सौ सुनार की और एक लोहार की। भारतीय महिला टीम पर यह कहावत पूरी तरह से ठीक बैठती है। अब भारतीय टीम ने महिला वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में साउथ अफ्रीका को धूल चटाकर आलोचकों के मुंह पर जोरदार थप्पड़ मारा है, जो लोग यह सोच कर बैठे थे कि भारतीय टीम ट्रॉफी नहीं जीत पाएगी अब उन्हें करारा जवाब मिला है। फाइनल में मिली जीत से पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। महिला वर्ल्ड कप की शुरुआत 1973 में हुई थी। अब 52 साल बाद हिन्दुस्तान के लिए खुशी का त्योहार आया, जब हर जगह पटाखे फोड़े गए और आतिशबाजी की गई। फाइनल में मिली जीत युवा महिला प्लेयर्स के लिए एक ऐसी नींव डालेगी, जिस पर बाद में वह बड़ा महल खड़ा कर सकेंगी। लेकिन भारत को यह जीत अचानक से नहीं मिली। क्योंकि भारत ने लीग स्टेज में मिली लगातार हार के बाद मजबूत हौसले, फौलादी इरादे और दृढ़ साहस से वापसी की। फिर सेमीफाइनल और फाइनल में मजबूत टीमों को पटखनी दी। टीम की जीत में दीप्ति शर्मा, हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा ने अहम रोल निभाया और भारतीय टीम की नाव पार लगा दी।
भारत ने दो जीत के साथ की थी धमाकेदार शुरुआत
महिला वर्ल्ड कप 2025 में भारतीय टीम की शुरुआत बहुत ही शानदार रही, जब उसने पहले ही मुकाबले में श्रीलंका को डकवर्थ लुईस नियम से 59 रनों से हरा दिया। इस मैच में दीप्ति शर्मा ने कमाल का प्रदर्शन किया। उन्होंने पहले अर्धशतक लगाते हुए 53 रनों की पारी खेली और इसके बाद तीन विकेट भी हासिल किए। फिर टीम इंडिया ने दूसरे मुकाबले में पड़ोसी पाकिस्तान को 88 रनों से धमाकेदार अंदाज में धूल चटा दी। मैच में युवा क्रांति गौड़ ने 10 ओवर में 20 रन देकर तीन विकेट झटके और उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड भी मिला था। भारतीय टीम दो मैच जीत चुकी थी और उसके लिए सब अच्छा चल रहा था।
ग्रुप स्टेज में भारत ने हारे थे लगातार तीन मुकाबले
इसके बाद भारतीय टीम की गाड़ी जीत की पटरी से उतर गई और उसे साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीन विकेट से हार का मुंह देखना पड़ा। मैच में भारत ने ऋचा घोष की 94 रनों की पारी की बदौलत 251 रनों का स्कोर बनाया था और एक समय भारतीय टीम मैच जीतने की स्थिति में पहुंच भी गई थी। लेकिन अंत में अफ्रीकी खिलाड़ी नादिन डि क्लार्क ने 54 गेंदों में 84 रन बना डाले, जिसमें पांच छक्के शामिल रहे। उन्होंने भारतीय टीम के मुंह से जीत छीन ली।
फिर भारतीय क्रिकेट टीम का सामना मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम से हुआ। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 330 रनों का बड़ा स्कोर बनाया। प्रतिका रावल (75 रन) और स्मृति मंधाना (80 रन) ने दमदार अर्धशतक लगाए और विरोधी गेंदबाजों की जमकर धज्जियां उड़ाई। लेकिन मैच में भारतीय बॉलर्स मन मुताबिक प्रदर्शन किया। फिर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एलिसा हीली ने 142 रनों की पारी खेली अपनी टीम को मैच 3 विकेट से जिता दिया।
इसके बाद भारत को इंग्लैंड के खिलाफ चार रनों के करीबी अंतर से शिकस्त झेलनी पड़ी। मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 288 रन बनाए। इसके बाद भारत के लिए स्मृति मंधाना (88 रन) और हरमनप्रीत कौर (70 रन) ने अच्छी बल्लेबाजी की और दोनों ही प्लेयर्स ने अर्धशतक ठोके। लेकिन निचले क्रम की बल्लेबाज अच्छा नहीं कर पाईं। इसी से भारतीय टीम मामूली अंतर से हार गई।

न्यूजीलैंड को हराकर सेमीफाइनल में पहुंची थी भारतीय टीम
ग्रुप स्टेज में साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से मिली लगातार तीन हार के बाद भारतीय टीम का सेमीफाइनल में पहुंचना मुश्किल नजर आ रहा था। उसके लिए सेमीफाइनल के दरवाजे लगभग बंद हो चुके थे। इस स्थिति में उसे न्यूजीलैंड के खिलाफ हर हाल में जीत दर्ज करनी थी। तब भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ ऐसा खेल दिखाया, जिसकी मिशाल बहुत ही कम देखने को मिलती है। मैच में टीम इंडिया ने पहले बैटिंग करते हुए कुल 340 रन बनाए। टीम के लिए ओपनर प्रतिका रावल (122 रन) और स्मृति मंधाना (109 रन) दोनों ने ही शतक लगाए। जेमिमा रोड्रिगेज ने भी अर्धशतक जड़ा। फिर हिमालय जैसे टारगेट को न्यूजीलैंड की टीम हासिल नहीं कर पाई। मैच में बारिश ने भी खलल डाला था। फिर भारत ने मैच 53 रनों से डकवर्थ लुईस नियम से जीत लिया और सेमीफाइनल का टिकट कटा लिया।
फिर बांग्लादेश के खिलाफ भारत का मैच बारिश की वजह से रद्द हो गया। लेकिन इस मैच में स्टार खिलाड़ी प्रतिका रावल चोटिल हो गईं और उनकी जगह फिर शेफाली वर्मा की स्क्वाड में एंट्री करवाई गई। प्रतिका का चोटिल होना टीम के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि वह अच्छी लय में चल रही थीं और उनके बल्ले से खूब रन निकल रहे थे।
जेमिमा रोड्रिगेज ने सेमीफाइनल में शतक लगाकर दिलाई जीत
भारतीय टीम सेमीफाइनल में तो पहुंच गई थी, लेकिन उसकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही थी, क्योंकि सेमीफाइनल में उसे ऑस्ट्रेलियाई टीम से भिड़ना था, जिसके सामने भारतीय टीम का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा था। मैच शुरू होने तक भारतीय टीम जीत भी सकती है, कोई भी ऐसा नहीं मान रहा था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने फोएबे लिचफील्ड (119) के शतक की बदौलत 338 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य खड़ा किया। फिर स्मृति मंधाना 24 रन बनाकर आउट हो गईं। ऐसे में मैच देखने वाले सभी भारतीय क्रिकेट फैंस के मन में तय हो चुका था कि टीम शायद ही टारगेट चेज कर पाए। लेकिन जेमिमा रोड्रिगेज और हरमनप्रीत कौर कुछ और ही सोचकर मैदान पर आई थीं। इन दोनों प्लेयर्स ने बहुत ही सधी बल्लेबाजी का नमूना पेश किया और बड़े स्ट्रोक ना खेलकर, जमीनी शॉट लगाए। हरमनप्रीत तो 89 रन बनाकर आउट हो गईं और शतक से चूक गई, लेकिन जेमिमा एक छोर पर टिकी रहीं और शतक पूरा होने के बाद भी उन्होंने जश्न नहीं मनाया, क्योंकि उन्हें पता था मंजिल अभी दूर है।
इसके बाद दीप्ति शर्मा ने मैच में 17 गेंदों में 24 रन बनाए। वहीं ऋचा घोष ने 16 गेंदों में 26 रन बनाए। इन प्लेयर्स ने जेमिमा का अच्छा साथ निभाया और 7 बार की वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से पटखनी दी। जेमिमा ने मैच में 127 रन बनाए, जिसमें 14 चौके शामिल रहे। अच्छे खेल के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच अवॉर्ड दिया गया।
शेफाली वर्मा ने फाइनल में किया प्रभावित
महिला वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में भारत का सामना साउथ अफ्रीका से हुआ। इस मैच में भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 298 रन बनाए। स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा ने पहले विकेट के लिए 104 रनों की साझेदारी करके ही बड़े स्कोर की नींव रख दी थी। शेफाली ने 78 रनों की शानदार पारी खेली। उनके अलावा निचले क्रम पर उतर कर दीप्ति शर्मा ने भी 58 रन बनाए। ऋचा घोष ने 24 गेंदों में 34 रन बनाए, जिसमें तीन चौके और दो छक्के शामिल रहे। इन प्लयेर्स की वजह से ही टीम बड़े स्कोर तक पहुंच पाई।
लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका के लिए सिर्फ लौरा वोल्वार्ट ने ही अच्छा खेल दिखाया। बाकी सभी बल्लेबाज बुरी तरह से फ्लॉप रही। दीप्ति शर्मा ने मिडिल ओवर्स में कमाल की गेंदबाजी की और उन्होंने विरोधी टीम के बैटिंग ऑर्डर को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने मैच में पांच विकेट झटके। वहीं शेफाली वर्मा ने भी 7 ओवर गेंदबाजी की और 36 रन देकर दो अहम विकेट चटकाए। इन दोनों गेंदबाजों को खेलना साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों के लिए टेढ़ी खीर रहा और पूरी टीम 246 रनों पर सिमट और टीम इंडिया ने इसी के साथ 52 रनों से मुकाबला जीतकर पहली बार वर्ल्ड कप जीत लिया।
