Monday, April 29, 2024
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"आजादी की एक और लड़ाई छेड़ने की जरूरत है", कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने आखिर क्यों कहा?

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि देश में धर्म, जाति और पंथ के आधार पर जहर के बीज बोए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समकालीन संघर्ष सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ना है।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: August 15, 2023 16:30 IST
डीके शिवकुमार- India TV Hindi
Image Source : IANS डीके शिवकुमार

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आज मंगलवार को कहा कि मौजूदा समय में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की जरूरत है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) कार्यालय परिसर में ध्वजारोहण समारोह में भाग लेने के बाद बेंगलुरु में बोलते हुए शिवकुमार ने कहा कि देश में धर्म, जाति और पंथ के आधार पर जहर के बीज बोए जा रहे हैं, जबकि अहिंसा, शांति, सहिष्णुता और भाईचारे के लिए आजादी की एक और लड़ाई छेड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समकालीन संघर्ष सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ना है।

विपक्षी गठबंधन पर क्या उपमुख्यमंत्री?

डीके शिवकुमार ने कहा कि देश पहले कांग्रेस पार्टी के तहत एकजुट था और वर्तमान में देश विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A.) के तहत एक हो रहा है। उन्होंने कहा, "कर्नाटक अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाला पहला राज्य था। भारत को सशक्त बनाना और देश की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। देश को आजादी दिलाने, बनाने और प्रगति के पथ पर ले जाने वाली पार्टी कांग्रेस पार्टी है। झंडा फहराने और राष्ट्रगान गाने के बाद हम चुपचाप नहीं बैठ सकते। हम जानते हैं कि इस देश में आजादी का क्या हुआ।" शिवकुमार ने कहा, "मणिपुर राज्य में नरसंहार, हरियाणा में सांप्रदायिक संघर्ष और उत्तर प्रदेश में लिंचिंग की घटनाएं इस तथ्य का प्रमाण हैं कि देश में आजादी को कौन कुचल रहा है।"

"बीजेपी स्वतंत्रता के महत्व को नहीं समझती"

उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, "अखंडता, सह-अस्तित्व, सांप्रदायिक सद्भाव और समावेशिता जैसे स्वतंत्रता के उद्देश्य धूमिल हो गए हैं।" शिवकुमार ने आरोप लगाया, "बीजेपी स्वतंत्रता के महत्व को नहीं समझती है। भगवा पार्टी का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का कोई इतिहास नहीं है। कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के एसुरु गांव ने देश में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की घोषणा की। 1837 में शुरू किया गया अमारा सुलिया संघर्ष देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम था। 13 दिनों तक स्वतंत्रता सेनानियों ने मंगलुरु शहर और आस-पास के गांवों में भारतीय झंडे फहराए, लेकिन 21 अक्टूबर 1837 को इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं को फांसी दे दी गई। 25 अप्रैल, 1938 को विदुरश्वथ में स्वतंत्रता सेनानियों के नरसंहार को दक्षिण भारत का जलियांवाला बाग कहा जा सकता है।"

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