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Explainer: बांग्लादेश में क्यों मचा है हंगामा! सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों की क्या है मांग? यहां जानें सबकुछ

बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर पिछले कई दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शन ने सोमवार को निर्णायक मोड़ ले लिया। हालात ऐसे बन गए कि पीएम शेख हसीना ने देश छोड़ दिया। तख्तापलट हो गया और इस बीच सेना ने ऐलान किया कि वो अंतरिम सरकार बनाएगी।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Aug 05, 2024 18:00 IST, Updated : Aug 05, 2024 18:00 IST
Bangladesh Violence- India TV Hindi
Image Source : AP Bangladesh Violence

Bangladesh Violent Protests: भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया है। आरक्षण की एक चिंगारी देखते ही देखते आग बनकर धधकने लगी और प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया। हिंसा और विरोध के बीच हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और फिर देश भी छोड़ दिया। हसीना की तरफ से इस्तीफा दिए जाने के बाद सेना ने मोर्चा संभाला है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकर-उज-जमान ने ऐलान किया है कि देश में सेना अंतरिम सरकार बनाएगी। सेना प्रमुख ने लोगों से शांति बनाए रखने और प्रदर्शनकारियों की बात पर विचार करने की बात कही है। 

इस वजह से भड़की हिंसा

बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में दिए गए आरक्षण के विरोध में एक जुलाई से प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। इससे पहले पांच जून को ढाका हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए आरक्षण की व्यवस्था को फिर से लागू करने का आदेश दिया था। यही वो वजह बनी जिसके बाद पूरे बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर विद्रोह शुरू हो गया था। विरोध कदर बढ़ा कि हालात तख्तापलट तक पहुंच गए। तो चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर बांग्लादेश में हंगामा और बवाल क्यों मचा साथ ही प्रदर्शनकारियों मांग क्या है। 

ये है सच्चाई

सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर बांग्लादेश के तमाम शहरों में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। हालात किस कदर बेकाबू हुए इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है। ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फर्स्ट और सेकंड क्लास की सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शन में अग्रणी भूमिका निभाई है। छात्रों की मांग है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में सुधार करते हुए प्रतिभा के आधार पर सीटें भरी जाएं। हालांकि, देखा जाए तो छात्र जिस आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं वह मौजूदा समय में है ही नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए  30 फीसदी आरक्षण लागू करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई हुई है।

Violence in Bangladesh

Image Source : AP
Violence in Bangladesh

सियासी दलों की एंट्री से बिगड़े हालात

शुरुआती दिनों की बात करें तो छात्रों का प्रदर्शन काफी शांतिपूर्ण था लेकिन बाद में इसमें विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी समेत कई विपक्षी दलों की भी एंट्री हो गई। इस बाद विपक्ष के छात्र संगठनों और सत्ता पक्ष के छात्र संगठनों में हुई झड़पों के बाद प्रदर्शन हिंसक होते चले गए।

बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था

बांग्लादेश में 30 फीसदी नौकरियां 1971 में स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए, प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए 5 प्रतिशत और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए 1 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित रही हैं। आरक्षण व्यवस्था के तहत महिलाओं, दिव्यांगों और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है। इस रिजर्वेशन सिस्टम को 2018 में निलंबित कर दिया गया था, जिससे उस समय इसी तरह के विरोध प्रदर्शन रुक गए थे।

मेरिट वाले छात्रों को होता है नुकसान

बता दें कि, बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले नायकों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत कोटा बहाल करने का आदेश दिया था। कोर्ट के इस आदेश के बाद 2018 से बंद व्यवस्था के फिर से शुरू होने के बाद नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारी दिव्यांग लोगों और जातीय समूहों के लिए 6 प्रतिशत कोटे का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वो स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों के आरक्षण के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि आंदोलन के नायकों की तीसरी पीढ़ी को आरक्षण क्यों दिया जाए। उनका कहना है कि इस व्यवस्था से मेरिट वाले छात्रों को नुकसान होता है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।

Bangladesh Reservation Protest

Image Source : FILE AP
Bangladesh Reservation Protest

शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश

बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी और चीफ जस्टिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा था कि वो विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर अपनी कक्षाओं में वापस लौट जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह चार हफ्ते के बाद इस मुद्दे पर फैसला करेगा। इसके बावजूद छात्रों के विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी रहा। इसे बाद तो बांग्लादेश में हालत संभले ही नहीं। आगजनी, हिंसा और विरोध प्रदर्शन की खबरें लगातार सामने आईं...और अब हालात यहां तक पहुंच गए कि पीएम शेख हसीना को देश तक छोड़ना पड़ा। 

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