Sunday, April 28, 2024
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ऐसा गांव जहां चमगादड़ को लक्ष्मी का रूप मान की जाती है पूजा

हाजीपुर: वैसे तो आपने चमगादड़ों को देखा होगा, लेकिन बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई (रामपुर रत्नाकर) गांव में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़

IANS IANS
Updated on: February 29, 2016 23:11 IST
bat- India TV Hindi
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हाजीपुर: वैसे तो आपने चमगादड़ों को देखा होगा, लेकिन बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई (रामपुर रत्नाकर) गांव में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं। इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं।

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सरसई गांव के एक बुजुर्ग गणेश सिंह का मानना है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती। ये चमगादड़ यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है।

सरसई पंचायत के सरपंच और प्रदेश सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला आईएएनएस को बताते हैं कि गांव के एक प्राचीन तालाब (सरोवर) के पास लगे पीपल, सेमर तथा बथुआ के पेड़ों पर ये चमगादड़ बसेरा बना चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस तालाब का निर्माण तिरहुत के राजा शिव सिंह ने वर्ष 1402 में करवाया था। करीब 50 एकड़ में फैले इस भूभाग में कई मंदिर भी स्थापित हैं।

उन्होंने बताया कि रात में गांव के बाहर किसी भी व्यक्ति के तालाब के पास जानं के बाद ये चमगादड़ चिल्लाने लगते हैं, जबकि गांव का कोई भी व्यक्ति के जाने के बाद चमगादड़ कुछ नहीं करते। उन्होंने दावा किया कि यहां कुछ चमगादड़ों का वजन पांच किलोग्राम तक है।

सरसई पंचायत के मुखिया चंदन कुमार बताते हैं कि सरसई के पीपलों के पेड़ों पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं, बल्कि इन चमगादड़ों की सुरक्षा भी करते हैं। यहां के ग्रामीणों का शुभ कार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता।

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