Saturday, April 27, 2024
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Production of pashmina: लेह-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के बाद अब वाराणसी में भी होगा पश्मीना का प्रोडक्शन, कारोबार में मिलेगी बढ़त

वाराणसी के हाइली स्किल्ड खादी वीवर्स द्वारा तैयार किए गए प्रीमियम पश्मीना उत्पादों को KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को वाराणसी में लॉन्च किया। यह पहली बार है कि पश्मीना उत्पादों का उत्पादन लेह-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र के बाहर किया जा रहा है। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 12, 2022 13:39 IST
Now production of pashmina will be done in Varanasi too- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Now production of pashmina will be done in Varanasi too

Highlights

  • अब वाराणसी में भी होगा पश्मीना का प्रोडक्शन
  • लेह-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में होता है पश्मीना का उत्पादन
  • KVIC मेड-इन-वाराणसी पश्मीना उत्पादों की बिक्री करेगा

वाराणसी: लेह-लद्दाख के हिमालय के ऊंचे इलाकों से लेकर वाराणसी में गंगा नदी के किनारे तक पश्मीना हेरिटेज हेंडीक्राफ्ट को एक नई पहचान मिली है। वाराणसी के हाइली स्किल्ड खादी वीवर्स द्वारा तैयार किए गए प्रीमियम पश्मीना उत्पादों को KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को वाराणसी में लॉन्च किया। यह पहली बार है कि पश्मीना उत्पादों का उत्पादन लेह-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र के बाहर किया जा रहा है। KVIC अपने शोरूम, आउटलेट और अपने ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से 'मेड-इन-वाराणसी' पश्मीना उत्पादों की बिक्री करेगा। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य मंत्री रवींद्र जायसवाल, वाराणसी कैंट के विधायक सौरभ श्रीवास्तव, जयप्रकाश गुप्ता, सदस्य केवीआईसी भी उपस्थित रहे।

Now production of pashmina will be done in Varanasi too

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Now production of pashmina will be done in Varanasi too

KVIC के अनुसार जहां पश्मीना एक आवश्यक कश्मीरी कला के रूप में प्रसिद्ध है, वहीं वाराणसी में इसका उत्पादन इस विरासत कला को क्षेत्रीय सीमाओं से मुक्त करेगा और लेह-लद्दाख एवं दिल्ली और वाराणसी से एक फ्यूज़न ऑफ़ दिवेरसे आर्टिस्ट्री का निर्माण करेगा। वाराणसी में बुनकरों द्वारा निर्मित पहले दो पश्मीना शॉल वाराणसी में पश्मीना उत्पादों के औपचारिक लॉन्च से पहले 4 मार्च को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को KVIC के अध्यक्ष द्वारा दी गई थी।

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वाराणसी में पश्मीना उत्पादन की यात्रा लद्दाख से लाये जाने वाले कच्चे पश्मीना ऊन से शुरू होती है। जिसे डी-हेयरिंग, क्लीनिंग और प्रोसेसिंग के लिए दिल्ली लाया जाता है। रोइंग के रूप में प्रोसेस्ड ऊन को वापस लेह लाया जाता है, जहां इसे KVIC द्वारा उपलब्ध कराए गए आधुनिक चरखाओं पर महिला खादी कारीगरों द्वारा सूत बनाया जाता है। फिर तैयार सूत को वाराणसी भेजा जाता है जहां इसे प्रशिक्षित खादी बुनकरों द्वारा अंतिम पश्मीना उत्पादों में बुना जाता है। प्रामाणिकता और अपनेपन की निशानी के रूप में बुनकरों का नाम और वाराणसी शहर का नाम भी वाराणसी के बुनकरों द्वारा बनाए गए पश्मीना उत्पादों पर सूक्ष्म रूप से अंकित किया जाएगा।

कुशल पश्मीना स्पिनरों और बुनकरों और इस विरासत शिल्प को बनाने में शामिल कड़ी मेहनत की सराहना करते हुए KVIC ने कहा की जैसे फूल की सुगंध का कोई रंग नहीं होता, पानी की धारा या बहती हवा का कोई ठिकाना नहीं होता और उगते सूरज की किरणों या मासूम बच्चे की मुस्कान का कोई धर्म नहीं होता। खादी का एक धागा भी प्रकृति की एक अनूठी रचना है क्योंकि उन्हें बनाने वाला किसी क्षेत्र या धर्म से संबंधित नहीं है। वह सिर्फ एक कारीगर है। गौरतलब है की अकेले वाराणसी में पश्मीना उत्पादन से वाराणसी में खादी के कारोबार में लगभग 25 करोड़ रुपये का इजाफा होगा। वाराणसी में पश्मीना की इस पुनर्खोज के पीछे मुख्य विचार लद्दाख में महिलाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करना और वाराणसी में पारंपरिक बुनकरों के कौशल में विविधता लाना है, जैसा कि प्रधानमंत्रीजी द्वारा परिकल्पित किया गया था।

एक स्पेशल केस के रूप में, वाराणसी में पश्मीना बुनकरों को 50 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है, जो इन कारीगरों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। एक सामान्य ऊनी शॉल बुनने के लिए 800 रुपये की मजदूरी की तुलना में वाराणसी में पश्मीना बुनकरों को पश्मीना शॉल बुनाई के लिए 1300 रुपये का वेतन दिया जाता है। वाराणसी में पश्मीना बुनाई लेह-लद्दाख में महिला कारीगरों के लिए साल भर आजीविका सुनिश्चित करेगी, जहां अत्यधिक ठंड के कारण कताई गतिविधियों को लगभग आधे साल के लिए निलंबित कर दिया जाता है। इसे सुगम बनाने के लिए केवीआईसी ने लेह में एक पश्मीना ऊन प्रसंस्करण इकाई भी स्थापित की है।

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