Saturday, April 27, 2024
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चांद तेरे कितने रूप: रूस के लूना-25 ने खींची चंद्रमा की पहली दुर्लभ तस्वीर, दिखा ये हैरान कर देने वाला नजारा

भारत के चांद मिशन के साथ रूस का लूना-25 भी चांद मिशन पर है। रूस के लूना-25 ने चांद की अद्भुत तस्वीर खींची है। यह लूना-25 द्वारा खींची गई चांद की पहली तस्वीर है। वैज्ञानिकों के अनुसार लूना-25 ने चांद के उस हिस्से की तस्वीर खींचकर भेजी है, जहां आम तौर पर अंधेरा है यानि जो चांद का दक्षिणी ध्रुव है। भारत का चंद्रयान-3 भी।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 18, 2023 16:10 IST
लूना-25 द्वारा ली गई चांद की पहली तस्वीर।- India TV Hindi
Image Source : SPACE.COM लूना-25 द्वारा ली गई चांद की पहली तस्वीर।

भारत के चंद्रयान-3 के साथ रूस का लूना-25 भी चांद पर उतरने को तैयार है। चांद पर पहुंचते ही रूसी लूना-25 ने चंद्रमा की पहली दुर्लभ तस्वीर भेजी है। रूसी लूना-25 द्वारा ली गई चंद्रमा की पहली तस्वीर में चांद का पृथ्वी से स्थायी रूप से छिपा हुआ क्षेत्र दिखाया गया है। यह चंद्रमा का सुदूर भाग है जिसे "अंधेरा पक्ष" भी कहा जाता है। इसे चंद्रमा का गोलार्ध भी कहते हैं जो समकालिक घूर्णन के कारण पृथ्वी के दृश्य से स्थायी रूप से छिपा हुआ है। यानि यह भाग पृथ्वी से नहीं दिखता। चांद के इस अंधेरे हिस्से में क्या रहस्य छुपा है, अब वैज्ञानिक इसका विश्लेष करेंगे। लूना-25 द्वारा खींची तस्वीर में हैरानी भरा नजारा देखकर हर कोई हतप्रभ है।

लूना-25 अंतरिक्ष यान द्वारा चांद की कक्षा से यह तस्वीर ली गई है। चंद्रमा की इस पहली तस्वीर को देखकर वैज्ञानिकों में काफी उत्साह है। इन छवियों में दक्षिणी ध्रुवीय क्रेटर ज़ीमन को दिखाया गया है, जो चंद्रमा के सुदूर भाग पर स्थित है। इस तस्वीर में चांद का अंधेरा वाला हिस्सा यानि चंद्रमा का गोलार्ध जो समकालिक घूर्णन के कारण पृथ्वी के अदृश्य बना हुआ है, कैद है। क्रेटर का शाफ्ट अपेक्षाकृत सपाट तल से 8 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचता है, जो इसे भूवैज्ञानिक रूप से दिलचस्प स्थल बनाता है। चांद की लूना-25 द्वारा खींची गई ये नई तस्वीरें मौजूदा डेटा के पूरक के रूप में भी काम करेगा, जो इस क्रेटर के बारे में बहुमूल्य अतिरिक्त जानकारी प्रदान करती हैं।

चंद्रयान-3 भी चांद पर लैंडिंग के करीब

रूस के लूना-25 के साथ भारत का चंद्रयान-3 भी चांद पर लैंडिंग के करीब है। रूस के लूना-25 के चांद पर पहुंचने की यह उपलब्धि अंतरिक्ष अन्वेषण में एक ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है, जब अक्टूबर 1959 में सोवियत स्वचालित स्टेशन "लूना-3" ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से की दुनिया की पहली छवि प्राप्त की थी। अब लूना-25 मिशन चंद्र अन्वेषण की इस विरासत को जारी रख रहा है, जो इसके बारे में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। चांद की इन छवियों को रूसी विज्ञान अकादमी (आईकेआई आरएएस) के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में विकसित एसटीएस-एल टेलीविजन कॉम्प्लेक्स का उपयोग करके कैप्चर किया गया।

लूना-25 ने ऐसे ली चांद की तस्वीर

लूना-25 द्वारा भेजी गई चांद की इन आश्चर्यजनक छवियों को कैप्चर करने के अलावा आईकेआई आरएएस में बनाए गए एड्रॉन-एलआर और पीएमएल उपकरणों और एस्ट्रोन इलेक्ट्रॉनिक्स के सहयोग से विकसित एआरआईईएस-एल का उपयोग करके अवलोकन भी किया। इन उपकरणों ने अंतरिक्ष यान को चंद्र सतह से गामा किरणों और न्यूट्रॉन प्रवाह को मापने की अनुमति दी। उन्होंने चांद की कक्षा में परिचालित चंद्र अंतरिक्ष प्लाज्मा, गैस और धूल बाह्यमंडल के मापदंडों से जुड़ा डेटा भी प्रदान किया। अब सभी की निगाहें रूसी अंतरिक्ष यान की लैंडिंग पर हैं, जो भारत के चंद्रयान -3 से पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरने वाला पहला दुनिया का पहला देश बन सकता है।

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