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SCO Summit:PM मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की बैठक के बाद भारत-चीन के रिश्तों का "पुनर्जन्म", अमेरिका को तगड़ा झटका

अमेरिका से टैरिफ वार छिड़ने के बाद भारत और चीन ने अपने संबंधों को नया विस्तार देना शुरू कर दिया है। इससे एशिया में अमेरिकी का रणनीति और कूटनीति को बड़ा झटका लगा है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 31, 2025 11:38 am IST, Updated : Aug 31, 2025 06:24 pm IST
चीन के त्येनजिन में द्विपक्षीय बैठक के दौरान पीएम मोदी (बाएं) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (दाएं)- India TV Hindi
Image Source : PTI चीन के त्येनजिन में द्विपक्षीय बैठक के दौरान पीएम मोदी (बाएं) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (दाएं)

त्येनजिन (बीजिंग):  चीन के त्येनजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चल रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रविवार को द्विपक्षीय बैठक हुई। इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजर थी। खासकर अमेरिका पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच होने वाली बैठक पर गहरी निगाह जमाए हुए था। पीएम मोदी और जिनपिंग की बैठक के बाद भारत-चीन के रिश्तों को पुनर्जन्म हुआ है। दोनों देशों ने सीमा विवाद सुलझाने के साथ आपसी संबंधों को गहरा करने के लिए परस्पर व्यापार और यात्रा को प्राथमिकता दी है। भारत और चीन के बीच इस कूटनीतिक दोस्ती के नए आगाज से अमेरिका को रणनीतिक रूप से निश्चित ही बड़ा झटका लगेगा। दोनों देशों ने अपने रिश्तों को आपसी विश्वास और सम्मान के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है।

पीएम मोदी और जिनपिंग की बैठक में क्या हुआ?

प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान सीमा विवाद सुलझाने और बॉर्डर पर शांति और शीलता की स्थापना का ऐलान किया। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान शुरू करने की भी घोषणा की। पीएम मोदी ने जिनपिंग को कहा, " चीन में हमारे जोरदार स्वागत के लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पिछले वर्ष कजान में हमारी बहुत ही सार्थक चर्चा हुई, जिससे हमारे संबंधों को एक सकारात्मक दिशा मिली है। सीमा पर हमारे सैनिकों की वापसी के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। हमारे प्रतिनिधियों के बीच सीमा प्रबंधन पर सहमति बन गई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दो देशों के बीच सीधी फ्लाइट फिर से शुरू की जा रही है।

भारत और चीन के सहयोग से 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े

जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहाकि "हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हुए हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चीन को एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। एक बार फिर चीन यात्रा के निमंत्रण के लिए और आपकी हमारे बैठक के लिए मैं बधाई देता हूं।"

अमेरिका को क्यों लगा झटका?

अमेरिका ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक चीन की दादागिरी को कम करने और उस पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए भारत को अपना रणनीतिक साझेदार बनाया था। अमेरिका को यह बात अच्छी तरह से पता है कि एशिया में सिर्फ भारत ही एक मात्र ऐसा ताकतवर देश है, जो चीन से सीधे टक्कर लेने का साहस रखता है। इसलिए अमेरिका ने पिछले एक दशक में भारत के साथ अपने रिश्तों को और अधिक मजबूती दी थी। क्वाड का गठन भी अमेरिका की इसी रणनीति का हिस्सा थी। मगर अब भारत और चीन के बीच कूटनीतिक दोस्ती होने से समूचे एशिया में अमेरिका की रणनीतिक पकड़ कमजोर हो जाएगी। विशेषकर उसकी ताइवान नीति को बड़ा झटका लेगा। 

भारत और चीन क्यों आए करीब

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले चीन पर 125 फीसदी तक टैरिफ लगाया। इससे अमेरिका और चीन में भीषण टैरिफ और ट्रेड वार शुरू हो गया। चीन ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा दिया। बाद में अमेरिका और चीन के बीच समझौता हो गया। इसी तरह अमेरिका ने ब्राजील, कनाडा, मैक्सिको और जापान समेत अन्य प्रमुख देशों पर भारी टैरिफ लगाया। बाद में अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया। ट्रंप ने पहले भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया और उसके बाद रूस से तेल खरीदने के आरोप में 25 फीसदी अतिरिक्ट टैक्स का ऐलान कर दिया। मगर भारत अमेरिका के सामने झुका नहीं, बल्कि पीएम मोदी ने इसका कूटनीतिक और रणनीतिक जवाब देना शुरू कर दिया। इससे अमेरिका की कोशिशों को बड़ा झटका लगा। चीन के साथ संबंधों में सुधार लाना भी पीएम मोदी की इसी रणनीति और कूटनीति का हिस्सा है। भारत की इस अडिग प्रतिक्रिया से अमेरिका के होश उड़ गए हैं। 

पीएम मोदी ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा, शी को दिया ब्रिक्स का न्योता

जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। इसे पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए चीन और भारत को इसके खिलाफ साथ आने की बात पर भी जोर दिया।उन्होंने राष्ट्रपति शी को भारत में 2026 में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। राष्ट्रपति शी ने आमंत्रण के लिए आभार जताया और BRICS में भारत की अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन का आश्वासन दिया। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन प्रतिद्वंदी नहीं, बल्कि विकास के साझेदार हैं। 

 

 

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