Tuesday, April 30, 2024
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जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म करना सही या गलत? सोमवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगा।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: December 08, 2023 8:43 IST
Supreme Court, article 370- India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगा। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बी.आर. गवई और सूर्यकांत की संविधान पीठ पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दिए गए विशेष दर्जे को छीनने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले 2019 के राष्ट्रपति के आदेश की संवैधानिकता पर फैसला करेंगे। 5 जजों की संविधान पीठ ने 5 सितंबर को दोनों पक्षों की मौखिक दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

राज्य का दर्जा बहाल करने में "कुछ समय" लगेगा- केंद्र

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह कोई सटीक समय सीमा नहीं दे सकती है और जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने में "कुछ समय" लगेगा, जबकि यह दोहराते हुए कि इसकी केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति "अस्थायी" है।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संविधान पीठ का फैसला चाहे जो भी हो, "ऐतिहासिक" होगा और कश्मीर घाटी के निवासियों के मन में मौजूद "मनोवैज्ञानिक द्वंद्व" को खत्‍म कर देगा। उन्होंने कहा था कि यह "मनोवैज्ञानिक द्वंद्व" अनुच्छेद 370 की प्रकृति से उत्पन्न भ्रम के कारण उत्पन्न हुआ कि क्या विशेष प्रावधान अस्थायी हैं या स्थायी।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के भंग होने के बाद संविधान के अनुच्छेद 370 ने स्थायी स्वरूप ले लिया है।मार्च 2020 में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मुद्दे को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को सौंपने के याचिकाकर्ताओं के तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। तत्कालीन सीजेआई एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370 की व्याख्या से संबंधित प्रेम नाथ कौल मामले और संपत प्रकाश मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए पहले के फैसले विरोधाभासी नहीं थे।

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