Sunday, April 28, 2024
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Kerala News: केरल में माकपा विधायक साजी चेरियन के खिलाफ दर्ज हुई याचिका, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

Kerala News: संविधान के खिलाफ टिप्पणी को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद माकपा विधायक साजी चेरियन ने राज्य सरकार में मंत्री पद से छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था।

Shashi Rai Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published on: July 27, 2022 11:41 IST
 Saji Cheriyan- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Saji Cheriyan

Highlights

  • माकपा विधायक साजी चेरियन के खिलाफ दर्ज हुई याचिका
  • विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग
  • संविधान के खिलाफ टिप्पणी को लेकर खड़ा हुआ विवाद

Kerala News: केरल उच्च न्यायालय में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साजी चेरियन को विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने के लिए एक याचिका दायर की गई है। गौरतलब है कि संविधान के खिलाफ टिप्पणी को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद माकपा विधायक साजी चेरियन ने राज्य सरकार में मंत्री पद से छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले, उन्हें राज्य विधानसभा से एक दिन के लिए निलंबित भी किया गया था। याचिका में दावा किया गया है कि चेरियन ने संविधान के अनुच्छेद 173(ए) तथा 188 का उल्लंघन किया और उनके विवादास्पद भाषण के सिलसिले में राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1971 के तहत उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। 

राज्य सरकार की दलील 

उच्च न्यायालय में मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दलील दी कि अगर एक मंत्री ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है, तो भी इस वजह से उसे विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग नहीं की जा सकती। रिट याचिका में मांगी गई राहत प्रदान नहीं की जा सकती। उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-173 विधायक होने की योग्यता से संबंधित है और उसे इस मामले में लागू नहीं किया जा सकता। 

कोर्ट ने क्या कहा? 

अदालत ने कहा कि हालांकि चेरियन का बयान अनुच्छेद-188 के दायरे में आता है। अनुच्छेद-188 विधानसभा या किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्यों द्वारा शपथ या अभिकथन के उल्लंघन से संबंधित है। उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले के दस्तावेजों पर गौर करते हुए, इसके लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के दायरे में आने का कोई संदर्भ नहीं मिला है, जिससे विधायक को अयोग्य घोषित किया जा सके। अदालत ने याचिकाकर्ता को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों, चुनाव संबंधी कानूनों या इस संबंध में भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए किसी भी आदेश को उसके समक्ष रखने को कहा। 

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