
22 दिसंबर 2010 को चैंबूर के यूनियन पार्क में अचानक पुलिस का सायरन बजा। पुलिस गाड़ियों से उतरी और एक बंगले का दरवाजा तोड़ने लगी। हल्ला सुनकर आस-पास लोग मौजूद हो गए। जब पुलिस ने अंदर जाकर देखा तो एक लाश 3 दिनों से अपने अंतिम संस्कार का इंतजार कर रही थी। ये लाश किसी और की नहीं बल्कि बॉलीवुड की सुपरहिट हीरोइन रहीं नालिनी जयवंत की थी। नालिनी जयवंत बॉलीवुड की एक ऐसी धाकड़ एक्ट्रेस जिसने अपने दौर में सिनेमा की सीमाओं को नई बुलंदियों पर पहुंचाया। इतना ही नहीं अपनी धारदार फैशन और दिल छू जाने वाली एक्टिंग से दर्जनों सुपरहिट फिल्में भी दीं। लेकिन अपनी मौत के समय समाज और रिश्तों से सरोकार तोड़ने वाली एक्ट्रेस नलिनी जयवंत ने अकेलापन चुना और बताया जाता है कि मौत के 3 दिन बाद इसकी खबर लोगों को मिल पाई। आज हम आपको बताएंगे बॉलीवुड की धाकड़ एक्ट्रेस रहीं नालिनी जयवंत की जिंदगी की कहानी।
14 साल की उम्र में ही बन गई थीं हीरोइन
बड़ी गहरी और झील सी आंखें, पैनी नाक और तिरछी मुस्कान को जिसने भी पर्दे पर देखा वो दीवाना हो गया। ब्लैक एंड व्हाइट पर्दे से भी जिनकी खूबसूरती उतरकर लोगों के दिलों में समा जाया करती थी। ऐसी थीं नलिनी जयवंत। 18 फरवरी 1926 को मुंबई के एक साधारण परिवार में जन्मी नलिनी बचपन से ही बेहतरीन डांसर रही हैं। नलिनी को डांस का शौक था और यही उनकी जिंदगी में तुरुप का इक्का बन गया। नलिनी जब महज 14 साल की थीं तो उन्हें फिल्म 'बहन' में कास्ट कर लिया गया। यहां से नलिनी का करियर शुरू हुआ और फिर देवानंद, भारत भूषण और दिलीप कुमार जैसे सुपरस्टार्स के साथ खूब जोड़ी जमी। इतना ही नहीं 50 के दशक में नलिनी की शौहरत फलक चूमने लगी और सुपरस्टार बन गईं।
70 फिल्मों में बिखेरा जादू
नलिनी ने अपने करियर में 70 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और खूब शौहरत कमाई। नलिनी ने कई फिल्मों में ऐसे किरदार निभाए कि आज भी उन्हें मिसाल माना जाता है। काला पानी, मुनीमजी, जादू, नास्तिक और मिलन जैसी कई शानदार फिल्मों में अपनी धारदार एक्टिंग और खूबसूरत अदाओं के लिए जाना जाता है। नलिनी ने बेहतरीन किरदारों से लोगों का दिल जीता और करीब 3 दशक तक बॉलीवुड सिनेमा पर राज किया। नलिनी का काजोल से भी खास रिश्ता रहा है। काजोल की ग्रांडमदर शोभना समर्थ और नलिनी चचेरी बहनें हुआ करती थीं।
अकेलेपन में गुजरे आखिरी दिन
नलिनी भले ही अपने दौर की सुपरस्टार रहीं और दर्जनों फिल्मों में वाहवाही बटोरी। लेकिन अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में सामाजिक सरोकार तोड़ लिए थे। इतना ही नहीं नलिनी ने अपने अंतिम दिनों में अकेला रहना पसंद किया। हालांकि चैंम्बू में उनके बंगले में नौकर रहा करते थे लेकिन फिर भी कभी-कभी अकेले ही रहती थीं। बिना किसी से कोई बातचीत के हफ्तों गुजार दिया करती थीं। नलिनी का निधन 2010 में हुआ और करीब 3 दिनों तक इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। मौत की खबर मिलने के बाद लोग वहां पहुंचे। नलिनी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी जिंदगी की कहानियां और फिल्मों की एक्टिंग लोगों के दिलों में राज करती है।