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गुनाह मालिक का और पुलिस कस्टडी में 'बेजुबान', गम में बैलों ने खाना-पीना भी छोड़ दिया, जानें पूरा मामला

पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी बैलों को रखने की है। बैलों को खिलाने-पिलाने की समस्या पुलिस के सामने है। बैल खा भी नहीं रहे हैं। मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की विशेष अदालत ने दोनों बैलों को देखने के बाद विभाग के अधिकारियों को जिम्मेनामा बनाकर किसी किसान को सौंपने को कहा है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Feb 16, 2024 06:49 pm IST, Updated : Feb 16, 2024 09:46 pm IST
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Image Source : IANS बिहार में पुलिस कस्टडी में बैल

बिहार के गोपालगंज जिला के उत्पाद विभाग के लिए दो बैल जी का जंजाल बन गए हैं। उत्पाद विभाग की कस्टडी में पहुंचे दोनों बैलों ने खाना-पीना भी छोड़ दिया है। दरअसल, यह पूरा मामला बिहार के गोपालगंज जिले का है, जहां अपनी मालिक की गलती की सजा दो बैलों को भुगतनी पड़ रही है। उत्पाद विभाग के मालखाना परिसर में खड़े दोनों बैल मालिक की याद में खाना-पीना भी छोड़ चुके हैं। बताया जाता है कि 14 फरवरी को जादोपुर थाने के पतहरा बांध से बैलगाड़ी पर कार्टून में लदी हुई भारी मात्रा में शराब बरामद की गई थी।

बैलगाड़ी से 963 लीटर शराब बरामद

पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि धंधेबाज बैलगाड़ी से शराब की तस्करी कर रहे हैं। पुलिस को देख तस्कर बैलगाड़ी छोड़कर फरार हो गए। उत्पाद विभाग द्वारा जब्त बैलगाड़ी से 963 लीटर शराब बरामद की गई। बैलगाड़ी और दोनों बैलों को उत्पाद विभाग की टीम ने खुद से गाड़ीवान बनकर मालखाना लाया और उत्पाद स्पेशल कोर्ट में बैलों को पेश किया। अब इन बैलों को क्या पता था कि इनका मालिक इनसे कानून के विरुद्ध काम करवा रहा है।

पुलिस के लिए बना परेशानी का कारण

मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की विशेष अदालत ने दोनों बैलों को देखने के बाद विभाग के अधिकारियों को जिम्मेनामा बनाकर किसी किसान को सौंपने को कहा है। फिलहाल, दोनों बैल मालखाना परिसर में उत्पाद विभाग के कस्टडी में हैं। पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी बैलों को रखने की है। बैलों को खिलाने-पिलाने की समस्या पुलिस के सामने है। बैल खा भी नहीं रहे हैं। उत्पाद विभाग के विशेष लोक अभियोजक रविभूषण श्रीवास्तव ने बताया कि बिहार मद्य निषेध कानून धारा-56 में ही जिक्र है कि ऐसे पशु वाहन या पशु, जिनका उपयोग शराब की ढुलाई में किया जा रहा है, उसे जब्त करना है।

जिम्मेनामा लेने को तैयार नहीं हैं किसान

उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि प्रक्रिया पूरी कराते हुए ऐसे पशुओं को भी नीलाम किया जाए। नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने तक दोनों बैल जिम्मेनामा पर किसी किसान को दिए जाएंगे या गौशाला में रखें जाएंगे। दूसरी तरफ किसान जिम्मेनामा लेने को तैयार नहीं हैं। उनका मानना है कि अगर वे बैल ले भी गए तो उनसे काम नहीं ले सकेंगे और बैलों को कुछ हो गया तो अलग कानून से दिक्कत बढ़ेगी। फिलहाल, पुलिस किसी ऐसे किसान की तलाश में है जो इन बैलों का जिम्मेनामा ले सके। (IANS)

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