Friday, June 20, 2025
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री डार ने फर्जी खबरों के आधार पर की थी अपने एयरफोर्स की प्रशंसा, डॉन न्यूज ने खोल दी पोल

पाकिस्तान के विदेश मंत्री डार ने जिस विदेशी अखबार का स्क्रीन शॉट खींचकर अपने वायुसेना की प्रशंसा की थी, वह खबर ही फर्जी निकली। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने ही इसकी पोल खोल दी। इससे पाकिस्तान को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : May 16, 2025 17:46 IST, Updated : May 16, 2025 17:52 IST
इशाक डार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री।
Image Source : AP इशाक डार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने सीनेट में अपने देश की वायुसेना की प्रशंसा करने के लिए एक फर्जी खबर का हवाला दिया, जिसे उन्होंने ब्रिटिश दैनिक 'द डेली टेलीग्राफ' में प्रकाशित होने का दावा किया। डार ने कहा कि अखबार ने हालिया भारत-पाक संघर्ष के संदर्भ में लिखा है कि "पाकिस्तानी वायुसेना ने आसमान में निर्विवाद बादशाहत कायम की है।" हालांकि इस दावे की तथ्य-जांच 'डॉन' अखबार ने की और इसे पूरी तरह मनगढ़ंत करार दिया। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया पर 10 मई 2025 से एक फर्जी फ्रंट पेज वायरल हो रहा है, जिसमें 'द डेली टेलीग्राफ' के पहले पन्ने पर पाकिस्तान वायुसेना को “Sky’s Undisputed King” बताया गया है।

क्या है वायरल तस्वीर में?

इस कथित अखबार की तस्वीर में एक समाचार शीर्षक दिया गया था: "Pakistan Air Force: The Sky’s Undisputed King" इस तस्वीर को सबसे पहले बैरिस्टर खदीजा सिद्दीकी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया। इसके बाद 11 मई को खैबर पख्तूनख्वा के प्रधानमंत्री के सूचना समन्वयक इख्तियार वली खान ने भी इसे फेसबुक पर पोस्ट किया।

असलियत क्या है?

‘डॉन’ की पड़ताल में सामने आया कि ‘द डेली टेलीग्राफ’ ने ऐसा कोई लेख प्रकाशित ही नहीं किया। वायरल हो रही तस्वीर एक डिजिटल रूप से एडिट की गई छवि है, जिसे जानबूझकर गलत सूचना फैलाने के लिए तैयार किया गया। 

संसद में ग़लत सूचना का हवाला

सीनेट में एक जिम्मेदार पद पर बैठे मंत्री द्वारा इस तरह की असत्यापित और फर्जी जानकारी को आधिकारिक रूप से प्रस्तुत किया जाना पाकिस्तान की राजनीतिक गंभीरता और सूचनाओं की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है। यह घटना बताती है कि कैसे प्रोपेगैंडा आधारित सूचनाएं संसद जैसे उच्च मंच तक पहुंच रही हैं। इस प्रकरण ने न केवल पाकिस्तान की सूचना पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि किस तरह सोशल मीडिया की अपुष्ट खबरें राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत बहस का हिस्सा बन रही हैं।(भाषा)

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