Wednesday, April 24, 2024
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Supreme Court: कोयला खनन की लीज रद्द करने पर केंद्र पर 1 लाख रुपये का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्तों में अदा करने का दिया निर्देश

Supreme Court: पीठ ने कहा कि निजी कंपनी को केंद्र के लापरवाह और अड़ियल रुख के कारण नुकसान उठाना पड़ा। एक जनहित याचिका पर 2014 के फैसले के परिणामस्वरूप कोयला ब्लॉक रद्द कर दिया गया था।

Shailendra Tiwari Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: August 18, 2022 7:33 IST
Supreme Court Of India- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Supreme Court Of India

Highlights

  • केंद्र के अड़ियल और लापरवाह रुख के कारण याचिकाकर्ता को नुकसान उठाना पड़ा
  • केंद्र सरकार ने कानून का पालन नहीं किया
  • कंपनी को 4 हफ्ते के भीतर एक लाख रुपये देने का निर्देश

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अड़ियल और लापरवाह रुख के लिए केंद्र पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इस रुख के कारण निजी कंपनी बीएलए इंडस्ट्रीज को 1997 में मध्य प्रदेश में वैध तरीके से आवंटित कोयला ब्लॉक रद्द हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्रीय कोयला मंत्रालय निजी कंपनी की तरफ से खदान से निकाले गये कोयले पर अतिरिक्त शुल्क के भुगतान के दावे की हकदार नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि केंद्र के इस प्रकार के दावे को खारिज किया जाता है।

मोहपानी कोलफील्ड में गोतीतोरिया कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया था

CJI एन वी रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बीएलए इंडस्ट्रीज से संबंधित मामले के पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया। कंपनी को निजी उपयोग वाले बिजली संयंत्र की कोयला जरूरतों को पूरा करने के लिये मध्य प्रदेश में मोहपानी कोलफील्ड में गोतीतोरिया (पूर्वी और पश्चिम) कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया था।

केंद्र सरकार ने कानून का नहीं किया पालन

कोर्ट ने कहा, ‘‘हम प्रतिवादी संख्या-एक के आचरण के संबंध में टिप्पणियां करने के लिए विवश हैं। यह एक ऐसा मामला है जहां एक निजी कंपनी ने कामकाज शुरू करने के लिए बड़ी राशि निवेश करने से पहले सभी नियमों और कानूनों का पालन किया। जबकि दूसरी तरफ मामले के तथ्यों को देखने से ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने कानून का पूरी तरह से पालन नहीं किया।’’ पीठ ने कहा कि निजी कंपनी को केंद्र के लापरवाह और अड़ियल रुख के कारण नुकसान उठाना पड़ा। एक जनहित याचिका पर 2014 के फैसले के परिणामस्वरूप कोयला ब्लॉक रद्द कर दिया गया था।

अड़ियल और लापरवाह रुख के कारण याचिकाकर्ता को नुकसान उठाना पड़ा

कोर्ट ने कहा, ‘‘इतना ही नहीं याचिकाकर्ता की समस्याओं को बढ़ाने के लिये प्रतिवादी संख्या-एक ने इस कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर किया। इसमें याचिकाकर्ता को अनुचित व्यवहार करने वाले खान मालिकों की श्रेणी में रखने की बात कही गयी। इसने यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक जांच-पड़ताल नहीं की कि क्या याचिकाकर्ता को वैध प्रक्रिया के माध्यम से खदान आवंटित की गई थी। इस अड़ियल और लापरवाह रुख के कारण मौजूदा याचिकाकर्ताओं को नुकसान उठाना पड़ा।’’

कंपनी को 4 हफ्ते के भीतर एक लाख रुपये देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र को विधि खर्च के रूप में कंपनी को 4 हफ्ते के भीतर एक लाख रुपये देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने वकील एमएल शर्मा की एक जनहित याचिका पर फैसला करते हुए 2014 में कहा था कि केंद्र द्वारा गठित निगरानी समिति की सिफारिशों के अनुसार 14 जुलाई 1993 के बाद से कोयला ब्लॉक का पूरा आवंटन मनमाना और दोषपूर्ण है। पीठ ने बीएलए इंडस्ट्रीज की याचिका पर फैसला करते हुए कहा कि निजी कंपनी को वैध प्रक्रियाओं के माध्यम से खनन पट्टा मिला था। कोयला ब्लॉक के आवंटन से कंपनी को नुकसान उठाने के साथ सार्वजनिक रूप से अपमान का भी सामना करना पड़ा।

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