Monday, April 29, 2024
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Kajari Teej 2020: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं इस विधि से रखें कजरी तीज का व्रत, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज का व्रत करने का विधान है। कज्जली तीज को कजरी तीज, बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 05, 2020 21:24 IST
 Kajri Teej 2020: अखंड सौभाग्य के लिए  महिलाएं इस विधि से रखें कजरी तीज का व्रत, साथ ही जानिए शुभ मु- India TV Hindi
Image Source : INSTAGARM/MANN_ME_SHIVA Kajri Teej 2020: अखंड सौभाग्य के लिए  महिलाएं इस विधि से रखें कजरी तीज का व्रत, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज का व्रत करने का विधान है | कज्जली तीज को कजरी तीज, बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है |  इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है | मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है | इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लम्बी उम्र के लिये व्रत करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिये ये व्रत करती हैं। इस बार कजरी तीज 6 अगस्त को मनाई जाएगी। 

इस दिन व्रत रहकर शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को रोली और अक्षत अर्पित कर हाथ में चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने लेकर जल से अर्घ्य देकर इस व्रत का पारण किया जाता है |  

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कजरी तीज का शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारंभ - सुबह 10 बजकर 50 मिनट से 

तृतीया तिथि समाप्त - रात 12 बजकर 15 मिनट तक 

चन्द्रोदय: रात 9 बजकर 8 मिनट पर होगा | 

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कजरी तीज की पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद हरे रंग के साफ कपड़े पहने। यह व्रत पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। इस दिन सुहागने दान करती हैं। इसके साथ ही पूजा स्थस में घी का दीपक जलाकर मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। 

चंद्रमा को अर्ध्य देने की विधि

कजरी तीज की शाम को पूजा करने के बादत चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। इसके लिए चंद्रमा को रोली, अक्षत और मौली अर्पित करें। इसके बाद गेंहू के दाने और चांदी की अंगूठी को हाथ लेकर चंद्रमा को  अर्ध्य देते हुए अपने स्थान पर खतड़े होकर फिर परिक्रमा करें। 
चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है।

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