Sunday, May 26, 2024
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देश के सबसे महंगे वकील थे मोतीलाल, पूर्व पीएम नेहरू की कर दी थी पिटाई, जानें किस्सा

आज 6 मई 2024 को भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल नेहरू की जयंती है। वह ब्रिटिश काल में भारत के सबसे दिग्गज वकीलों में गिने जाते थे। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: May 06, 2024 14:40 IST
मोतीलाल नेहरू।- India TV Hindi
Image Source : @SALMANKHURSHID मोतीलाल नेहरू।

भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू की आज 6 मई 2024 को जयंती है। मोतीलाल नेहरू को देश एडवोकेट, राजनीतिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानता है। 6 मई 1861 को जन्में मोतीलाल ने अपनी वकालत का लोहा अंग्रेजों तक को मनवा दिया था। आपको बता दें कि उनके पिता गंगाधर का निधन मोतीलाल के जन्म से 3 दिन पहले हो गया था। मोतीलाल नेहरू ने अपनी काबिलियत के दम पर काफी संपत्ति हासिल की थी। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

कैसी रही शिक्षा?

मोतीलाल नेहरू ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। उनके बड़े भाई नंदलाल ने उनका पालन पोषण किया था। मोतीलाल की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने शुरुआती पढ़ाई गवर्नमेंट हाई स्कूल, कानपुर में की जहां उन्होंने अरबी, फारसी और अंग्रेजी में पढ़ाई की। उन्होंने मुइर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से लॉ की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने डिग्री लेने के बाद लॉ की प्रैक्टिस शुरू की थी। मोतीलाल नेहरू ने 1 जनवरी 1923 को  चितरंजन दास के साथ स्वराज पार्टी की स्थापना की थी। वह ब्रिटिश भारत की संयुक्त प्रांत विधान परिषद के लिए भी चुने गए थे। 

5 रुपये हुई थी पहली कमाई

वकील बन चुके मोतीलाल नेहरू को हाईकोर्ट में पहला केस लड़ने के लिए महज  5 रुपये की फीस मिली थी। हालांकि, अपनी काबिलियत के दम पर मोतीलाल एक के बाद एक तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। एक समय ऐसा भी आया जब उनकी गिनती भारत के कुछ सबसे अमीर लोगों में होने लगी। उन्हें केस लड़ने के लिए हजारों-लाखों रुपये भी मिलने लगे। उनकी वकालत का लोहा ब्रिटिश जज भी मानते थे। 

जब मोतीलाल ने की थी जवाहरलाल की पिटाई

भारत के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि उनके पिता मोतीलाल ने उनकी जबरदस्त तरीके से पिटाई कर दी थी। दरअसल, मोतीलाल एक बार दो पेन लेकर घर आए थे जिसमें से एक पेन जवाहरलाल ने रख लिया। उन्होंने सोचा की पिताजी को 2 पेन की क्या जरूरत। हालांकि, जब सुबह मोतीलाल को पेन नहीं मिला तो वह गुस्से में उसे खोजने लगे। जवाहरलाल ने डर के मारे पेन अपने पास होने का खुलासा नहीं किया लेकिन तलाशी के बाद पेन उनके पास मिली। इसके बाद उनकी जमकर पिटाई हो गई। 

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