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अगड़ी जाति को आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन? मद्रास हाईकोर्ट ने कहा-संभावना तलाशें

मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को अगड़े समुदाय के लोगों को उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरी में उनके आर्थिक आधार पर आरक्षण मुहैया करने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Dec 16, 2017 07:34 pm IST, Updated : Dec 16, 2017 07:46 pm IST
Madras Highcourt- India TV Hindi
Madras Highcourt

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को अगड़े समुदाय के लोगों को उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरी में उनके आर्थिक आधार पर आरक्षण मुहैया करने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया है। अदालत ने अगड़े समुदाय के 14 छात्रों की एक याचिका पर यह टिप्पणी की। याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में खुली श्रेणी के लिए रखी गई एमबीबीएस सीटें बीसी और एमबीसी श्रेणियों को हस्तांतरित करना अवैध, मनमाना है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।

 

यह याचिका जब सुनवाई के लिये आयी तो न्यायमूर्ति किरबाकरन ने कहा, ‘‘तथाकथित अगड़े समुदायों में गरीब की अब तक अनदेखी की गई है और सामाजिक न्याय के नाम पर विरोधी स्वर उठने के डर से उनके बारे में कोई नहीं बोल सकता।’’ न्यायाधीश ने कहा कि सामाजिक न्याय समाज के हर तबके को मिलना चाहिए। अदालत ने सरकार को निर्देश देते हुए यह बताने को कहा कि अगड़े समुदाय के लोगों को उनके आर्थिक दर्जे के आधार पर आरक्षण देना क्या संभव है। 

हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अगड़ी जाति में गरीबों को अब तक नजरअंदाज किया गया है। कोई उनके हक में इस डर के चलते आवाज नहीं उठाता कि ऐसा करने पर सामाजिक न्याय के नाम पर उनका विरोध होने लगेगा। कोर्ट ने कहा, ‘सामाजिक न्याय समाज के हर वर्ग को मिलना चाहिए। गरीब, गरीब होता है। फिर चाहे वह अगड़ी जाति से हो या पिछड़ी जाति से।‘ 

 

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