Saturday, April 20, 2024
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पोम्पिओ ने सीमा पर तनाव भड़काने को लेकर चीन की आलोचना की, कम्युनिस्ट पार्टी को ‘‘शरारती’’ तत्व बताया

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत से लगती सीमा पर तनाव ‘‘भड़काने’’ और रणनीतिक दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती को लेकर चीनी सेना की आलोचना की है और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को ‘‘शरारती’’ तत्व करार दिया है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 20, 2020 17:51 IST
Mike Pompeo tears into 'rogue actor' China for 'escalating' border tension with India- India TV Hindi
Image Source : AP Mike Pompeo tears into 'rogue actor' China for 'escalating' border tension with India

वाशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत से लगती सीमा पर तनाव ‘‘भड़काने’’ और रणनीतिक दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती को लेकर चीनी सेना की आलोचना की है और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को ‘‘शरारती’’ तत्व करार दिया है। चीन सरकार पर तीखा हमला करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी’ (सीपीसी) नाटो जैसे संस्थानों के जरिए स्वतंत्र विश्व बनाने के लिए की गई सभी प्रगति को नष्ट करना चाहती है और बीजिंग की सुविधा के अनुसार नए नियम-शर्त अपनाना चाहती है। 

पोम्पिओ ने गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की जान जाने पर भाारत के प्रति संवेदना व्यक्त करने के एक दिन बाद कहा, ‘‘पीएलए (जन मुक्ति सेना) ने विश्व के सर्वाधिक आबादी वाले लोकतंत्र भारत से लगती सीमाओं पर तनाव भड़का दिया है। यह दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण कर रहा है तथा वहां अवैध रूप से और अधिक क्षेत्र पर दावा कर रहा है तथा महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों का खतरा पहुंचा रहा है।’’ 

चीन प्रचुर संसाधनों से युक्त लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है और उसने सेनकाकू द्वीप पर भी दावा किया है जो पूर्वी चीन सागर में जापान के नियंत्रण में है। वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी दक्षिण चीन सागर पर दावा करते हैं। अमेरिका इस क्षेत्र में नौवहन की स्तंत्रता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर अपने नौसैन्य पोतों तथा लड़ाकू विमानों की तैनाती करता रहा है। 

पोम्पिओ ने शुक्रवार को ‘2020 कोपनहेगन लोकतंत्र शिखर सम्मेलन’ के दौरान ‘यूरोप और चीन चुनौती’ विषय पर अपने डिजिटल संबोधन में कहा कि वर्षों से पश्चिम, आशा के युग में, मानता रहा है कि वह सीपीसी को बदल सकता है और साथ ही चीनी लोगों के जीवन में सुधार ला सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘सीपीसी ने हमें यह आश्वस्त करते हुए कि वह सहयोगात्मक संबंध चाहती है, हमारी सद्भावना का लाभ उठाया। जैसा कि (पूर्व चीनी राजनीतिक नेता) डेंग चिआओपिंग ने कहा था कि ‘अपनी शक्ति छिपाओ, अपने समय पर काम करो’। मैं दूसरी जगहों पर भी इस बारे में बोल चुका हूं कि ऐसा क्यों हुआ। यह एक जटिल कहानी है। इसमें किसी की कोई गलती नहीं है।’’ 

पोम्पिओ ने कहा कि दशकों से यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों ने अत्यंत आशावद के साथ चीन में निवेश किया है। इसने शेंझेन जैसे स्थानों पर आपूर्ति श्रृंखला उपलब्ध कराई, पीएलए से जुड़े छात्रों के लिए शिक्षण संस्थान खोले और अपने देशों में चीन समर्थित निवेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि लेकिन सीपीसी ने हांगकांग में स्वतंत्रता को खत्म करने का आदेश दिया, संयुक्त राष्ट्र संबंधी संधि और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया। 

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘सीपीसी महासचिव (चीनी राष्ट्रपति) शी चिनफिंग ने चीनी मुसलमानों के बर्बर दमन को हरी झंडी दे रखी है जो एक ऐसा मानवाधिकार उल्लंघन है जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से हमने नहीं देखा है। अब, पीएलए ने भारत से लगती सीमाओं पर तनाव भड़का दिया है।’’ पोम्पिओ ने कहा, ‘‘सीपीसी न सिर्फ शरारती तत्व है, बल्कि इसने कोरोना वायरस के बारे में भी झूठ बोला और इसे शेष विश्व में फैलने दिया तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन पर इसपर पर्दा डालने में मदद के लिए दबाव बनाया। इससे दुनिया में हजारों लोगों की जान गई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।’’

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