Friday, April 19, 2024
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SC on Talaq-e-Hasan:तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में कह दी वो बात, जिसका उन्हें था इंतजार

SC on Talaq-e-Hasan: तीन तलाक पर नए कानून के बाद से मुस्लिम महिलाएं भले ही बड़ी राहत महसूस कर रही हों, लेकिन इस बीच तलाक-ए-हसन उनके गले की फांस बनता जा रहा है। दो मुस्लिम महिला याचिकाकर्ताओं ने तलाक-ए-हसन से पीड़ित होन के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Updated on: August 29, 2022 17:54 IST
Talaq-e-Hasan- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Talaq-e-Hasan

Highlights

  • तलाक-ए-हसन पर मुस्लिम महिलाओं को राहत का संकेत
  • दो महिलाओं ने इसकी वैधानिकता को दी है कोर्ट में चुनौती
  • तलाक-ए-हसन में तीन माह लगातार तीन बार तलाक बोल संबंध कर लिए जाते हैं विच्छेद

SC on Talaq-e-Hasan: तीन तलाक पर नए कानून के बाद से मुस्लिम महिलाएं भले ही बड़ी राहत महसूस कर रही हों, लेकिन इस बीच तलाक-ए-हसन उनके गले की फांस बनता जा रहा है। दो मुस्लिम महिला याचिकाकर्ताओं ने तलाक-ए-हसन से पीड़ित होन के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। देश की शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में वह बात कह दी, जिसका उन्हें लंबे समय से इंतजार था। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद इस पूरे मामले में आगे चलकर मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद जाग गई है। आइए हम आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन पर सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ...?

उच्चतम न्यायालय सोमवार को तलाक-ए-हसन से पीड़ित दो महिलाओं की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता पर कोई निर्णय लेने से पहले उसका पूरा ध्यान उन दो महिलाओं को राहत देने पर है, जिन्होंने तलाक-ए-हसन प्रथा से पीड़ित होने का दावा किया है। ‘तलाक-ए-हसन’ मुसलमानों में तलाक देने का वह तरीका है, जिसमें कोई व्यक्ति तीन माह की अवधि में प्रत्येक माह एक बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से इन दो याचिकाकर्ताओं को राहत की उम्मीद तो जगी ही है। इसके साथ ही उन तमाम मुस्लिम महिलाओं को आशा की एक नई किरण दिखाई देने लगी है, जो तलाए-ए-हसन के जुल्म से पीड़ित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-राहत की उम्मीद लेकर आई महिलाओं के लिए हमें है चिंता

न्यायमूर्ति एस. के.  कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने याचिकाकर्ता महिलाओं के पतियों को मामले में पक्षकार बनाया और संबंधित याचिकाओं पर जवाब मांगा। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा, ‘‘हम समझते हैं कि आप अपने लिए कोई समाधान चाहती हैं। हम इस चरण में इस सीमित पहलू पर प्रतिवादी-पतियों को केवल नोटिस जारी करेंगे। कभी-कभी हमारी चिंता बड़ा मुद्दा उठाने की होती है, लेकिन तब पक्षकारों को जो राहत चाहिए, वह गौण हो जाती है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हमारे सामने दो व्यक्ति हैं, जो राहत चाहते हैं और हम उसे लेकर चिंतित हैं। हम बाद में देखेंगे कि क्या मुद्दे बच रहे हैं।

महिलाओं ने तला-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को दी है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में बेनजीर हिना और नाजरीन निशा ने अलग-अलग याचिकाएं दायर करके तलाए-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। दोनों ही महिलाएं इससे पीड़ित हैं। सोमवार को  न्यायालय बेनज़ीर हिना और नाज़रीन निशा की इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। हिना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि मामले में पति को पक्षकार बनाया जा सकता है और उन्हें भी नोटिस भेजा जा सकता है। उन्होंने न्यायालय को सूचित किया कि दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिका को वापस ले लिया गया है, लेकिन पति मध्यस्थता के लिए नहीं गया। 

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वहीं निशा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि पीड़ित महिला को तलाक दिया गया है और गुजारा भत्ता दिया गया है उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है। गाजियाबाद निवासी हिना ने सभी नागरिकों के लिए तलाक से संबंधित तटस्थ प्रक्रिया एवं एक समान आधार को लेकर दिशानिर्देश तैयार करने की भी मांग की है। ताकि तलाक-ए-हसन से पीड़ित तमाम मुस्लिम महिलाओं को इससे राहत मिल सके। 

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