Tuesday, April 16, 2024
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शहबाज शरीफ को भारी पड़ी पीएम मोदी की नकल, गले मिलने गए तो तुर्की के राष्ट्रपति ने बताई हैसियत, देखें Video​

शपथग्रहण से पहले तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने सभी विदेशी मेहमानों का गले लगकर स्वागत किया। इस दौरान एर्दोगन से पाक पीएम शहबाज शरीफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नकल करते हुए गले मिले। लेकिन पीएम मोदी की नकल में गले मिलना शहबाज को भारी पड़ गया।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: June 05, 2023 13:21 IST
शहबाज शरीफ को भारी पड़ी पीएम मोदी की नकल, गले मिलने गए तो तुर्की के राष्ट्रपति ने बताई हैसियत- India TV Hindi
Image Source : TWITTER शहबाज शरीफ को भारी पड़ी पीएम मोदी की नकल, गले मिलने गए तो तुर्की के राष्ट्रपति ने बताई हैसियत

Turkey-Pakistan: हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति पद का चुनाव फिर जीते रेसेप तैयप एर्दोगन शपथग्रहण समारोह में शपथ ली। इस समारोह में दुनिया के कई नेताओं के साथ ही पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने भी शिरकत की। लेकिन एक ऐसी घटना घटी, जिसने शहबाज शरीफ की किरकिरी करा दी। साथ ही पाकिस्तान की वैश्विक कूटनीति में कितनी हैसियत है, वह भी पता चल गई। शपथग्रहण से पहले तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने सभी विदेशी मेहमानों का गले लगकर स्वागत किया। इस दौरान एर्दोगन से पाक पीएम शहबाज शरीफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नकल करते हुए गले मिले। लेकिन पीएम मोदी की नकल में गले मिलना शहबाज को भारी पड़ गया। एर्दोगन ने शहबाज को अनमने ढंग से सिर्फ कंधे से लगाकर दूर कर दिया। इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शहबाज शरीफ की किरकिरी हो रही है।

सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक

दरअसल, शहबाज शरीफ का देश पाकिस्तान इन दिनों भारी कंगाली की हालत से गुजर रहा है। खाने को आटा नहीं है। पेट्रोल डीजल के दाम आसमान पर हैं। महंगाई 'डायन' बन गई है। ऐसे में पाकिस्तान को तुर्की से उम्मीद है कि तुर्की पाकिस्तान में निवेश बढ़ाए। सोशाल मीडिया पर कई लोगों ने शहबाज की किरकिरी होने पर अपनी राय दी है। कुछ लोगों का कहना है कि एर्दोगन काफी समझदार हैं। वे जानते हैं कि शहबाज शरीफ क्यों इतने गले पड़ रहे थे। एक भारतीय यूजर ने कहा कि 'शहबाज, एर्दोगन के गले पड़ते हुए कान में धीरे से पैसे देने का अनुरोध कर रहे थे। वहीं एर्दोगन उन्हें कोई 'भाव' नहीं दे रहे थे।

2003 से तुर्की के राष्ट्रपति हैं एर्दोगन

69 साल के एर्दोगन पिछले हफ्ते हुए राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर में अपने प्रतिद्वंद्वी कमाल को हराकर एक बार फिर राष्ट्रपति का चुनाव जीते। वे पिछले 20 सालों से तुर्की की सत्ता पर काबिज हैं। वे 2003 से तुर्की के राष्ट्रपति हैं। इससे पहले वे तुर्की के पीएम भी रह चुके हैं। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में अमेरिका के बाद सर्वाधिक संख्या में सैनिक रखने वाला देश तुर्की है। इस देश ने यूक्रेन के अनाज की ढुलाई से संबद्ध समझौते में मध्यस्थता कर वैश्विक खाद्य संकट को टालने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।

कश्मीर पर भारत के विरोध में बयान देते हैं एर्दोगन

फिर राष्ट्रपति बने एर्दोगन भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। वे जम्मू कश्मीर पर भी भारत विरोधी बयान देते हैं। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान से तुर्की की दोस्ती 2003 में एर्दोगन के 2003 में सत्ता में आने के बाद काफी मजबूत हुई है। एर्दोगन की इन्हीं नीतियों के कारण तुर्की के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं। जबकि तुर्की में जब हाल मे समय में विनाशकारी भूकंंप आया था तो पीएम मोदी ने रसद सामग्री, एनडीआरफ की टीमें और चिकित्सकों का दल तत्काल प्रभाव से तुर्की भेजा था।

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