Sunday, April 28, 2024
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नेवी लीक केस: सीबीआई ने दो आरोपपत्र दाखिल किए, दो सेवारत कमांडर, पूर्व अधिकारियों के नाम

आरोप है कि सेवारत नौसैनिक अधिकारी कथित तौर पर आर्थिक लाभ के बदले सेवानिवृत्त अधिकारियों को गोपनीय जानकारी लीक कर रहे थे।

Abhay Parashar Reported by: Abhay Parashar @abhayparashar
Updated on: November 02, 2021 23:45 IST
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Image Source : PTI FILE नौसेना अधिकारियों को आर्थिक लाभ के बदले गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (CBI) ने दो अलग-अलग नौसैनिक परियोजनाओं के बारे में गोपनीय जानकारी के कथित लीक के संबंध में मंगलवार को दो आरोपपत्र दाखिल किये। यह रक्षा भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे तेज गति से की जाने वाली जांचों में से एक है क्योंकि एजेंसी ने 3 सितंबर को पहली गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गिरफ्तार आरोपियों को आसानी से जमानत न मिले। CBI के एक आरोपपत्र में, नौसैना के सेवानिवृत्त अधिकारियों, कमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर एस जे सिंह के नाम हैं, जबकि दूसरे मामले में, इन दो के अलावा, सेवारत कमांडर अजीत कुमार पांडेय, और हैदराबाद स्थित एलन रीनफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के तीन अधिकारियों, कार्यकारी निदेशक टी पी शास्त्री और निदेशकों एन बी राव और के चंद्रशेखर, को सूचीबद्ध किया गया है।

CBI ने तीन सितंबर से शुरू हुए एक अभियान में दो आरोपी सेवानिवृत्त अधिकारियों, पांडेय, उनके अधीन एक अन्य सेवारत अधिकारी और दो निजी व्यक्तियों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। हिरासत में बंद नौसैनिक अधिकारियों में से एक का नाम आरोपपत्र में नहीं है और उन्हें जल्द ही दाखिल किए जाने वाले पूरक आरोपपत्र में सूचीबद्ध किया जा सकता है। CBI को भ्रष्टाचार के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल करना होता है अन्यथा वे जमानत के पात्र हो जाते हैं। विशेष अपराध के मामले यह सीमा 90 दिन की है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने दो अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किए हैं क्योंकि हम दो अलग-अलग नौसैनिक परियोजनाओं में आरोपियों की भूमिका की जांच कर रहे हैं।’ राउज एवेन्यू में एक विशेष CBI अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोपपत्र में, CBI ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान लगाये हैं।

अधिकारियों ने कहा कि मामला तब शुरू हुआ जब एजेंसी को यह जानकारी मिली कि रूसी किलो क्लास की पनडुब्बियों की रेट्रोफिटिंग पर काम कर रहे नौसेना के पश्चिमी मुख्यालय में सेवारत कुछ अधिकारी नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों से कथित तौर पर प्रभावित हो रहे हैं और उन्हें आर्थिक लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि दो सितंबर को मामला दर्ज करने के बाद CBI ने अगले दिन छापेमारी की, जिस दौरान दो सेवानिवृत्त अधिकारियों कमोडोर रणदीप सिंह और एक कोरियाई पनडुब्बी कंपनी के लिए कार्यरत कमांडर एस जे सिंह को गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान, 2.40 करोड़ रुपये बरामद किये गए जिसमें जाल बिछाने के लिए इस्तेमाल की गई राशि भी शामिल थी। उन्होंने बताया कि बाद की जांच के दौरान CBI ने नौसेना के दो कमांडरों को हिरासत में लिया। अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान एक कथित हवाला डीलर और एक निजी कंपनी के निदेशक को भी हिरासत में लिया गया।

आरोप है कि नौसेना में कमांडर स्तर में सेवारत अधिकारी आर्थिक लाभ के बदले सेवानिवृत्त अधिकारियों को गोपनीय सूचनाएं कथित रूप से लीक कर रहे थे। सूत्रों ने कहा कि आगे की जांच जारी है और कुछ विदेशी नागरिकों की भूमिका जांच के दायरे में है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील और हाई प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों को देखने वाली एजेंसी की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई को सूचना लीक होने का पता लगाने का काम सौंपा गया था, जिसके बाद अभियान शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि इकाई ने गिरफ्तार अधिकारियों और सेवानिवृत्त कर्मियों के नियमित संपर्क में रहने वाले कई अन्य अधिकारियों और भूतपूर्व सैनिकों से पूछताछ की है। उन्होंने कहा कि CBI अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किए गए डिजिटल उत्पादों का फोरेंसिक विश्लेषण कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं निहित स्वार्थ वाले लोगों के हाथ में सूचना तो नहीं गई।

नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘कुछ अनधिकृत कर्मियों द्वारा प्रशासनिक और वाणिज्यिक प्रकृति की कथित सूचना लीक से संबंधित जांच सामने आयी है और उपयुक्त सरकारी एजेंसी द्वारा इसकी जांच की जा रही है।’ उसने कहा था कि एजेंसी द्वारा नौसेना के पूर्ण सहयोग से जांच जारी है। उसने कहा कि नौसेना द्वारा आंतरिक जांच भी की जा रही है। (PTI से इनपुट्स के साथ)

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