Saturday, May 11, 2024
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Russia Ukraine War News: रूस को महंगी पड़ने लगी जंग, यूक्रेन कर रहा पलटवार, पुतिन अपने ही देश में घिरे, पढ़िए पूरी डिटेल

Russia Ukraine War News:यूक्रेनी सेना ने हाल ही में सिटी ऑफ लिमैन पर भी कब्जा जमा लिया है, जिसे लॉजिस्टिक हब के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा दक्षिणी क्षेत्र में भी यूक्रेन की सेना तेजी से कदम बढ़ा रही है और कई गांवों पर कब्जा वापस लिया है। खेरसन शहर पर भी यूक्रेन की सेना दोबारा काबिज हो गई है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: October 07, 2022 9:45 IST
Russia Ukraine war News- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Russia Ukraine war News

Highlights

  • जंग लंबी खिंची तो अपने ही देश में घिरे पुतिन
  • 'सिटी ऑफ लिमैन' पर यूक्रेनी सेना ने किया कब्जा
  • नाटो देशों के हथियारों ने यूक्रेनी सेना में फूंकी नई जान

Russia Ukraine War News: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इसी बीच यूक्रेन अब तेजी से पलटवार करने लगा है। यूक्रेन के जवाबी हमले से रूसी सेना सकते में आ गई है। इस कारण रूस अब बैकफुट पर आने लगा है। लंबे खिंचे युद्ध के कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने ही देश में सवालों से घिर गए हैं। जानिए क्या है पूरा मामला?

रूसी सेना में शीर्ष स्तर पर पैदा हुए मतभेद

रूस ने एक तरफ यूक्रेन के डोनेत्स्क, लुहांस्क समेत 4 इलाकों को अपने देश में शामिल करने के लिए कानून को मंजूरी देकर कदम आगे बढ़ाए हैं, वहीं तो वहीं यूक्रेन भी जवाबी हमले तेज कर रहा है। इन हमलों के चलते रूसी सेना को बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ रहा है। यही नहीं इसकी वजह से रूसी सरकार में भी शीर्ष स्तर पर मतभेद पैदा हो गए हैं। इन झटकों से रूसी सेना की प्रतिष्ठा को भी धक्का पहुंचा है, जिसे दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक माना जाता है। 

जंग लंबी खिंची तो अपने ही देश में घिरे पुतिन

जंग में कोई नतीजा न मिलते देख व्लादिमीर पुतिन अब अपने ही देश में घिरते दिखाई दे रहे हैं। पश्चिमी देशों से मिले हथियारों के दम पर यूक्रेनी सेना ने बीते महीने खारकीव शहर के बड़े इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया था। अब उसका अभियान दूसरे शहरों तक भी पहुंच रहा है। यूक्रेन को परोक्ष रूप से नाटो देशों का सैन्य और आर्थिक सहयोग प्राप्त होता रहा है। यही कारण है कि लंबी ​खिंच गई जंग में भी वो रूस के हमलों का ताकत से जवाब दे रहा है और मौका मिलने पर पलटवार भी कर रहा है। 

'सिटी ऑफ लिमैन' पर यूक्रेनी सेना ने किया कब्जा

यूक्रेनी सेना ने हाल ही में सिटी ऑफ लिमैन पर भी कब्जा जमा लिया है, जिसे लॉजिस्टिक हब के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा दक्षिणी क्षेत्र में भी यूक्रेन की सेना तेजी से कदम बढ़ा रही है और कई गांवों पर कब्जा वापस लिया है। खेरसन शहर पर भी यूक्रेन की सेना दोबारा काबिज हो गई है। यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयूज में स्ट्रेटेजिक स्टडीज के प्रोफेसर फिलिप्स ओ. ब्रायन ने कहा कि रूसी सेना के लिए अब टिकना मुश्किल हो गया है। उसके हथियारों को यूक्रेनी सेना तबाह कर रही है। लंबे समय से मोर्चे पर डटे रहने से रूसी सैनिक थक गए हैं और अब यूक्रेन के आगे टिकना मुश्किल हो रहा है।

नाटो देशों के हथियारों ने यूक्रेनी सेना में फूंकी नई जान

कहा तो ये भी जा रहा है कि यूक्रेनी सेना अब उन इलाकों को भी छुड़ाने के प्रयास में है, जो रूस ने पहले कब्जे में कर लिए थे। इसके तहत अब यूक्रेनी सेना क्रीमिया तक भी पहुंच सकती है, जिसका रूस ने 2014 में विलय कर लिया था। जंग में बैकफुट पर जाने के चलते ही व्लादिमीर पुतिन ने नया आदेश जारी किया, जिसके तहत 3 लाख रिजर्व सैनिकों को शामिल किया जाना है। इसमें से 2 लाख लोग शामिल भी हो चुके हैं। अब रूस दोगुनी ताकत के साथ यूक्रेन पर हमला करने ​की फिराक में है। 

रूसी सैनिक थके, यूक्रेन को लगातार मिल रही सैन्य मदद

दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जंग के 8 महीने पूरे हो चुके हैं। लेकिन यह अभी भी जारी है। जंग के बीच रूस के सैनिक अब थक गए हैं। जबकि यूक्रेन को पश्चिमी देशों से सैन्य और आर्थिक मदद लगातार मिल रही है। अमेरिका ने तो यूक्रेन को काफी मदद पहुंचाई है। इन देशों से मिले हथियारों के चलते नई ताकत के साथ यूक्रेन तेजी से पलटवार करके रूस के हौसलों को पस्त कर रहा है।

इंटेलिजेंस में भी यूक्रेनी सेना पड़ रही भारी

इस युद्ध में इंटेलिजेंस भी एक बड़ा मसला है। एक तरफ यूक्रेन को अमेरिका और अन्य नाटो देशों की ओर से इंटेलिजेंस मिल रही है और वह रूसी सेना के ठिकानों को टारगेट कर रही है। वहीं रूसी सेना इंटेलिजेंस में भी कमजोर पड़ती दिख रही है।

रूसी सेना में कॉर्डिनेशन का अभाव, ड्रोन की कमी भी खल रही

रूसी सेना की ओर से जब तक किसी टारगेट को फिक्स किया जाता है और हमले के लिए परमिशन मिल पाती है, तब तक देर हो चुकी होती है। इसके अलावा ड्रोन्स की कमी का भी रूसी सेना सामना कर रही है। इससे उसका निगरानी तंत्र प्रभावित हुआ है और वह किसी भी टारगेट को फिक्स नहीं कर पा रही है।

 

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