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ऑपरेशन 'सर्पविनाश' 2.0: जम्मू कश्मीर से आतंकियों के सफाए के लिए सेना का सबसे बड़ा अभियान

सुरक्षा बलों के जवान आतंकियों की तलाश में जंगल के चप्पे-चप्पे की तलाशी में जुट गए हैं। सेना के इस ऑपरेशन की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय तक रक्षा मंत्री पहुंचा रहे हैं और नेशनल सिक्युरिटी एडवाइज़र की इस पर ख़ास नज़र है।

Reported By : Manish Prasad Edited By : Niraj Kumar Published : Jul 24, 2024 20:59 IST, Updated : Jul 24, 2024 22:09 IST
Operation Sarpvinash 2.0- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV ऑपरेशन 'सर्पविनाश' 2.0

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से आतंकियों के खात्मे के लिए भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस की SOG और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान इन दिनों कश्मीर में एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने में जुटे हैं। पिछले 21 सालों का ये अभी तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है। दुर्गम पहाड़ियों और जंगलों में छिपे 55 पाकिस्तानी आतंकियों की सफ़ाई का प्लान तैयार हो चुका है। सात हज़ार सैनिक इन आतंकियों को तलाश रहे हैं। इस अभियान में 3000 से ज़्यादा सैनिकों को और भेजा गया है जिसमें 500 पैरा कमांडोज भी है। इसी में 200 स्नाइपर्स भी है। जंगलों में 10,000 फीट से लेकर 15 हज़ार फ़ीट की हाइट पर खड़ी चढ़ाई पर ऑपरेशन जारी है। इन इलाकों में 500 से ज़्यादा गुफाएं हैं। सभी गुफाओं को एक-एक करके चेक किया जा रहा है। आतंकी अलग अलग 4-5 की ग्रुप में बंटे हुए हैं। 

इन इलाकों में आतंकियों की तलाश

  1. पुंछ सेक्टर : पुंछ, सुरनकोट, थानामंडी, राजौरी, नौशेरा, सुंदरबनी, बुद्धल, रियासी और कटरा।
  2. डोडा सेक्टर : चेनानी, पटनीटॉप, डोडा, भालरा, भद्रवाह, भलेसा, किश्तवाड़।
  3. कठुआ सेक्टर : सांबा, हीरानगर, कठुआ, बिलावर, मछेड़ी।

पिछले तीन सालों में 48 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए सुरक्षा बलों के जवान आतंकियों की तलाश में जंगल के चप्पे-चप्पे की तलाशी में जुट गए हैं। सेना के इस ऑपरेशन की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय तक रक्षा मंत्री पहुंचा रहे हैं और नेशनल सिक्युरिटी एडवाइज़र की इस पर ख़ास नज़र है। आर्मी चीफ़ जनरल उपेंद्र द्विवेदी डेली बेसिस पर आर्मी कमांडर और सोलहवीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा से हर एक रिपोर्ट ले रहे हैं। बता दें कि जम्मू के इस इलाक़े में लाइन ऑफ़ कंट्रोल पुंछ से लेकर अखनूर तक आती है और फिर उसके बाद अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर शुरू होता है जिसकी निगरानी बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स कर रही है। 

दिन और रात सरहद की निगरानी 

इसमें अहम रोल में इस समय लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर भारतीय सेना की यूनिटें है जो दिन और रात सरहद की निगरानी कर रही है। सेना के पास नाइट विजन डिवाइस से लेकर ड्रोन और मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लेकर नए-नए हथियार शामिल हैं। रजौरी रियासी पुंछ में रोमियो फ़ोर्स के ऊपर पूरी ज़िम्मेदारी है। डोडा, किश्तवाड़ और बनिहाल में डेल्टा फ़ोर्स निगरानी कर रही है। इसीलिए इन आतंकियों की सफ़ाई के लिए एक साथ ऑपरेशन किया जा रहा है। 

ऑपरेशन 'सर्पविनाश' 2.0

Image Source : INDIA TV
ऑपरेशन 'सर्पविनाश' 2.0

कठुआ का इलाके पर भारतीय सेना की वेस्टर्न कमांड के 9 कोर की निगरानी है।  इसीलिए कठुआ,मछेड़ी,बनी का वो रास्ता जो कि पहाड़ों के जरिए सीधा डोडा से कनेक्ट होता है वहां पर और तैनाती बढ़ायी गई है।भारतीय सेना इस ऑल आउट ऑपरेशन में कश्मीर की तर्ज़ पर जम्मू कश्मीर पुलिस की एसओजी और पैरामिलिट्री फोर्सेस के साथ मिलकर घेराबंदी करके आतंकियों को ढूंढ रही है। ह्यूमन इंटेलिजेंस और टेक्निकल सर्विलांस के साथ ही ड्रोन की मदद ली जा रही है। ख़ासतौर पर पहाड़ों के ऊपर रात में नाइट विजन डिवाइस के साथ निगरानी रखी जा रही है।

ऊंची चोटियां और गुफाएं बड़ी चुनौती

इस पूरे ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती है ऊंची चोटियां और गुफाएं। ओवर ग्राउंड वर्कर और जानकारी के मुताबिक़ अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ कर कर आए आतंकियों के पास बड़ी संख्या में हथियार हैं। आतंकियों के पास  AK 47 ,M फ़ोर ,चाइनीज पिस्टल , स्टील बुलेट , चाइनीज़ ग्रेनेड, बॉडी कैमरा, मोबाइल फ़ोन, आई कॉम रेडियो सेट, कैश, UBGL भी शामिल है। दरअसल. इन्हीं के ज़रिए वो चोटी पर बैठकर पहले सेना की हर एक हरकत को मॉनिटर करते हैं उसके बाद घात लगाकर अटैक कर रहे हैं। फिर मोबाइल में रिकॉर्ड करके बॉडी कैम का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वो इसको अपने ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से या फिर लोगों को डरा धमकाकर उनके आधार कार्ड लेकर उनकी फ़ोटो खींचने के बाद उन्हीं के हॉट स्पॉट का इस्तेमाल कर कर अपने आकाओं को पाकिस्तान भेजते हैं। अभी तक चार ओवर ग्राउंड वर्कर को गिरफ़्तार किया गया है। इनसे पूछताछ में पता चला है कि आतंकी पंजाब के रास्ते जम्मू-कश्मीर में दाखिल हुए हैं। वो बड़ी संख्या में हैं। पश्तून या फिर उर्दू में बात करते हैं। हर एक बार खाना बनाने का वो छह हज़ार रुपये से 10, हज़ार रुपये तक देते हैं। अपने लिए सामान लाने के लिए 20-25000 रुपये इन्होंने दिए हैं। आधार कार्ड और उनकी फ़ोटो लेकर डराते हैं और कहते हैं कि अगर पुलिस को बताया तो मार देंगे। ये हफ़्ते में एक बार ऊपर की चोटियों से नीचे उतरकर गुज़र और बकर वाल के पास आते हैं और वहीं से खाना लेकर वापस जाते हैं। ये फ़ौज के कैंप और क़ाफ़िले की रेकी भी कर रहे हैं।

इसी वजह से पहली बार जम्मू कश्मीर पुलिस के DGP और पंजाब के DGP के साथ बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स के सीनियर अधिकारियों ने एक हाईलेवल मीटिंग की।  क्योंकि मसला अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से घुसपैठ का था।  इसलिए सुरक्षा एजेंसी ने इंडिया TV को ये एक्सक्लूसिव जानकारी दी जिसमें ये संभावित रास्ता देखा गया। इसमें साम्बा या फिर पंजाब के रास्ते से होते हुए भी अंदर कठुआ से होते हुए डोडा बदरवा या फिर रियासी की तरफ़ जाने की संभावनाएं मैप की गई।

लगातार मिल रही थी पीएएफएफ के आतंकियों की खबरें 

सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक़ पहले से ही जम्मू के इलाकों में PAFF (जो कि जैश-ए-मोहम्मद का संगठन है) के आतंकियों की ख़बरें मिल रही थी और लगातार मुठभेड़ हो रही था। लेकिन ऐसे में 55 आतंकियों का आ जाना संभावना इस बात की है कि ये आपस में मिल गए हैं। इनके पास UBGL जैसे हथियार होने की संभावना है और 15 हज़ार फ़ीट से ज़्यादा की ऊँचाई पर होने की वजह से हेलीकॉप्टर से स्नाइपर बिठाके अटैक करना ऑपरेशनल तौर पर सही नहीं होगा। इसीलिए भारतीय सेना ने अपने पैरा कमांडो और राष्ट्रीय रायफल की यूनिटों को जम्मू कश्मीर पुलिस एसओजी के साथ ऑपरेशन की खुली छूट दी है और इसमें स्थानीय लोगों का समर्थन पूरी तरह से प्राप्त है।

जम्मू के इलाक़े को अस्थिर करने के इरादे से घुसे आतंकी

इस समय इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी बाधा है सीधी खड़ी चढ़ाई, आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स और उनका टैक सेवी होना साथ में लोकल सपोर्ट मिलना। संभावनाएं ये भी जतायी गई कि ड्रग सिंडीकेट की वजह से अलग अलग इलाक़े में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की मदद से इन्होंने क़रीब 1 डेढ़ महीने के अंदर घुसपैठ की है। जम्मू के इलाक़े को ये अस्थिर करना चाहते हैं। ऐसा पहली बार देखा गया कि पाकिस्तानी आर्मी ने इनको ट्रेंड किया और फिर महंगे महंगे हथियार देने के साथ 5-10 लाख रुपये कैश भी देकर भेजा है। ये पाकिस्तानी आर्मी के कमांडोज या फिर वो आतंकी है जो कि पाकिस्तान के लिए तालिबान के साथ मिलकर लड़ रहे थे उन सभी को यहां पर भेजा है। ये पहाड़ चढ़ने में माहिर है और जंगल की लड़ाई में ट्रेंड हैं।  ये अपने हथियारों के स्कोप लगाके स्नाइपर अटैक करते हैं। इसीलिए इन 55 आतंकियों का ख़ात्मा करने के लिए अभी तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन ऑपरेशंस सर्प विनाश 2.0 शुरू कर दिया गया है।

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