Sunday, May 12, 2024
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PM के बाद, अब नीति आयोग ने लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर दिया जोर

नीति आयोग ने वर्ष 2024 से लोकसभा और विधानसभाओं के लिए दो चरणों में चुनाव करवाने का समर्थन किया है ताकि चुनाव प्रचार के कारण शासन में कम से कम व्यवधान सुनिश्चत हो सके। सरकारी थिंक टैंक ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभा, दोनों चुनाव एक साथ कराना राष्ट्री

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 27, 2017 21:25 IST
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नई दिल्ली: नीति आयोग ने वर्ष 2024 से लोकसभा और विधानसभाओं के लिए दो चरणों में चुनाव करवाने का समर्थन किया है ताकि चुनाव प्रचार के कारण शासन में कम से कम व्यवधान सुनिश्चत हो सके। सरकारी थिंक टैंक ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभा, दोनों चुनाव एक साथ कराना राष्ट्रीय हित में होगा। इसके साथ ही निकाय ने विशेषज्ञों का एक समूह गठित किए जाने का सुझााव दिया है जो इस संबंध में सिफारिशें करेगा।

आयोग ने कहा, हम 2024 में लोकसभा चुनाव से एक साथ दो चरणों में चुनाव कराने की ओर आगे बढ़ सकते हैं। इसमें अधिकतम एक बार कुछ विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती करनी होगी या कुछ को कार्यकाल विस्तार देना होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्र हित में इसे लागू करने के लिए संविधान और इस मामले पर विशेषज्ञों, थिंक टैंक, सरकारी अधिकारियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों सहित पक्षकारों का एक विशेष समूह गठित किया जाना चाहिए जो इसे लागू करने संबंधी सिफारिश करेगा।

तीन वर्ष का कार्य एजेंडा, 2017-2018 से 2019-2020 शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है, इसमें संवैधानिक और वैधानिक संशोधनों के लिए मसौदा तैयार करना, एक साथ चुनाव कराने के लिए संभव कार्ययोजना तैयार करना, पक्षकारों के साथ बातचीत के लिए योजना बनाना और अन्य जानकारियां जुटाना शामिल होगा।

नीति आयोग ने इन सिफारिशों का अध्ययन करने और इस संबंध में मार्च 2018 की समय सीमा तय करने के लिए निर्वाचन आयोग को नोडल एजेंसी बनाने का सुझााव दिया है। आयोग की सिफारिशें इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गयी हैं क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों ने लोकसभा तथा विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराने का समर्थन किया है।

प्रधानमंत्री मोदी कई बार इसके पक्ष में बोल चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर प्रस्ताव उपयुक्त नहीं हो तो इसे खारिज किया जा सकता है लेकिन इस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने हालांकि जोर दिया था कि इस बारे में कोई फैसला सरकार द्वारा नहीं थोपा जाना चाहिए।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर अपने भाषण में मुखर्जी ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने की बात कही थी। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था, चुनावी सुधार पर सकारात्मक चर्चा का वक्त आ गया है। समय आ गया है कि दशकों पुराने समय में लौट जाएं, जब स्वतंत्रता के तुरंत बाद लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ होते थे। उन्होंने कहा था, अब निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श कर इसे आगे बढ़ाना है।

मोदी ने फरवरी में भी दोनों चुनाव एक साथ कराने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि इससे खर्च कम होगा। उन्होंनें कहा था कि राजनीतिक दल इसे अन्य नजरिये से न देखें। उन्होंने कहा था एक पार्टी या सरकार यह नहीं कर सकती। हम सबको मिल कर एक रास्ता खोजना होगा। उन्होंने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा था कि अक्सर चुनाव होते रहते हैं और इस पर बड़ी राशि खर्च होती है। मोदी ने कहा था कि वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव पर 1,100 करोड़ रूपये खर्च हुए और वर्ष 2014 में यह खर्च बढ़ कर 4,000 करोड़ रूपये हो गया।

उन्होंने कहा था कि बड़ी संख्या में शिक्षकों सहित एक करोड़ से अधिक सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया में शामिल होते हैं। यह सिलसिला जारी रहने पर शिक्षा के क्षेत्र को अधिकतम नुकसान होता है। मोदी ने कहा था कि सुरक्षा बलों को भी चुनाव कार्य में लगाना पड़ता है जबकि देश के दुश्मन देश के खिलाफ साजिश रच रहे हैं और आतंकवादी बड़ा खतरा बने हुए हैं।

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