Monday, May 13, 2024
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Hemant Soren : हेमंत सोरेन की कुर्सी रहेगी या जाएगी? निगाहें राज्यपाल के फैसले पर

Hemant Soren : लाभ के पद पर रहते हुए माइनिंग लीज हासिल करने के मामले में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। हेमंत सोरेन को जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9 ए के उल्लंघन का दोषी माना गया है।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar
Published on: August 26, 2022 11:30 IST
Hemant Soren- India TV Hindi
Image Source : PTI Hemant Soren

Hemant Soren : झारखंड (Jharkhand) की सियासत के लिए आज का दिन काफी बड़ा है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren ) के राजनीतिक भविष्य को लेकर आज बड़ा फैसला लिया जा सकता है। हेमंत सोरेन की कुर्सी रहेगी या जाएगी, इस पर राज्यपाल रमेश बैस फैसला करेंगे। दरअसल, लाभ के पद पर रहते हुए माइनिंग लीज हासिल करने के मामले में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। हेमंत सोरेन को जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9 ए के उल्लंघन का दोषी माना गया है।

अयोग्यता से संबंधित मामले में राज्यपाल का फैसला अंतिम

संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित कोई मामला आता है तो इसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है और उनका फैसला अंतिम होता है। इस अनुच्छेध में कहा गया है, 'ऐसे किसी भी मामले पर कोई निर्णय देने से पहले राज्यपाल निर्वचन आयोग की राय लेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे।'

सीएम के लिए पत्नी का नाम आगे बढ़ा सकते हैं सोरेन

हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता खत्म होने की स्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा सभी विकल्पों पर चर्चा कर रही है। माना जा रहा है कि सीएम का पद सोरेन परिवार के पास ही रहेगा। विधानसभा की सदस्यता खत्म होने पर हेमंत सोरेन विकल्प के तौर पर अपनी पत्नी कल्पना सोरेन का नाम आगे बढ़ा सकते हैं। 

बीजेपी ने सोरेन पर लगाया था आरोप

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने सोरेन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए और खनन विभाग का दायित्व भी अपने पास रखते हुए, रांची के अनगड़ा में एक खनन पट्टा अपने नाम आवंटित कराया था, जो सीधे तौर पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत अवैध है। दास ने दावा किया था कि इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ लाभ के पद का मामला बनता है। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से राज्यपाल से मुलाकात कर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। 

सोरेन ने चुनाव आयोग में रखा था अपना पक्ष

भाजपा की इस याचिका पर राज्यपाल रमेश बैस ने संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत निर्वाचन आयोग की राय मांगी थी। राज्यपाल की ओर से इस संबंध में चिट्ठी मिलने होने के बाद आयोग ने सोरेन को नोटिस जारी कर पेश होने और अपना पक्ष रखने को कहा था। हालांकि, अनेक बार टालने के बाद सोरेन ने वकील के माध्यम से अपना पक्ष आयोग के सामने रखा। भाजपा ने भी आयोग के समक्ष अपने दावे के समर्थन में तर्क और प्रमाण पेश किए थे। आयोग ने इस मामले में अपना फैसला 18 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था। 

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