Friday, April 19, 2024
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28 years of Baazigar: 'कभी हीरो कभी विलेन' शाहरुख खान यूं बन गए बॉलीवुड के 'बाजीगर'

बाजीगर को इस लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि इसने हीरो के अंदर के कई चरित्र दिखाए। शाहरुख इस फिल्म में एक इंसान के लगभग सभी इमोशन जीते दिखे। 

India TV Entertainment Desk Written by: India TV Entertainment Desk
Published on: November 12, 2021 14:29 IST
28 years of Baazigar- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM 28 years of Baazigar

शाहरुख खान की पहली सुपरहिट फिल्म बाजीगर को आज रिलीज हुए आज 28 साल हो गए हैं। रोमांटिक कैरेक्टर निभाकर करोड़ों फैंस बनाने वाले शाहरुख ने अपने करियर में बाजीगर जैसी फिल्म क्यों चुनी जिसमें उन्हें विलेन यानी एंटी हीरो के रूप में दिखाया गया, ये सवाल आज भी उतना ही जरूरी जान पड़ता है। ये उस जमाने की बात है जब अपने करियर की शुरूआत में गुड लुकिंग हीरो का खलनायिकी से भरा चरित्र स्वीकार करना एक चुनौती ही नहीं जोखिम भी माना जाता था। लेकिन शाहरुख ने इस चुनौती को बखूबी निभाया। प्यार, इकरार, साजिश, बदला, ड्रामा इमोशन, क्या नहीं था इस फिल्म में। ये वो दौर था जब बॉलीवुड पारिवारिक फिल्मों के दौर से उबर कर बाहर निकला था। बाजीगर के जरिए शाहरुख ने कई आयाम बदले, कई परंपराएं तोड़ी और कुछ नई परंपराएं जोड़ भी दी। 

बाजीगर को इस लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि इसने हीरो के अंदर के कई चरित्र दिखाए। शाहरुख इस फिल्म में एक इंसान के लगभग सभी इमोशन जीते दिखे। वो प्रेमी भी बने, विलेन भी बने, एक असहाय मां के बेटे, एक साजिश करने वाला हत्यारा, सच्चा प्यार कर बैठा और अंत में प्रायश्चित करके जान देने वाला प्रेमी। शाहरुख ने एक एंटी हीरो के रूप में शानदार किरदार को जिया और फिल्म का यही प्लॉट लोगों के दिलों में घर कर गया और शाहरुख इस फिल्म के अंत में मरकर भी फैंस के दिलों में जिंदा रहे। 

फिल्म में बोला गया शाहरुख खान का सुपरहिट डायलॉग 'हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं' आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। ये डायलॉग तब इतना फेमस हो गया था कि लोगों की जुबान पर चढ़ गया था। आपकी अदालत में भी शाहरुख खान ने इस संवाद का जिक्र करते हुए कहा था कि वो अपनी जिंदगी में एक वाक्य को बहुत महत्व देते हैं और वो यह है कि ‘हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते है’ इस एक वाक्य में इतनी शक्ति है कि व्यक्ति यदि इस वाक्य में यकीन रखता हो तो कभी भी अपनी जिंदगी में हार नहीं मान सकता है और जब तक हार ना मानी जाए तब तक हार होती नहीं है।

ये फिल्म बॉलीवुड और खुद शाहरुख के लिए इसलिए भी यादगार मानी जा सकती है क्योंकि यहीं से काजोल के रूप में उन्हें सबसे शानदार रील पार्टनर मिला। इस फिल्म में भले ही काजोल उन्हें ना मिल पाई लेकिन इसके बाद की हर फिल्म में शाहरुख काजोल को पाने में कामयाब हुए। 

इस फिल्म के बाद शाहरुख रुके नहीं, वो लगातार एंटी हीरो यानी एंटागॉनिस्ट की भूमिकाएं करते रहे और उनके किरदारों को जनता ने भरपूर सराहा भी। 

इसके बाद आई उनकी 'डर' ने तो और कमाल कर डाला। यहां वो किरण के प्यार को पाने के लिए इतने बेताब दिखे कि एक के बाद एक साजिश करते गए। प्यार में हद पार करने किसे कहते हैं, ऑडियंस ने यहां शिद्दत से महसूस किया। इस फिल्म में हीरो सनी देओल थे लेकिन सारी तारीफे शाहरुख बटोर कर ले गए।

अपने करियर के पीक पर किसी हीरो का ऐसी फिल्म करना कि अंत में उसे मरते देखकर ऑडिएंस कहे - अच्छा हुआ, ये केवल शाहरुख ही कर सकते हैं। वो एक फिल्म में ऑडिएंस को प्यार से भर सकते हैं और दूसरी ही फिल्म में उसी ऑडिएंस को अपने लिए नफरत पैदा करने पर मजबूर कर सकते हैं। 

डर और बाजीगर की सफलता के बाद शाहरुख ने एक और फिल्म की, अंजाम। इसमें उनके साथ माधुरी दीक्षित थी। फिल्म पहली दो फिल्मों जैसी सफलता तो नहीं पा पाई लेकिन शाहरुख के इस रूप को भी दर्शकों से भरपूर नफरत मिली और एक एक्टर के लिए ये उपलब्धि ही मानी जाएगी। इस फिल्म में शाहरुख खान एंटी हीरो नहीं बल्कि विलेन के रूप में ही दिखे और खास बात ये कि उस साल के फिल्म फेयर अवॉर्ड में बेस्ट एक्टर इन निगेटिव रोल का पुरस्कार भी शाहरुख खान ने ही जीता था।

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