Thursday, March 28, 2024
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पाकिस्तानी सेना का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है: मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार

इमरान खान नीत सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद सेना के खिलाफ सोशल मीडिया पर चले मुखर अभियान के बीच सैन्य प्रवक्ता का यह बयान आया है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 14, 2022 22:17 IST
मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार- India TV Hindi
Image Source : FILE मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार

पाकिस्तानी सेना ने कहा कि ‘राजनीति से उसका कोई लेना-देना नहीं’ है और वह भविष्य में भी अराजनीतिक बनी रहेगी। साथ ही, उसने जोर देते हुए कहा कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा अपना कार्यकाल बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे हैं और वह 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। 

सेना की मीडिया शाखा-इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर)- के महानिदेशक (डीजी) मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने यह भी कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व मूल रूप से लोकतंत्र पर निर्भर है और इसकी मजबूती संस्थाओं में निहित है, चाहे वह संसद, सुप्रीम कोर्ट या सशस्त्र बल ही क्यों ना हो। 

पाकिस्तानी सेना का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है-

इमरान खान नीत सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद सेना के खिलाफ सोशल मीडिया पर चले मुखर अभियान के बीच सैन्य प्रवक्ता का यह बयान आया है। सैन्य प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा कि पाकिस्तानी सेना का ‘राजनीति से कोई लेना-देना नहीं’ है और इसने भविष्य में भी अराजनीतिक बने रहने का फैसला किया है। 

विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कुछ दिन पहले पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली है। देश में लंबे समय से चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बाद शरीफ प्रधानमंत्री बने हैं। सैन्य प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि जनरल बाजवा उस दिन ‘अस्वस्थ’ थे जब शरीफ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और उन्हें (बाजवा को) शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहना पड़ा था। 

मेजर जनरल इफ्तिखार ने कहा कि सेना को ‘तटस्थ’ बताने के बजाय यह कहना कहीं अधिक उपयुक्त होगा कि ‘यह संवैधानिक जरूरत और वर्षों तक विभिन्न पार्टियों द्वारा की गई मांग के मुताबिक अराजनीतिक है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे समक्ष कई सुरक्षा चुनौतियां हैं और हम किसी अन्य चीज में शामिल नहीं हो सकते। यदि हम सुरक्षा चुनौतियों से ही उपयुक्त रूप से निपटें तो यह अच्छा रहेगा।’ 

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर में उन्हें उद्धृत करते हुए कहा गया है, ‘सेना प्रमुख ना तो कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ना ही वह इसे स्वीकार करेंगे। चाहे जो कुछ हो, वह 29 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।’ सैन्य प्रवक्ता ने कहा, ‘सेना के सरकार से सर्वश्रेष्ठ संबंध हैं और आश्वस्त किया कि दोनों संस्थाओं के बीच असहमति नहीं है।’ 

उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख जनरल बाजवा (61) इस साल सेवानिवृत्त हो जाएंगे, जिन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 2016 में नियुक्त किया था। बाजवा को अगस्त 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री खान ने सेवा विस्तार दिया था। उन्होंने हालिया राजनीतिक संकट के दौरान देश में मार्शल लॉ लगाये जाने की आशंका से जुड़े अफवाहों को हास्यास्पद करार दिया। 

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में कभी मार्शल लॉ नहीं लगेगा।’ उन्होंने मीडिया में आई इन खबरों को भी सिरे से खारिज कर दिया कि सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख, इमरान खान के अपने आधिकारिक आवास से निकलने से पहले पीएम हाउस गये थे। सैन्य प्रवक्ता ने कहा, ‘पूरी तरह से असत्य है। कोई भी वहां नहीं गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान, सेना ने कोई दखलंदाजी नहीं की। मुझे इस चीज पर विराम लगाने दीजिए।’ 

उन्होंने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले के दिनों में पाकिस्तान में या देश से बाहर विपक्षी नेताओं के साथ सेना प्रमुख की बैठकें करने के बारे में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने राजनीतिक संकट का हल तलाशने में मदद के लिए सेना प्रमुख से संपर्क किया था। 

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे राजनीतिक नेतृत्व वार्ता को तैयार नहीं थे। इसलिए सेना प्रमुख और डीजी आईएसआई प्रधानमंत्री कार्यालय गये तथा तीन परिदृश्यों पर चर्चा की गई।’ इनमें एक परिदृश्य अविश्वास प्रस्ताव पर आगे बढ़ना था। जबकि शेष दो में प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने या अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने और नेशनल असेंबली को भंग करना शामिल थे। 

इमरान खान ने किया था ये दावा

प्रवक्ता ने कहा कि सेना ने कोई विकल्प नहीं दिया था। उल्लेखनीय है कि इमरान खान ने दावा किया था कि सेना ने उन्हें तीन विकल्प दिये थे: ‘इस्तीफा, अविश्वास प्रस्ताव (मतदान) या चुनाव।’ इफ्तिखार ने यह भी कहा कि पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की एक बैठक के बाद जारी बयान में ‘साजिश’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था। 

उनका यह स्पष्टीकरण अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान के उस दावे का संभवत: विरोधाभासी है जिसमें उन्होंने अपनी सरकार को गिराने के लिए अमेरिका पर साजिश रचने का आरोप लगाया था। 

सैन्य प्रवक्ता ने कहा, ‘जहां तक एनएससी की बैठक के बारे में सेना की प्रतिक्रिया की बात है, उस बारे में बैठक में पूरी तरह बताया गया था और उसके बाद एक बयान जारी किया गया। जिसमें बैठक में पहुंचे गये निष्कर्ष को स्पष्ट रूप से कहा गया था। जो शब्द इस्तेमाल किये गये थे वह आपके सामने हैं। जैसा कि मैंने कहा है। जो शब्द इस्तेमाल किये गये वे स्पष्ट हैं। क्या साजिश जैसा कोई शब्द इसमें इस्तेमाल किया गया था? मुझे नहीं लगता।’ 

उन्होंने कहा कि बैठक में हुई चर्चा के विवरण को सरकार के फैसला करने पर सार्वजनिक किया जा सकता है। इस सप्ताह की शुरूआत में सत्ता से बेदखल कर दिये गये खान ने संभवत: शक्तिशाली सेना का समर्थन खो दिया था। दरअसल, उन्होंने गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के प्रमुख की नियुक्ति को मंजूरी देने से पिछले साल इनकार कर दिया था। आखिरकार वह सहमत हो गये लेकिन सेना के साथ उनके संबंधों में खटास आ चुकी थी। 

खान लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को आईएसआई प्रमुख बनाये रखना चाहते थे लेकिन सेना आलाकमान ने उनका तबादला कर उन्हें पेशावर में कोर कमांडर नियुक्त कर दिया। सैन्य प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री खान की रूस यात्रा के दौरान सेना उस यात्रा के समर्थन में थी लेकिन जब खान मास्को में थे तब रूस का यूक्रेन पर हमला करने को शर्मिंदगी का सबब बनने वाला बताया। 

उन्होंने भारत के बारे में बात करते हुए आरोप लगाया कि हमेशा ही एक झूठा ‘फ्लैग ऑपरेशन’ का खतरा है क्योंकि यह भारत की आदत रही है लेकिन ‘हम आखें खुली रखे हुए हैं और पूर्वी सीमा पर कोई असमान्य गतिविधि नहीं है।’

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