Tuesday, May 21, 2024
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कांग्रेस ने कहा, हिमंत के ‘अपराधियों को गोली मारो’ बयान के गंभीर नतीजे होंगे

असम के कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के हिरासत से भागने या बंदूक छीनकर भागने का प्रयास करने वाले अपराधियों को गोली मार देने वाले बयान के गंभीर नतीजे होंगे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 09, 2021 22:17 IST
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Image Source : PTI FILE असम के कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के बयान के गंभीर नतीजे होंगे।

गुवाहाटी: असम के कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के हिरासत से भागने या बंदूक छीनकर भागने का प्रयास करने वाले अपराधियों को गोली मार देने वाले बयान के गंभीर नतीजे होंगे और असम ‘पुलिस राज्य’ में बदल जाएगा। मुख्यमंत्री ने पद संभालने के बाद से कम से कम 12 संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों के मारे जाने के मामले में पांच जुलाई को बयान जारी कर सिलसिलेवार मुठभेड़ों को सही ठहराया, जिससे राज्य में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया था।

‘अपराधियों को जिंदा पकड़ा जाना चाहिए’

बोरा ने कहा, ‘सरमा को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट दोनों ने फैसला सुनाया है कि अपराधी कितने भी खूंखार क्यों न हों, उन्हें जिंदा पकड़ा जाना चाहिए और पुलिस को आरोपियों पर गोली चलाने या उन्हें अपनी मर्जी से मारने का कोई अधिकार नहीं है।’ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि केवल आत्मरक्षा के मामले में ही उन पर गोलियां चलाई जा सकती हैं और वह भी घुटनों के नीचे। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि अगर किसी अपराधी को आत्मरक्षा में या किसी अन्य स्थिति में गोली मार दी जाती है, तो पुलिस को अपने कार्यों के लिए अदालत के समक्ष औचित्य बताना होगा।

‘सीएम न्यायपालिका के प्रति अनादर दिखा रहे हैं’
बोरा ने कहा, ‘शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद इस तरह का बयान जारी कर मुख्यमंत्री न्यायपालिका के प्रति अपना अनादर दिखा रहे हैं।’ सरमा ने पूर्व में टिप्पणी की थी कि सभी विपक्षी विधायकों को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि ‘वे 5 साल तक विपक्ष में क्या करेंगे?’ इस बयान पर बोरा ने कहा, ‘इस तरह की टिप्पणियां पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए असम्मान को और एक निरंकुश तानाशाही में उनके विश्वास को दर्शाती हैं। उनकी टिप्पणी न केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए अपमानजनक है बल्कि भारत के पवित्र संविधान का भी अपमान है। राजनीति विज्ञान की डिग्री धारक और सरमा जैसे पीएचडी विद्वान का संविधान के बारे में इस तरह के शब्द बोलना बहुत शर्मनाक है।’

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