Saturday, May 11, 2024
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धरती की ऑर्बिट से निकला चंद्रयान-3, चंद्रमा की कक्षा में 5 अगस्त को पहुंचेगा, कुछ देर चालू किया इंजन

चंद्रयान-3 हमारी धरती की कक्षा से बाहर निकल गया है। परिक्रमा लगाने के बाद अब वह चंद्रमा की कक्षा में 5 अगस्त को पहुंचेगा। इसके बाद अगला पड़ाव चंद्रमा होगा। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर लैंडिंग करेगा।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 01, 2023 8:24 IST
रती की ऑर्बिट से निकला चंद्रयान-3, चंद्रमा की कक्षा में 5 अगस्त को पहुंचेगा- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE रती की ऑर्बिट से निकला चंद्रयान-3, चंद्रमा की कक्षा में 5 अगस्त को पहुंचेगा

Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान-3 धरती की कक्षा से निकलने के बाद अब 5 अगस्त को चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंच जाएगा। इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन कहा जाता है। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 3 को धरती की कक्षा से चंद्रमा की तरफ भेजा है। इससे पहले चंद्रयान-3 अंडाकार कक्षा में घूम रहा था, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 किलोमीटर और सबसे ज्यादा दूरी 1,27,603 किमी थी। 23 अगस्त को हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा पर लैंड करेगा।

कुछ देर के लिए चालू किया इंजन

ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिकों ने चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया। इंजन फायरिंग तब की गई जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 किमी की दूरी पर था। इसरो ने कहा- चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है।

जानिए कैसे पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ऑर्बिट में जाता है चंद्रमा

चंद्रयान 3 मिशन आज से उपग्रह पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर चंद्रमा के पास जाने की यात्रा पर निकल पड़ा है। वैज्ञानिक भाषा में इसे ट्रांस लुनार इंजेक्शन कहा जाता है

पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उपग्रह को धीरे धीरे प्रथ्वी से दूर ले जाया जाता है और फिर एक समय आता है जब उपग्रह पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के दायरे से बाहर जाने लगता है उसी वक्त उपग्रह के इंजन को फायर कर उसे उस दिशा में मोड़ दिया जाता है जहां से वह पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण दायरे से बाहर निकलकर चांद की ओर आगे बढ़ने लगता है।

इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्व किया चंद्रमा की कक्षा में स्थापित

ये काम बहुत जटिल होता है क्योंकि इस गणना में जरा सी गलती से उपग्रह बाहरी अंतरिक्ष में कहीं भी खो सकता है। लेकिन इसरो के हमारे वैज्ञानिकों ने सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, अब चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है, जब उपग्रह चंद्रमा के गुरूत्वाकर्षण के दायरे में पहुंच जाएगा तब उसे चंद्रमा के पास ले जाने की प्रक्रिया शुरू होगी। अगर सब कुछ तय गणना के हिसाब से चला तो 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 47 मिनिट पर चंद्रयान चांद की सतह पर पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

चंद्रमा पर आने वाले भूकंप और मिट्टी का अध्ययन करेगा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी बिंदू पर उतरेंगे और 14 दिन वहां एक्सपेरिमेंट करेंगे। यदि ऐसा हुआ तो भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाली विकिरणों का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चंद्रमा की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।

चंद्रमा दक्षिणी पोलर रीजन में कभी नहीं पहुंचती सूरज की किरणें, वहां होगा अध्ययन

चंद्रयान के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही उतरने के पीछे करण यह है कि चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था।

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