
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को आयातित (इम्पोर्टेड) कारों और ऑटो पार्ट्स पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। ओवल ऑफिस में आयोजित एक कार्यक्रम में ट्रम्प ने कहा कि हम आज एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, जिससे ऑटोमोबाइल उद्योग में जबरदस्त वृद्धि होगी। हम जो करने जा रहे हैं, वह उन सभी कारों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाना है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में नहीं बनी हैं। अगर वे संयुक्त राज्य अमेरिका में बनी हैं, तो उन पर बिल्कुल भी टैरिफ नहीं लगेगा।
खबर के मुताबिक, यह अतिरिक्त टैरिफ 3 अप्रैल से लागू हो जाएगा। आशंका है कि इससे ऑटोमेकर्स को बढ़ती लागत और कम बिक्री का सामना करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि इस फैसले से मैक्सिको, कनाडा, दक्षिण कोरिया, जापान और जर्मनी जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार और सहयोगी प्रभावित होंगे। पिछले साल अमेरिका ने करीब 8 मिलियन कारें और हल्के ट्रक आयात किए, जिनकी कीमत 244 अरब डॉलर थी। इसमें मेक्सिको, जापान और दक्षिण कोरिया सबसे बड़े सोर्स थे। ऑटो पार्ट्स का आयात कुल 197 अरब डॉलर से अधिक था, जो मुख्य रूप से मेक्सिको, कनाडा और चीन से आया था।
आखिर क्या हैं इस ऐलान के मायने
रेवेन्यू में होगी बढ़ोतरी
डोनाल्ड ट्रम्प का तर्क है कि अमेरिका में नहीं बनने वाली कारों पर नए टैरिफ लागू होने से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और सालाना 100 अरब डॉलर का रेवेन्यू आएगा। एडमिनिस्ट्रेशन का मानना है कि इस रेवेन्यू से बजट घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। अमेरिकी उद्योगों को सहायता देने में मदद मिल सकती है। हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि लागत बढ़ेगी तो उपभोक्ता मांग और आर्थिक ग्रोथ को नुकसान पहुंच सकता है।
कारों की बढ़ेंगी कीमतें
सीएनएन की खबर के मुताबिक, जानकारों का मानना है कि ऑटो टैरिफ में पार्ट्स भी शामिल हैं, इसलिए वे नई कारों की कीमतों में हजारों डॉलर की बढ़ोतरी कर सकते हैं। पूरी तरह से अमेरिकी कार जैसी कोई चीज नहीं है, क्योंकि सभी अपनी सामग्री के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए मैक्सिको और कनाडा के पार्ट्स पर निर्भर हैं। मिशिगन स्थित थिंक टैंक एंडरसन इकोनॉमिक ग्रुप के विश्लेषण के मुताबिक, अमेरिकी प्लांट में बनी गाड़ियों के उत्पादन की लागत में प्रत्येक में 3,500 डॉलर से लेकर 12,000 डॉलर तक की वृद्धि होगी। मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को नई गाड़ियां खरीदने में दिक्कत हो सकती है।
मैनुफैक्चरिंग में बदलाव
ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि टैरिफ लागू होने से ऑटोमेकर्स को अपना प्रोडक्शन अमेरिका में शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे नौकरियां पैदा होंगी। ट्रम्प ने लुइसियाना में हुंडई के 5.8 अरब डॉलर के स्टील प्लांट का हवाला दिया।
लंबी अवधि को लेकर अनिश्चतता
व्हाइट हाउस मानता कि टैरिफ से अमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि सप्लाई चेन के पुनर्गठन में समय लगता है। कम समय में, ऑटोमोबाइल कंपनियों और उपभोक्ताओं को ज्यादा लागतों का सामना करना पड़ सकता है। किसी भी लाभ के वास्तविक होने से पहले नौकरी छूट सकती है।
ऑटोमोबाइल कंपनियों पर होगा असर
अमेरिकी और विदेशी कार निर्माता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर हैं, जिनमें से कई हिस्से मेक्सिको, कनाडा और एशिया में बनते हैं। वाहन निर्माताओं को अब या तो उच्च लागतों को वहन करना होगा, उन्हें उपभोक्ताओं पर डालना होगा, या विनिर्माण को पुनर्गठित करना होगा, जिसमें कई साल लग सकते हैं। राष्ट्रपति की घोषणा से उस उद्योग को झटका लगेगा, जो विशेष रूप से अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा के बीच मुक्त व्यापार पर निर्भर हो गया है। एक अमेरिकी थिंक टैंक, लिब्रटैरियन कैटो इंस्टीट्यूट का कहना है कि सभी कार पार्ट्स और बॉडी का 54 प्रतिशत हिस्सा मेक्सिको और कनाडा से अमेरिका में आता है।
आर्थिक व्यवधानों की चेतावनी
ट्रम्प के इस फैसले का कनाडा और यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने आलोचना की। उन्होंने आर्थिक व्यवधानों की चेतावनी दी। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कनाडाई व्यवसायों की रक्षा करने की कसम खाई, जबकि यूरोपीय संघ ने उपभोक्ताओं और व्यापार संबंधों को नुकसान की चेतावनी दी। टैरिफ से वैश्विक व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है, और अन्य देश भी जवाबी उपाय लागू कर सकते हैं।
अमेरिका ने 2024 में किया इतने का आयात
अमेरिका ने साल 2024 में 474 अरब डॉलर के ऑटोमोटिव उत्पाद आयात किए, जिसमें 220 अरब डॉलर की यात्री कारें शामिल हैं। मेक्सिको, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा और जर्मनी, जो सभी अमेरिका के करीबी सहयोगी हैं, सबसे बड़े सप्लायर थे।