Monday, May 13, 2024
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उत्तर भारत के युवा तेजी से हो रहे हैं इस भयानक बीमारी का शिकार, आप रहे सतर्क

देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तरी भारत में लीवर रोगियों की संख्या काफी अधिक है, जिनका निदान तक नहीं हो पाता। मोटापा, शराब के बढ़ते सेवन और यकृत संक्रमण के कारण लीवर की बीमारियां बढ़ रही हैं।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 19, 2018 20:29 IST

World liver day

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डॉ. दास ने कहा, "लीवर एक संवेदनशील अंग है, जब तक इसकी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक रोग बहुत आगे बढ़ चुका होता है। इसलिए नियमित रूप से स्वास्थ्य-जांच करवाते रहना जरूरी है, ताकि बीमारी का निदान जल्द से जल्द हो जाए और समय पर इलाज शुरू किया जा सके।"

उन्होंने कहा, "जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के द्वारा लीवर रोगों का इलाज संभव है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए सच है जो संतुलित आहार का सेवन नहीं करते हैं। सेहत को लेकर हमेशा ऐसा दृष्टिकोण रखें कि रोगों से बचने की कोशिश करें, ताकि आप अपने आप को इलाज की परेशानी से बचा सकें।"

सर्वे के मुताबिक, "महिलाओं (15.97 फीसदी और 15.47 फीसदी) की तुलना में पुरुषों (28.59 फीसदी और 20.99 फीसदी) में एसजीपीटी और एसजीओटी के स्तर अधिक असामान्य पाए गए।"

इसी तरह बाइलीरूबीन का स्तर भी महिलाओं (13.45 फीसदी) की तुलना में पुरूषों (21.82 फीसदी) में अधिक पाया गया।

वहीं पुरुषों (16.59 फीसदी) की तुलना में महिलाओं (17.18 फीसदी) में एएलपी का स्तर सामान्य से अधिक पाया गया। युवाओं में लीवर एंजाइम संबंधी असामान्यताएं अधिक पाई गईं, जबकि बड़ी उम्र के लोगों में एल्बुमिन और टोटल प्रोटीन से जुड़ी असामान्यताएं पाई गई हैं।

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