Friday, April 19, 2024
Advertisement

Rajat Sharma's Blog: काशी, मथुरा से सीखो उद्धव, खोलो मंदिर के द्वार

चूंकि मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड़ा है, इसलिए इस पर सियासत भी जमकर हो रही है। पिछले एक हफ्ते से मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और बहुजन वंचित आघाड़ी के समर्थकों ने कई शहरों में प्रदर्शन किया, वे यह मांग कर रहे हैं कि पूजा स्थलों को फिर से खोला जाए। 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 14, 2020 16:58 IST
Rajat Sharma's Blog: काशी, मथुरा से सीखो उद्धव, खोलो मंदिर के द्वार- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: काशी, मथुरा से सीखो उद्धव, खोलो मंदिर के द्वार

महाराष्ट्र में मार्च के अंतिम सप्ताह से सभी धार्मिक स्थान बंद हैं। कोरोना वायरस महामारी की वजह से जब देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था, उसी समय इन धार्मिक स्थानों को भी बंद कर दिया गया था। अब छह महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। राजनीतिक और धार्मिक संगठनों की बार-बार मांग के बावजूद महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने मंदिरों को फिर से खोलने से इनकार कर दिया है। वहीं राज्य में बार, शराब की दुकानें और रेस्तरां फिर से खोल दिए गए हैं। 

 
चूंकि मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड़ा है, इसलिए इस पर सियासत भी जमकर हो रही है। पिछले एक हफ्ते से मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और बहुजन वंचित आघाड़ी के समर्थकों ने कई शहरों में प्रदर्शन किया, वे यह मांग कर रहे हैं कि पूजा स्थलों को फिर से खोला जाए। मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को  चिट्ठी भेजी, जिसमें उन्होंने मंदिरों को फिर से खोलने के लिए समाज के विभिन्न वर्गों से बार-बार उठ रही मांग का उल्लेख किया है। 
 
राज्यपाल की चिट्ठी के उस हिस्से पर सबसे ज्यादा विवाद हो रहा है जिसमें उन्होंने हिंदुत्व और सेक्युलर होने का जिक्र किया है। राज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि 'ये विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्तरां खोले हैं, लेकिन दूसरी तरफ पूजा स्थलों को नहीं खोला गया है। आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं। आपने भगवान राम के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी श्रद्धा जाहिर की। मुख्यमंत्री बनने के बाद आप अयोध्या भी गए। आषाढ़ी एकादशी पर आपने पंढरपुर जाकर विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में पूजा की थी। मुझे इस बात को लेकर बहुत हैरानी हो रही है कि क्या आपको इस बात की कोई दैवीय आहट मिल रही है कि अगर मंदिर खोले जाएंगे तो संकट आ जाएगा? या फिर आप अचानक सेक्युलर हो गए, जिस शब्द से आप बहुत नफरत करते थे। मैं आपसे अपील करता हूं कि कोरोना के लिए जरूरी एहतियात के साथ मंदिर खोल दिए जाएं।'
 
राज्यपाल की चिट्ठी मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने भी इसका जवाब देने में देर नहीं की। राज्यपाल की 2 पेज की चिट्ठी के जवाब में उद्धव ठाकरे ने भी 2 पेज का लेटर लिखा। उद्धव ठाकरे ने लिखा कि 'आपने अपनी चिट्ठी में जो मेरे हिंदुत्व का पक्षधर होने का उल्लेख किया, वो गलत है। हिंदुत्व के लिए मुझे आपके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। आपने मुझसे पूछा है कि क्या मैं अचानक सेक्युलर हो गया हूं? अगर मैं मंदिर खोल दूं तो हिदुत्ववादी और मंदिर न खोलूं तो सेक्युलर..क्या आपकी यही सोच है ? आपने राज्यपाल के तौर पर संविधान की शपथ ली है। क्या आप सेक्युलरिज्म को नहीं मानते ?...  अन्य राज्यों में जो हो रहा है उसका मैं अध्ययन कर रहा हूं और महाराष्ट्र के लिए जो बेहतर है उसे लागू करने की कोशिश कर रहा हूं। '' 
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  (एनसीपी )के सुप्रीमो शरद पवार ने राज्यपाल की चिट्ठी के व्यंग्य पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी। उन्होंने कहा, वह राज्यपाल द्वारा इस्तेमाल की गई बेलगाम भाषा से हैरान हैं।'  उन्होंने लिखा 'मैंने इस मामले पर न तो राज्यपाल से और न ही उद्धव ठाकरे से चर्चा की है। हालांकि, मैंने महसूस किया कि मुझे राज्यपाल जैसे उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के आचरण के मानकों में गिरावट पर अपना और जनता का दर्द शेयर करना चाहिए। दुर्भाग्य से सीएम को भेजी गई राज्यपाल की चिट्ठी की भाषा से ऐसा लगता है जैसे यह एक राजनीतिक दल के नेता को भेजी गई चिट्ठी है।' पवार ने मंदिरों को लेकर ठाकरे के फैसले का बचाव किया। उन्होंने लिखा, 'प्रमुख धार्मिक स्थानों पर भीड़ को देखते हुए लोगों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना अभी संभव नहीं है।'
 
मेरे विचार में दोनों पक्षों ने मर्यादाओं का उल्लंघन किया। राज्यपाल ने भी ऐसी बात कही जो उनकी पद के हिसाब से सही नहीं है। मुख्यमंत्री ने भी राज्यपाल की बात का जिस अंदाज़ में जवाब दिया वो भी उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। मुख्यमंत्री को भी राज्यपाल को जवाब देते समय संयम बरतना चाहिए था। 
 
वैसे जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है। महाराष्ट्र में मंदिरों को फिर से खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। मंदिर खोले जाने के आंदोलन की शुरुआत शिरडी के साईं मंदिर से हुई। कोरोना की वजह से साईं बाबा के मंदिर के दरवाजे 6 महीने से श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं। रोज़ाना पूजा-अर्चना के लिए सिर्फ मुख्य पुजारी को ही अंदर जाने की इजाज़त है। चूंकि शिरडी में श्रद्धालुओं की वजह से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, हजारों घरों का चूल्हा जलता है। इसलिए लोग मंदिर को खोलने की मांग कर रहे हैं। 
 
मंगलवार को मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर सैकड़ों लोग सुबह-सुबह ही जमा हो गए। प्रशासन को भी अंदाजा था कि सिद्धिविनायक के बाहर प्रदर्शन हो सकता है। इसलिए सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती कर दी गई थी। इसलिए किसी तरह का हंगामा तो नहीं हुआ। लेकिन लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मंदिर के बाहर ही आरती की, वहां बैठकर भजन गाए और गणपति बप्पा से उद्धव ठाकरे को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की।  प्रदर्शन कर रहे लोगों की ये भी एक दलील है कि जब रोजगार के नाम पर बार और रेस्तरां खोले जा रहे हैं, 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल खुलने वाले हैं, तो फिर मंदिरों को ही क्यों बंद रखा जा रहा है? लोगों का कहना था कि जब महाराष्ट्र में पब खुल सकते हैं, बार खुल सकते हैं, रेस्तरां खुल सकते हैं तो फिर मंदिर खोलने में क्या दिक्कत है? मंदिर में तो बार और पब से ज्यादा अनुशासन का पालन होता है। 
 
महाराष्ट्र के पुणे और नागपुर में भी मंदिर खोले जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। असल में 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू होने वाले हैं इसलिए लोग चाहते हैं कि नवरात्र से पहले सरकार मंदिर खोलने का फैसला कर ले। राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में इस बात का जिक्र किया था कि दिल्ली में 8 अक्टूबर से मंदिरों को फिर से खोल दिया गया है, और अभी तक राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
 
उद्धव ठाकरे की मुश्किल ये है कि महाराष्ट्र के लोग उनसे नाराज़ हैं। महाराष्ट्र की सरकार से और शिवसेना की हरकतों से नाराज़ हैं। उद्धव ठाकरे का कहना है कि लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वो मंदिर नहीं खोलना चाहते हैं, लेकिन लोग कहते हैं कि उद्धव जी ने कोरोना से ऐसा बचाया कि महाराष्ट्र में कोरोना से मरने वालों की तादाद सबसे ज़्यादा है। यहां कोरोना के केस सबसे ज्यादा हैं। 
 
अकेले महाराष्ट्र की बात करें तो यहां कोरोना वायरस के 15.4 लाख मामले सामने आए हैं, जिनमें से 12.8 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 40,514 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना के आंकड़े की बात करें तो अबतक कुल 72.4 लाख मामले सामने आए हैं, जिसमें 63 लाख लोग ठीक हो चुके हैं और अबतक 1.11 लाख लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। निश्चित तौर पर उद्धव ठाकरे को बहुत सारे सवालों का जवाब देना है। 
 
लोग तो ये भी पूछते हैं कि जब उद्धव ठाकरे 1 जुलाई को अपने परिवार के साथ पूजा के लिए पंढरपुर मंदिर का दरवाज़ा खुलवा सकते हैं तो जनता के लिए क्यों नहीं?  क्या उद्धव की भक्ति में शक्ति है और आम आदमी की इबादत सियासत है? मेरा कहना तो ये है कि जैसे बार खुले, जैसे रेस्टौरेंट खुले वैसे ही कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए शर्तों के साथ, सावधानी के साथ, मंदिर भी खोल दिए जाने चाहिए। 
 
राज्यपाल के साथ उद्धव ठाकरे के व्यक्तिगत मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें राज्य की जनता के कल्याण को ध्यान में रखना चाहिए। उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले को देखना चाहिए। योगी ने 8 जून को यूपी में लगभग 40,000 मंदिरों को फिर से खोलने की अनुमति दी, जिनमें प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के मंदिर भी शामिल हैं। क्या इससे यूपी में कोरोना के मामलों में तेजी आई है? इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि यूपी में अब तक कोरोना वायरस के केवल 4.39 लाख मामले सामने आए हैं और अबतक 6,438 लोगों की मौत हुई है।
 
मेरा कहना ये है कि अब उद्धव ठाकरे राज्यपाल के कहने से मंदिर खोलें या जनता के कहने से। सबसे ज़रूरी है कि इसे प्रतिष्ठा का या ईगो (अहंकार) का प्रश्न ना बनायें। ये सवाल लोगों की आस्था और भावना से जुड़ा है। वे लोगों की नीयत पर शक न करें।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement