पटना साहिब विधानसभा सीट पर बीजेपी के रत्नेश कुमार ने 38900 वोट से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 130366 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के शशांत शेखर को 91466 वोट मिले। जन सुराज की विनीता मिश्रा तीसरे स्थान पर रहीं। उन्हें कुल 5263 वोट मिले। यहां पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच माना जा रहा था। इसके अलावा जन सुराज पार्टी को भी प्रमुख दावेदार माना जा रहा था।
पटना साहिब विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने आईआईटी-दिल्ली, आईआईएम-कलकत्ता के पढ़े शशांत शेखर को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसके बाद मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया। हालांकि, बीजेपी ने सात बार के विधायक नंदकिशोर यादव का टिकट काटकर रत्नेश कुशवाहा को मैदान में उतारा और वह जीत हासिल करने में सफल रहे।
पटना साहिब का सियासी समीकरण?
पटना साहिब सीट 2008 के परिसीमन के बाद बनी है। तब से यह बीजेपी का अभेद्य किला बनी हुई है। वर्तमान विधायक नंद किशोर यादव ने यहां से लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं, जो उन्हें बिहार की राजनीति का एक दिग्गज नेता बनाती हैं। हालांकि, उनकी उम्र 72 साल होने के चलते उनका टिकट काट दिया गया और बीजेपी ने नए चेहरे को मौका दिया। वहीं, कांग्रेस ने भी पढ़े-लिखे उम्मीदवार पर भरोसा जताया। पटना साहिब राजनीतिक रूप से यह सीट शहरी मध्यम वर्ग और व्यापारियों का केंद्र है।
पिछले चुनावों में क्या रहा समीकरण?
पटना साहिब में पिछले तीन विधानसभा चुनावों (2010, 2015 और 2020) में बीजेपी का दबदबा रहा है। नंद किशोर यादव ने हर बार जीत दर्ज की है। 2015 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद कांटे का था। बाद में जीत बीजेपी के उम्मीदवार की ही हुई। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता नंद किशोर यादव को इस सीट पर 97,692 वोट मिले थे। नंद किशोर ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण सिंह को 18,300 वोटों से हराया था। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार नंद किशोर यादव को 88,108 वोट मिले थे। आरजेडी उम्मीदवार को 85,3106 वोट मिले थे। इस सीट पर मात्र 2792 वोटों से हार जीत हुई थी। 2010 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के नंद किशोर यादव ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी उम्मीदवार ने कांग्रेस के परवेज अहमद को हराया था।