Friday, April 26, 2024
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BHU के लापता छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मामले में याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने का निर्देश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीएचयू के एम्फिथियेटर से फरवरी में लापता हुए छात्र के मामले में वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा दाखिल हलफनामे पर याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने का गुरुवार को निर्देश दिया।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: September 03, 2020 22:28 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL बीएचयू के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी को 12 फरवरी को विश्वविद्यालय के एम्फिथिएटर मैदान से पुलिस द्वारा उठाया गया।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीएचयू के एम्फिथियेटर से फरवरी में लापता हुए छात्र के मामले में वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा दाखिल हलफनामे पर याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने का गुरुवार को निर्देश दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वाराणसी के एसएसपी अमित पाठक ने एक सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेजों के साथ हलफनामा गुरुवार को इस अदालत में दाखिल किया। पाठक अदालत में मौजूद थे और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख 22 सितंबर को भी उपस्थित रहने को कहा गया।

न्यायमूर्ति एसके गुप्ता और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने अधिवक्ता और बीएचयू के पुरा छात्र सौरभ तिवारी द्वारा अदालत को लिखे एक पत्र पर यह आदेश पारित किया। अदालत ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। इस पत्र में आरोप है कि बीएचयू में बीएससी के द्वितीय वर्ष के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी को 12 फरवरी को विश्वविद्यालय के एम्फिथिएटर मैदान से पुलिस द्वारा उठाया गया। त्रिवेदी के एक सहपाठी ने 112 नंबर पर फोन कर सूचना दी थी कि त्रिवेदी वहां अचेत अवस्था में पड़ा है और तब से त्रिवेदी लापता है।

इससे पूर्व, 26 अगस्त को सरकारी वकील ने अदालत को बताया था कि शिव कुमार त्रिवेदी अगले ही दिन पुलिस थाने से भाग गया था और उसके बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। हालांकि बाद में पुलिस मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति को लेकर आई और पुलिस को अंदेशा है कि वह व्यक्ति शिव कुमार त्रिवेदी हो सकता है। इसलिए उसकी पहचान तय करने के लिए एक डीएनए और बायोमीट्रिक जांच कराया जाना प्रस्तावित है।

सरकारी वकील की इस सूचना पर अदालत ने कहा था, ‘हमें यह समझ में नहीं आता कि 12 फरवरी और उसके बाद जो हुआ विशेष रूप से छात्र के पुलिस थाने से भागने के बाद जो हुआ उस बारे में तथ्यों से जुड़े सभी ब्यौरे उपलब्ध कराने के बजाय पुलिस ने अस्पष्ट हलफनामा दाखिल क्यों किया है। इन तथ्यों को जनरल डायरी में दर्ज किया जाना चाहिए था।’

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