन के अनुकूल नहीं है।’’ सितंबर 2020 में जारी ‘डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ‘लिविंग प्लैनट रिपोर्ट’ के मुताबिक वर्ष 1970 से अब तक स्तनपायी, पक्षियों, उभचरों, सरीसृपों और मछलियों की संख्या में गिरावट आई है। अधिकारी ने बताया कि दूसरी प्राथमिकता स्थायी और जलवायु अनुकूल नीली अर्थव्यवस्था है।

सर्कुलर अर्थव्यवस्था
रिचा शर्मा ने बताया कि भारत नीली अर्थव्यवस्था के लिए नीति बनाने के अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अहम मुद्दा है और हम इंडोनिशया की अध्यक्षता से इसे जारी रखना चाहते हैं। इसलिए समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव और कोरल रीफ का सरंक्षण वे मुद्दे हैं जिन पर भारत की अध्यक्षता के दौरान चर्चा होगी।’’ अधिकारी ने बताया कि भारत विशेष तौर पर समुद्र में कचरे के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित कराना चाहता है और वह समन्वित समुद्र तट सफाई अभियान शुरू करेगा जिसमें जी-20 समूह के सभी देश और मेहमान देश 21 मई को हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि तीसरी प्राथमिकता संसाधनों का उचित उपयोग और ‘सर्कुलर अर्थव्यवस्था’ भारत सरकार की एक अन्य प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता है।

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