Tuesday, March 19, 2024
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Pitru Paksha 2021: 16 दिनों के पितृ पक्ष में किस तिथि में करें किसका श्राद्ध, जानिए

आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए किस तिथि को किनका श्राद्ध किया जाता है और उससे श्राद्ध कर्म करने वाले को क्या फल मिलते हैं।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 16, 2021 14:39 IST
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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध से प्रारंभ हो जाएगे। 20 सितंबर से शुरू हुई श्राद्ध आश्विन महीने की अमावस्या को यानि 6 अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त होंगे। श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

हमारे धर्म-शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा को उसके कर्मानुसार स्वर्ग-नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीर्ण होने पर वह पुनः मृत्यु लोक में आ जाती है। मृत्यु के पश्चात पितृयान मार्ग से पितृलोक में होती हुई चन्द्रलोक जाती है। चन्द्रलोक में अमृतत्व का सेवन करके निर्वाह करती है और ये अमृतत्व कृष्ण पक्ष में चन्द्रकलाओं के साथ क्षीर्ण पड़ने लगता है। लिहाजा कृष्ण पक्ष में वंशजों को आहार पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। ये आहार श्राद्ध के माध्यम से पूर्वजों को पहुंचाया जाता है। 

Pitru Paksha 2021: कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष? जानिए श्राद्ध की प्रमुख तिथियां

आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए किस तिथि को किनका श्राद्ध किया जाता है और उससे श्राद्ध कर्म करने वाले को क्या फल मिलते हैं। 

कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष

पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 से प्रारंभ हो रहे हैं और यह 6 अक्टूबर को अमावस्या तिथि के साथ समाप्त होंगे।

कब करें किन लोगों का श्राद्ध

पूर्णिमा श्राद्ध
उन सबका श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की पूर्णिमा को हुआ हो। पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को और उसके परिवार को अच्छी बुद्धि, पुष्टि, पुत्र-पौत्रादि और ऐश्वर्य की प्राप्त होती है। 

प्रतिपदा श्राद्ध
प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध 21 सितंबर को किया जायेगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो। इसे प्रौष्ठप्रदी श्राद्ध भी कहते हैं। प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।

द्वितीया तिथि श्राद्ध
द्वितीया तिथि का श्राद्ध 22 सितंबर को किया जायेगा। इस दिन द्वितीया तिथि में उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को हर तरह के सुख-साधन मिलते हैं।

तृतीया तिथि श्राद्ध
तृतीया तिथि का श्राद्ध 23 सितंबर को किया जायेगा। तृतीया तिथि में उन लोगों को श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ हो। तृतीया तिथि में श्राद्ध करने से व्यक्ति को शत्रुओं से छुटकारा मिलता है और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 

चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 24 सितंबर को किया जायेगा। चतुर्थी तिथि में उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति को शत्रुओं से होने वाले अहित का पहले से ही ज्ञान हो जाता है। 

पंचमी तिथि का श्राद्ध
पंचमी तिथि का श्राद्ध 25 सितंबर को किया जायेगा। पंचमी तिथि को उनका श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ हो। साथ ही जिनका देहांत अविवाहित अवस्था में, यानि कि शादी से पहले ही हो गया हो, उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। इस दिन श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

षष्ठी तिथि का श्राद्ध
षष्ठी तिथि का श्राद्ध 27 सितंबर को किया जायेगा। बता दें, षष्ठी श्राद्ध दोपहर के समय किया जाता है और 26 तारीख की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट तक पंचमी तिथि रहेगी उसके बाद षष्ठी तिथि शुरू हो जायेगी जो 27 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक रहेगी, लिहाजा षष्ठी तिथि का श्राद्ध 27 सितंबर को ही किया जायेगा। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिट्ठी को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध करने वाला व्यक्ति सब जगह सम्मान पाने का हकदार होता है।

सप्तमी तिथि का श्राद्ध 
सप्तमी तिथि का श्राद्ध 28 सितंबर को किया जायेगा। सप्तमी तिथि को उन लोगों को श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को महान यज्ञों के बराबर पुण्यफल मिलता है और वह श्रेष्ठ विचारों का धनी होता है।

अष्टमी तिथि का श्राद्ध
अष्टमी तिथि का श्राद्ध 29 सितंबर को किया जायेगा। अष्टमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सम्पूर्ण समृद्धियों की प्राप्ति होती है।

नवमी तिथि का श्राद्ध
नवमी तिथि का श्राद्ध 30 सितंबर को किया जायेगा। नवमी तिथि को उनका श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ हो। साथ ही सौभाग्यवती स्त्रियों, जिनकी मृत्यु उनके पति से पूर्व ही हो गई हो, उनका श्राद्ध कर्म भी 30 सितंबर को ही किया जायेगा। इसके अलावा माता का श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है, जिसके चलते इसे मातृ नवमी
भी कहते हैं।  इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और मनचाहा दाम्पत्य सुख मिलता है। 

दशमी तिथि का श्राद्ध 
दशमी तिथि का श्राद्ध 1 अक्टूबर को किया जायेगा। दशमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को कभी लक्ष्मी की कमी नहीं होती। उसके पास धन-सम्पदा बनी रहता है।

एकादशी तिथि का श्राद्ध 
एकादशी तिथि का श्राद्ध 2 अक्टूबर को किया जायेगा। एकादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की एकादशी को हुआ हो। इस दिन श्राद्ध करना सबसे पुण्यदायक माना गया है। इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को वेदों का ज्ञान प्राप्त होता है और उसे निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

द्वादशी तिथि का श्राद्ध 
द्वादशी तिथि का श्राद्ध 30 अक्टूबर को किया जायेगा। द्वादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष पक्ष की द्वादशी को हुआ हो। साथ ही जिन लोगों ने स्वर्गवास से पहले सन्यास ले लिया हो, उन लोगों का श्राद्ध भी 30 अक्टूबर को ही किया जायेगा।  इस दिन श्राद्ध करने वाले के घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती।

त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध 4 अक्टूबर को किया जायेगा। त्रयोदशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ हो। साथ ही नवजात शिशुओं का श्राद्ध भी 4 अक्टूबर को ही किया जायेगा। इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति को श्रेष्ठ बुद्धि, संतति, धारणा शक्ति, स्वतंत्रता, दीर्घायु और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध 5 अक्टूबर को किया जायेगा। चतुर्दशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हुआ हो। साथ ही उन लोगों का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, यानि जिनकी मृत्यु किसी एक्सीडेंट या किसी शस्त्र आदि से हुई हो। इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति को किसी भी अज्ञात भय का खतरा नहीं होता है।

अमावस्या तिथि का श्राद्ध
अमावस्या तिथि का श्राद्ध 6 अक्टूबर को किया जायेगा। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की अमावस्या को हुआ हो। साथ ही मातामह, यानी नाना का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। इसमें दौहित्र, यानी बेटी का बेटा ये श्राद्ध कर सकते है। भले ही उसके नाना के पुत्र जीवित हों, लेकिन वो भी ये श्राद्ध करके उनका आशीर्वाद पा सकता है। बस श्राद्ध करने
वाले के खुद के माता-पिता जीवित होने चाहिए। इसके अलावा जुड़वाओं का श्राद्ध, तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्या का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। इसके आलावा अज्ञात तिथियों वालों का श्राद्ध, यानि जिनके स्वर्गवास की तिथि ज्ञात न हो, उन लोगों का श्राद्ध भी अमावस्या के दिन ही किया जाता है। साथ ही पितृ विसर्जन और सर्वपैत्री भी इसी दिन मनाया जायेगा और अमावस्या के श्राद्ध के साथ ही इस दिन महालया की भी समाप्ति हो जायेगी। इस श्राद्ध को करने वाला व्यक्ति अत्यंत सुख को पाता है। 

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