Tuesday, April 23, 2024
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लखनऊ यूनिवर्सिटी में 'CAA' को एक विषय के तौर पर पढाने की तैयारी

 नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में जनसभाओं और विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय अपने छात्रों को 'सीएए' बतौर विषय पढाने की तैयारी कर रहा है। 

IndiaTV Hindi Desk Reported by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 24, 2020 18:23 IST
Lucknow University- India TV Hindi
Lucknow University

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में जनसभाओं और विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय अपने छात्रों को 'सीएए' बतौर विषय पढाने की तैयारी कर रहा है। विश्वविद्यालय का राजनीति शास्त्र विभाग 'सीएए' को पाठयक्रम में शामिल करेगा। इस आशय का प्रस्ताव तैयार किया गया है। राजनीति शास्त्र विभाग की प्रोफेसर शशि शुक्ला ने 'भाषा' से बातचीत में कहा, ''हम लोग अपने विभाग में संविधान और नागरिकता पढ़ाते हैं। ये भारतीय राजनीति का एक समसामयिक मुद्दा है तो हम चाहते हैं कि इसको हम छात्र—छात्राओं को पढायें।'' उन्होंने कहा, ''ये अभी प्रस्ताव के स्तर पर है। ये पूरी अकादमिक प्रक्रिया से होकर गुजरेगा। उसके बाद पाठयक्रम का हिस्सा बनेगा।'' 

प्रोफेसर शशि ने कहा, ''तो पहली चीज मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि फिलहाल यह पाठयक्रम का हिस्सा नहीं है । लेकिन फिर भी मैं स्पष्ट कर दूं कि हम लोग नागरिकता तो पढ़ाते ही हैं। संविधान तो हम पढाते ही हैं। दूसरी बात ये है कि कोई पाठ्यक्रम जैसी चीज शुरू नहीं कर रहे हैं। हमारे यहां पेपर ही है इंडियन पालिटिक्स का। उसमें हम समसामयिक मुददे जो पढाते हैं, उसमें अबकी बार इसको भी शामिल कर देंगे ।'' उन्होंने कहा, ''बस ये है हमारा प्रस्ताव जो शिक्षकों ने तय किया है। प्रस्ताव राजनीतिक शास्त्र विभाग की ओर से है। आप देख ही रहे हैं कि इस पर इतनी चर्चा हो रही है।'' 

प्रोफेसर ने कहा कि सबसे बडी बात तो यह है कि लोगों को जानकारी है और लोगों को गलत जानकारी भी है । विशेषकर हमारे छात्र छात्राएं ये सवाल लेकर हमारे पास आते हैं कि उनसे हर जगह इसके बारे में पूछा जाता है । उन्होंने कहा, ''हम लोग सोचते हैं कि इसको एक विषय के रूप में शुरू कर देंगे । विषय में हमारे पास कई पेपर हैं इसलिए हमारा प्रस्ताव है कि हम सीएए को भी कई विषयों में से एक विषय के रूप में शामिल करेंगे ।'' जब सवाल किया गया कि कब तक सीएए को पढ़ाना चालू किया जाएगा, प्रोफेसर शशि ने कहा कि इसमें कुछ समय लगेगा । क्या अगले सत्र से इसे शुरू कर दिया जाएगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर उचित अकादमिक संस्था से इसे मंजूरी मिल गयी तो इसे अगले सत्र से शुरू किया जा सकता है । 

उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया, ''सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अति विवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है।'' उन्होंने कहा, ''बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।'' 

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