Thursday, May 09, 2024
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क्या एमपी-राजस्थान में नए चेहरे लाने वाली है बीजेपी, टिकट बंटवारे में क्या है पार्टी का बड़ा मैसेज? यहां जानें

भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए फुल एक्शन मोड में आ गई है। पार्टी ने टिकट बंटवारे में मंत्रियों व सांसदों के साथ जो एक्सपेरिमेंट किया है उससे केवल विपक्ष नहीं बल्कि खुद के नेताओं को भी एक बड़ा मैसेज दिया है।

Subhash Kumar Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: September 27, 2023 14:45 IST
सियासी दंगल।- India TV Hindi
Image Source : PTI सियासी दंगल।

इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हो रहे विधानसभा चुनाव को भाजपा और कांग्रेस के बीच सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस अपने पुराने अंदाज में ही तीनों राज्यों में तैयारी कर रही है। तो वहीं, भाजपा एक के बाद एक नए कदम उठाकर इन राज्यों की सियासत और चुनाव को और दिलचस्प बना रही है। हाल के दिनों में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसे कदम उठाए हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में नए चेहरों को पेश करने जा रही है। पर इसका असर क्या होगा? क्या पार्टी को इससे चुनावी फायदा मिलेगा? क्या इतने वर्षों से राज्य का चेहरा रहे नेता बगावत नहीं करेंगे? आइए समझते हैं इस खबर के माध्यम से...

विधानसभा लड़ेंगे दिग्गज।

Image Source : PTI
विधानसभा लड़ेंगे दिग्गज।

एमपी में टिकट बंटवारे ने चौंकाया

भाजपा ने हाल ही में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। इस लिस्ट में पार्टी ने ऐसे चेहरों को जगह दी जिन्होंने सभी को हैरान कर दिया। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद सिंह पटेल को विधानसभा चुनाव में उतारा है। इसके अलावा पार्टी ने चार अन्य सांसदों को भी विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व में अच्छी पकड़ रखने वाले कैलाश विजवर्गीय को भी टिकट दिया गया है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि पार्टी अगली सूची में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी विधानसभा में उतार सकती है। 

सीएम पद के दावेदार।

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सीएम पद के दावेदार।

राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी संकेत
भारतीय जनता पार्टी राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी मध्य प्रदेश का ही फॉर्मूला लागू कर सकती है। माना जा रहा है कि पार्टी राजस्थान में गजेंद्र सिंह शेखावत को भी विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार सकती है। इसके अलावा भी कई अन्य सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है। इससे पहले छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ उनके भतीजे और सांसद विजय बघेल को विधानसभा का टिकट दिया है। 

भाजपा।

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भाजपा।

सीएम फेस के बजाए सामूहिक नेतृत्व
टिकट बंटवारे की नीति ने साफ कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने किसी सीएम के चेहरे के बजाय सामूहिक नेतृत्व पर भरोसा दिखाया है। मध्य प्रदेश में जिन केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों को टिकट दिया गया है उनमें से हर नेता अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधि है। ऐसे में ये बात साफ है कि भाजपा अगर चुनाव जीतती है तो शिवराज के अलावा भी सीएम पद की दावेदारी के लिए कई दिग्गज नेता दम भरेंगे। बता दें कि 2017 में भाजपा ने सामूहिक नेतृत्व के साथ ही उत्तर प्रदेश में अपना वनवास खत्म किया था। 

भाजपा।

Image Source : ANI
भाजपा।

क्या इस फॉर्मूले से मिलेगा फायदा?
ऐसा नहीं है कि भाजपा ने पहली बार इस तरह का फॉर्मूला प्रयोग में लाया है। साल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने अपने पांच लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को टिकट दिया था। इनमें से सांसद जगन्नाथ सरकार और निसिथ प्रमाणिक ही अपनी विधानसभा सीट जीत पाए थे। चुनाव में बीजेपी के अहम नेता स्वपन दासगुप्ता, लॉकेट चटर्जी और बाबुल सुप्रियो हार गए थे। इसी प्रकार राज्यसभा सांसद रहे सुरेश गोपी त्रिशूर से पूर्व केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस कांजीरापल्ली सीट से चुनाव हार चुके हैं। साल 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने करहल की हाई-प्रोफाइल सीट से अखिलेश यादव के खिलाफ केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को टिकट दिया। वो भी चुनाव हार गए। हालांकि, बीजेपी ने सांसद प्रतिमा भौमिक को त्रिपुरा की धनपुर सीट से विधानसभा का टिकट दिया। यहां पार्टी चुनाव जीत गई। इस कारण इस फॉर्मूले पर जीत फिक्स तो नहीं है। 

भाजपा।

Image Source : ANI
भाजपा।

कहीं बगावत तो नहीं होगी?
अगर छत्तीसगढ़ को हटा दें तो एमपी से शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान से वसुंधरा राजे सिंधिया दोनों ही बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं। दोनों के पास राज्य में अपना जनसमर्थन भी है। दोनों नेताओं ने अब तक केंद्रीय नेतृत्व को चुनौती नहीं दी है। शिवराज पहले भी कह चुके हैं कि अगर पार्टी उनसे कार्यक्रमों में कालीन बिछाने को कहेगी तो वह वो भी करेंगे। वह पार्टी के निर्णय का हमेशा सम्मान करते हैं। हालांकि, वसुंधरा राजे के समर्थक नेता समय-समय पर अपने बयानों से पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी को साबित करते रहे हैं। पार्टी के कई कार्यक्रमों से वसुंधरा का गायब रहना भी इस बात को हवा देता है।

सीएम पद के दावेदार।

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सीएम पद के दावेदार।

कौन हैं इन राज्यों में सीएम फेस?
मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पार्टी में नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रहलाद सिंह पटेल दिग्गज उम्मीदवार हैं। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व के करीबी कैलाश विजयवर्गीय सीएम पद के लिए पहली पसंद हो सकते हैं। इसके अलावा राज्य में अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी किसी से पीछे नहीं हैं। वहीं, राजस्थान में वसुंधरा की जगह गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और अर्जुन राम मेघवाल का नाम भी चर्चा में रहता है। 

वसुंधरा व शिवराज

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वसुंधरा व शिवराज।

क्या होगो वसुंधरा-शिवराज का?
विधानसभा चुनाव की स्थिति जो भी हो पर भाजपा ने इस बार साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी किसी एक चेहरे के भरोसे चुनावी मैदान में नहीं उतरने वाली। चुनाव के बाद पार्टी वसुंधरा व शिवराज दोनों को ही केंद्रीय स्तर पर जिम्मेदारी संभालने के लिए दिल्ली बुला सकती है। खुले तौर नहीं पर अंदरखाने से पार्टी पहले भी कई बार ऐसी कोशिश कर चुकी है। 

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