चीन अपना बहुप्रतीक्षित मानव मून मिशन को लेकर तेजी से काम कर रहा है। चीन 20230 तक मानवों को चंद्रमा पर उतारना चाहता है।
चीन 2030 तक अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारने की तैयारी कर रहा है। मेंगझोउ स्पेसक्राफ्ट और लान्युए लैंडर इस मिशन का हिस्सा होंगे। चीन पहले ही चांग’ई-6 मिशन से चांद के दूर वाले हिस्से से सैंपल ला चुका है और तियांगोंग स्पेस स्टेशन से नियमित मिशन चला रहा है।
भारत और अमेरिका ने टैरिफ विवाद के बावजूद चंद्रमा और मंगल मिशन में दोस्ती का नया उदाहरण पेश किया है। आने वाले दिनों में दोनों देशों ने अंतरिक्ष में साझेदारी को मजबूत करने वाला कदम उठाया है।
इसरो दिन प्रतिदिन सफलता की नई कहानी लिख रहा है। साल 1975 के आर्यभट्ट के प्रक्षेपण से लेकर 2023 के आदित्य एल वन के प्रक्षेपण तक इसरो ने कामयाबी के कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं। जानिए इसरो के आर्यभट्ट से लेकर आगामी मिशन गगनयान तक का सफर...
जापान के मून मिशन को बड़ा झटका लगा है। निजी कंपनी का मून लैंडर शुक्रवार को चंद्रमा पर लैंडिंग का प्रयास करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जापानी कंपनी आईस्पेस ने मिशन के फेल होने की पुष्टि की है।
चीन के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के सुदूर भाग से लाई गई मिट्टी और चट्टानों का अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों ने विश्लेषण के बाद चंद्रमा और धरती की तुलना की है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि अभी और अध्ययन की जरूरत है।
भारत सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। चंद्रयान-5 मिशन के तहत, चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम का रोवर भेजा जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा बेंगलुरु से प्रक्षेपित चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी। इसके तीन दिन बाद 26 अगस्त को ‘लैंडिंग’ स्थल का नाम ‘शिव शक्ति पॉइंट’ रखा गया।
इंसानों की चांद को हासिल करने की चाहत कई वर्षों से पूरी नहीं हो पा रही है। नासा के वैज्ञानिकों का मून मिशन फिर फेल हो गया है। नासा ने अब इस मिशन के 2027 तक टलने की आशंका जाहिर की है।
चीन ने अगले कुछ दशकों में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए बड़े मिशन पर काम शुरू कर दिया है। चीन ने मानवयुक्त चंद्र मिशन शुरू करने, चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और रहने योग्य ग्रहों की खोज करने की योजना का ऐलान किया है।
सूरज, चांद और मंगल के बाद अब भारत सबसे गर्म ग्रह शुक्र पर पहुंचने वाला है। इसरो ने मिशन वीनस ऑर्बिटर की लॉन्चिंग की तारीख भी तय कर ली है। पढ़ें पूरी खबर-
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर अद्भुत खोज की है। इस खोज से वैज्ञानिक भी प्रसन्न हैं। प्रज्ञान रोवर ने चांद पर 160 किमी चौड़ा प्राचीन गड्ढा खोज लिया है।
चीन ने ‘चांग ई-6’ चंद्र मिशन के जरिए चंद्रमा के सुदूरवर्ती हिस्से से नमूने एकत्र किए थे। सुदूरवर्ती हिस्से से लाए नमूनों का भू-रासायनिक विश्लेषण किया गया है। चीन के वैज्ञानिकों ने इसे लेकर शोध पत्र भी प्रकाशित किया है।
दरिया कावा मिर्ज़ा ने चांद की सबसे अद्भुत तस्वीर ली है, जिसे चंद्रमा की अब तक खींची गई, "सबसे स्पष्ट छवि" के रूप में वर्णित किया है। यह तस्वीर उनके चार दिनों के निरंतर चांद को निहारने और शूटिंग का परिणाम थी।
चीन के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणुओं की खोज की है। यह खोज चांद के बारे में और अधिक जानने और समझने का अवसर देगी। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं भी खुलेंगी।
1961 में, राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने दशक के अंत से पहले चंद्रमा पर एक आदमी को उतारने का साहसिक लक्ष्य रखा। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के साथ बज आल्ड्रिन के आज यानी 20 जुलाई के दिन ही चांद पर पहले कदम पड़े थे।
नासा ने चंद्रमा पर पानी की खोज करने वाले अपने मिशन को टाल दिया है। नासा ने इसके लिए चांद पर एक लैंडर भेजने की तैयारी की थी। मगर अब अचानक अपनी योजना को रद्द कर दिया है।
चंद्रमा के दूर वाले हिस्से से नमूने लेकर चीनी अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर वापस आ गया है। चीन के वैज्ञानिक अब चांद ले लाए गए सैंपल पर रिसर्च करेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मिशन को लेकर खुशी जताई है।
भारत और अमेरिका को टक्कर देने के लिए चीन ने चंद्रमा के ऐसे सुदूर क्षेत्र में अपने अंतरिक्ष यान की लैंडिंग कराई है, जहां पहुंचना बेहद मुश्किल होता है। मगर चीन ने सफलतापूर्व अपने इस मिशन को अंजाम दिया है। चीन का अंतरिक्ष यान चंद्रमा से वहां के नमूने लेकर पृथ्वी पर लौटेगा, जो चीन को 2030 तक मानव मिशन को पूरा करेगा।
चीन के हेनान प्रांत से चांग’ई-6 चंद्रमा मिशन के साथ पाकिस्तान के छोटे उपग्रह आईक्यूब-कमर को भी प्रक्षेपित किया गया था। इस उपग्रह ने सूरज आर चांद की तस्वीरें भेजी हैं।
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