Thursday, April 25, 2024
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Chhattisgarh News: नक्सलियों का गढ़ अबूझमाड़ बनेगा लीची उत्पादन का केंद्र, आदिवासी किसानों की बढ़ेगी इनकम

Chhattisgarh News: अधिकारियों ने बताया कि अबूझमाड़ की अनुकूल भू-जलवायु दशाओं को देखते हुए स्थानीय प्रशासन आदिवासियों को लीची उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान चला रहा है।

Akash Mishra Edited By: Akash Mishra
Published on: July 17, 2022 20:49 IST
Representational Image- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Representational Image

Highlights

  • अबूझमाड़ घने जंगल, पहाड़ी से घिरा है और समुद्र तल से 1,600-1,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है
  • स्थानीय प्रशासन आदिवासियों को लीची उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने को एक अभियान चला रहा है
  • "नर्सरी में अच्छे रिजल्ट नजर आने के बाद आदिवासी लीची का उत्पादन करने के लिए राजी हो गए"

Chhattisgarh News: नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के पहाड़ी क्षेत्र अबूझमाड़ को अगले कुछ वर्षों में लीची उत्पादन के केंद्र के तौर पर एक नई पहचान मिलने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि इलाके की अनुकूल भू-जलवायु दशाओं को देखते हुए स्थानीय प्रशासन आदिवासियों को लीची उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान चला रहा है। अबूझमाड़ लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका बड़ा हिस्सा बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में पड़ता है। यह स्थान राजधानी रायपुर से लगभग 350 किलोमीटर दूर है। आदिवासियों की इनकम बढ़ाने हेतु 200 एकड़ जमीन में लीची का उत्पादन करने की योजना तैयार की गई है।

10 गांव की करीब 200 एकड़ जमीन पर होगा लीची उत्पादन

अधिकारियों ने बताया कि बागवानी विभाग ने आदिवासी किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए 10 गावों की करीब 200 एकड़ जमीन में लीची का उत्पादन करने की योजना तैयार की। नारायणपुर के बागवानी विभाग के सहायक निदेशक मोहन साहू ने बताया, ‘‘हालांकि, विभाग पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय आदिवासियों को लीची के पौधे उपलब्ध कराने की पेशकश कर रहा था,लेकिन विभिन्न कारणों के चलते यह काफी सीमित था। अब हमने इसकी बागवानी का विस्तार करने का निर्णय लिया है।’’ इसके लिए अकाबेड़ा, गुदादी, ओरछा, कस्तूरमेता, परलबेड़ा, कोडोली, मार्डेल और छोटेपलनार गांवों के आदिवासियों से संपर्क किया गया था। 

अबूझमाड़ की भू-जलवायु दशाएं मुजफ्फरपुर (बिहार) से मिलती जुलती

साहू ने बताया कि 15 जून से अब तक इन गांवों में 3,500 पौधे लगाए गए और इस मौसम में यह संख्या 10,000 तक पहुंचाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अबूझमाड़ की भू-जलवायु दशाएं मुजफ्फरपुर (बिहार) से मिलती जुलती है,जो देश में लीची उत्पादन का केंद्र है। अबूझमाड़ घने जंगल, पहाड़ी से घिरा है और समुद्र तल से 1,600-1,700 मीटर की ऊंचाई पर है। उन्होंने बताया कि नर्सरी में अच्छे रिजल्ट नजर आने के बाद आदिवासी लीची का उत्पादन करने के लिए राजी हो गए।

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