भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और देमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है।
भारत-चीन एलएसी विवाद को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ी खबर दी है। उन्होंने कहा है कि विवादित क्षेत्र से दोनों देशों ने सैनिकों की वापसी का काम लगभग 75 फीसदी पूरा कर लिया है।
ब्राजील में चीन-एलएसी सम्मेलन में 17 देशों का जमावड़ा हुआ। इसमें लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों का जमावड़ा हुआ।
भारत और चीन के संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक कि सैनिकों की तैनाती पूर्ववत स्थिति में नहीं हो जाती। चीन ने सीमा पर रक्तपात और हिंसा की है। साथ ही सीमा समझौतों का उल्लंघन किया है। सीमा सुरक्षा से समझौता करके चीन से संबंध बहाल नहीं किया जा सकता। मलेशिया में विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात कही।
आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडेय ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात को संवेदनशील बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि हालात संवेदनशील होने के बावजूद स्थिर है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना की मजबूती से तैनाती की गई है। जनरल पांडेय ने कहा कि युद्ध होने पर भारतीय सेना 1962 के युद्ध से बिलकुल अलग प्रतिक्रिया देगी।
भारत और चीन गत 4 वर्षों से तनाव के चरम पर हैं। दोनों देशों के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही नाजुक चल रहे हैं, जिसमें सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जब तक चीन सीमा समझौतों का पालन नहीं करता, तब तक एलएसी पर शांति संभव नहीं है।
भारत-चीन के बीच वास्तवि नियंत्रण रेखा पर 3 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे जबरदस्त तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 21वें दौर की सैन्य वार्ता में भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रखने के लिए सहमत हुई हैं। हालांकि विवादित क्षेत्रों का अब भी कोई हल नहीं निकल सका है।
गलवान घाटी हिंसा के 3 वर्ष बाद चीनी सैनिकों ने एक बार फिर उकसावे वाली कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी सैनिकों की इस बार भारतीय चरवाहों से भिड़ंत हो गई। मगर भारतीय चरवाहे उनसे दबे नहीं। चरवाहों की चीनी सैनिकों से जमकर कहासुनी हुई। इसके बाद अब विदेश मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है।
भारतीय चरवाहों द्वारा एलएसी के पार जाने का मामला सामने आया है। इसका वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें भारतीय चरवाहे और चीनी सैनिक आपस में कुछ बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
भारत और चीन के बीच रिश्ते लगातार तनाव के दौर में चल रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा पर चीन के साथ भारत के संबंध असमान्य हैं। हालांकि विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि दोनों पक्षों की ओर से संबंधों को सुधारने का प्रयास जारी है। मगर अभी तक तनाव का क्रम जारी है।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सीमा विवाद जारी रहने पर इसके पीछे की सच्चाई बयां कर दी है। उनके इस बयान से सियासत में हलचल पैदा हो गई है। जनरल मनोज पांडे ने बताया है कि आखिर क्यों सीमा पर बनी चुनौतियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। उन्होंने कहा कि यह चुनौतियां हमें आगे भी उलझाती रहेंगी।
अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे भारी तनावों के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका की यात्रा पर पहुंचे हैं। हालांकि, उन्होंने चीन की वैश्विक छवि से उलट एक अजीब बयान दिया है।
चीन ने एलएसी पर सड़कों, हवाई अड्डों और हेलीपैड का बड़ा नेटवर्क तैयार कर दिया है। चीन ने इस बुनियादी ढांचे का विकास नियंत्रण रेखा पर गलवान और तवांग में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प के बाद किया है। साथ ही सैनिकों की तैनाती भी बढ़ा दी है। पेंटागन की रिपोर्ट में दावा है कि चीन ने भारत सी लगी सीमा पर नए गांव बसाए हैं।
साल 2020 में गलवान में चीन और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प के बाद से अबतक सीमा पर तनाव बना हुआ है। चीन ने सीमा पर बड़ी तैनाती कर रखी है तो वहीं भारत की ओर से भी जवाब दिया जा रहा है।
ब्रिक्स देशों के 15वें शिखर सम्मेलन में संगठन में 6 नए देशों को एंट्री दी गई है। इस सम्मेलन में शी जिनपिंग के साथ एक ऐसा वाकया हुआ जो चर्चा का विषय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के साथ मुलाकात और बैठक हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी और जिनपिंग ने तनाव कम करने को लेकर बातचीत की।
2020 में लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच अबतक तनाव बना हुआ है। दोनों देशों के अधिकारी विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत और चीन के बीच हालात लगातार नाजुक बने हुए हैं। स्वतंत्रता दिवस से 1 दिन पहले सोमवार को दोनों देशों के बीच 19वें दौर की वार्ता होने जा रही है। अब 14 अगस्त को होने वाली इस कोर कमांडर स्तरीय वार्ता पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। इसकी वजह है कि चीन भारतीय सीमा पर अतिक्रमण का इरादा रखता है और वह पीछे हटने को तैयार नहीं है।
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत चीन से 'बेहद जटिल चुनौती' का सामना कर रहा है और नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई प्रयास नहीं हो।
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