Thursday, March 28, 2024
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बढ़ रहीं धड़कनें, तपोवन टनल में फंसे अपनों के बारे में किसी अच्छी खबर का इंतजार कर रहे परिवार के लोग

तपोवन टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है। आईटीबीपी ने एक बयान जारी कर रहा कि सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर टनल को साफ करने का काम जारी है जिससे अंदर फंसे मजदूरों को निकाला जा सके।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 09, 2021 23:48 IST
Families await reunion with loved ones trapped in Tapovan tunnel- India TV Hindi
Image Source : PTI तपोवन टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है।

तपोवन: तपोवन टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है। आईटीबीपी ने एक बयान जारी कर रहा कि सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर टनल को साफ करने का काम जारी है जिससे अंदर फंसे मजदूरों को निकाला जा सके। वहीं एनटीपीसी के तबाह हो गए बांध के पास छोटी बस्ती में कई परिवार को टनल के भीतर फंसे अपनों के बारे में खुशखबरी का इंतजार है। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को हिमखंड टूटने की त्रासदी के बाद तपोवन की टनल में फंसे लोगों के रिश्तेदारों को उनके सकुशल निकलने का इंतजार है। परियोजना से जुड़ी टनल के भीतर फंसे 30-35 लोगों को निकालने के लिए अभियान में कई एजेंसियां जुटी हुई हैं। 

कांचुला गांव के दीपक नगवाल के बहनोई सतेश्वर सिंह टनल के भीतर मेकैनिक का काम करते थे। हिमखंड के टूटने के समय सतेश्वर टनल के भीतर ही थे। आपदा के बाद से उनका कोई पता नहीं चल पाया है। दीपक के बहनोई के बड़े भाई और अन्य परिजन तपोवन के पास अपने रिश्तेदार के बारे में किसी अच्छी खबर सुनने के इंतजार में रूके हैं। जब भी कोई सुरक्षाकर्मी सामने आता है तो वे उनकी खोज-खबर लेते हैं। हालांकि, अब तक उन्हें सतेश्वर के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। 

चमोली के किमाना गांव के तीन लोग भी टनल में फंसे हैं। गांव के 40 से ज्यादा लोग तपोवन में उनकी राह देख रहे हैं। किमाना गांव के दर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि उनके तीन रिश्तेदार-अरविंद सिंह, रामकिशन सिंह और रोहित सिंह सुरंग के भीतर फंसे हैं। टनल के भीतर फंसे कुछ और लोगों के परिवारों को अपनों के बारे में किसी सूचना का इंतजार है। टनल के द्वार के पास खड़े डाक गांव के विजय सिंह बिष्ट ने कहा कि वह अपने भाई डी एस बिष्ट के बारे में जानना चाहते हैं और समय बीतने के साथ उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है।

करचौन गांव के भवन सिंह फर्सवान भी अपने गांव के एक व्यक्ति की तलाश में टनल के पास ही थे। उन्होंने कहा कि रैनी में परियोजना स्थल के तबाह होने के बाद से उनके परिवार के दो लोग लापता हैं। दतुनू के अमर सिंह भी अपने गांव के कुछ लोगों की खैरियत के बारे में जानना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद से समूचा गांव सदमे में है। 

सिंह ने कहा, ‘‘मेरे गांव के कुल 25 लोग एनटीपीसी परियोजना स्थल पर काम करते थे। आपदा के दिन उनमें से छह लोगों की छुट्टी थी, लेकिन बाकी लोग सुरंग के भीतर फंस गए।’’ ऋषि गंगा परियोजना स्थल से 46 लोग लापता हुए। वहां भी लापता लोगों के परिजन अपनों के बारे में किसी अच्छी खबर का इंतजार कर रहे हैं। उत्तराखंड में हिमखंड टूटने के बाद हादसे में पांच और शव मिलने के साथ मृतकों की संख्या 31 हो गयी है जबकि 175 लोग अभी लापता हैं।

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