Thursday, April 25, 2024
Advertisement

सावन के दूसरे सोमवार: आज मिट्टी से मंत्रोंच्चारण के साथ ऐसे बनाएं शिवलिंग, साथ ही जानें पूजा विधि

sawan 2019: आज सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर हम भगवान शिव की विशेष पद्धति से पूजा के बारे में चर्चा करेंगे। जिसे पार्थिव पूजा के नाम से जाना जाता है। जानें इसकी पूरी पद्धति और पूजा विधि।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: July 29, 2019 7:14 IST
sawan 2010- India TV Hindi
sawan 2010

Sawan 2019:  आज सावन का दूसरा सोमवार है। साथ ही आज प्रदोष व्रत भी है। दरअसल, द्वादशी शाम 5 बजकर 9 मिनट तक है यानि शाम 5 बजकर 10 मिनट से त्रयोदशी तिथि का आगाज़ हो जाएगा जो कल दोपहर 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। और चूंकि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानि कि शाम के समय होती है इसीलिए प्रदोष व्रत आज ही है। और सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सोम प्रदोष कहलाता है। जो शिव के निमित्त ही किया जाता है। ऐसे में आज का दिन शिव पूजा के लिए और भी खास हो गया है। आज जो भी शिव से मांगा जाएगा, अवश्य पूरा होगा।  साथ ही आज मृगशीर्ष नक्षत्र है। 27 नक्षत्रों में मृगशीर्ष पांचवां नक्षत्र है जिसका अर्थ होता है हिरण का सिर। ये नक्षत्र शाम 6 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

यानि कुल मिलाकर आज का दिन बेहद ही विशेष है और इसी विशेष दिन पर हम आज आपको लिए शिव की आराधना की एक खास पद्धति बताएंगे। ये हम सब जानते हैं कि सावन के महीने में शिव की पूजा का खास लाभ मिलता है। कहा जाता है कि शिव ही सत्य है और शिव ही सुंदर। ऐसे में आज सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर हम भगवान शिव की विशेष पद्धति से पूजा के बारे में चर्चा करेंगे। जिसे पार्थिव पूजा के नाम से जाना जाता है। पार्थिव पूजा का बड़ा ही महत्व होता है। किसी भी राशि का जातक पार्थिव पूजा कर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त कर सकता है। आइए आपको बताते हैं कि पार्थिव पूजा है क्या।

29 जुलाई राशिफल: मिथुन राशि वाले जातक को मिलेगा उनका पुराना प्यार, जानिए इन राशियों का हाल

जानें क्या है पार्थिव पूजन

पार्थिव पूजन का मतलब है मिट्टी का शिवलिंग बनाकर, उसकी विधि-पूर्वक पूजा करना और पूजन के बाद उसे विसर्जित करना। इसे एक प्रकार की ध्यान विधि भी कहा जा सकता है। क्योंकि मिट्टी से शिवलिंग बनाने के बाद हम पूर्ण मनोयोग से उसे ही शिव मानकर उसकी उपासना करते हैं। माना जाता है कि पार्थिव पूजन से मानसिक स्थिति प्राप्त होती है और हम जीवन में आने वाली हर परिस्थति का सामना करने में सक्षम होते हैं। चलिए आपको बताते है कि पार्थिव पूजन के लिए शिवलिंग का निर्माण आप कैसे करें।

Hariyali Teej 2019: जानें कब है हरियाली तीज, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

ऐसे करें पार्थिव पूजन के लिए शिवलिंग का निर्माण

सबसे पहले किसी साफ स्थान से मिट्टी लाकर उसे छान लें और छानने के बाद उसे किसी पात्र में रख दें। फिर आपको उस मिट्टी को पानी से सान लेना है। आप चाहें तो मिट्टी सानते वक्त थोड़ा सा घी भी मिला सकते हैं। अब इस मिट्टी का पिंड बनाकर, उसके ऊपर 16 बार ‘बम्’ शब्द का उच्चारण करना चाहिए। अब आपको यहां बता दें कि शास्त्रों में ‘बम्’ को सुधाबीज यानि अमृत बीज कहा जाता है। इसका तात्पर्य ये हुआ कि जब आप ‘बम्’ का उच्चारण करेंगे तो यह मिट्टी अमृतमय हो जाएगी।

ये कार्य करने के बाद इस मिट्टी को साइड में रख दें और दूसरी मिट्टी लेकर उससे छोटे-से गणेश जी बनाएं। गणेश जी बनाने के दौरान आपको इस मंत्र का उच्चारण भी करना है- “ऊँ ह्रीं गं ग्लौं गणपतये ग्लौं गं ह्रीं” गणेश जी को पीठ पर बैठा दें। इसके बाद जो मिट्टी आपने सानकर रखी है उसे शिवलिंग का निर्माण करने के लिए लें। जब मिट्टी हाथ मे ले तो ये मंत्र पढ़ें - “ऊँ नमो हराय”

अब शिवलिंग निर्माण का कार्य शुरू करें, लेकिन आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि शिवलिंग आपके अंगूठे से बड़ा और आपके वितस्ति यानि बित्ते से छोटा होना चाहिए। इस प्रक्रिया के दौरान आपको इस मंत्र का जाप करना है। - “ऊँ नमो महेशवराय” जब शिवलिंग बन जाएं तो उसे पीठ पर रखें और ये मंत्र पढ़ें - “ऊँ नमः शूलपाणि” अब आपके पास थोड़ी सी मिट्टी बच जाएगी और उस मिट्टी से ही आपको कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनानी है साथ ही इस मंत्र का जाप करना है - “ऊँ ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः”

जब तीनों प्रतिमाएं बनकर तैयार हो जाए तो आप भगवान का आह्वाहन करें। इसके लिए आपको किस मंत्र का जाप करना है वो भी आपको हम बता रहे हैं। ये मंत्र है- “ऊँ नमः

पिनाकिने इहागच्छ इहातिष्ठ” आह्वाहन के बाद आपको शिवलिंग को स्नान कराना है। इस दौरान आप इस मंत्र का जाप करें। ये मंत्र है- “ऊँ नमः पशुपतये” इस मंत्र से स्नान कराने के बाद शतरुद्रीय मंत्रों से स्नान कराएं ।

इन सब के बाद आपको ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करते हुए पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य आदि भगवान शिव को अर्पित करना है। लेकिन ध्यान रखें आपने जितना सोचा है उतनी संख्या में “ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें और ये पहले से ही सोच लेना ज़रूरी है कि आपको कितनी बार इस मंत्र का उच्चारण करना है। इसे ही संकल्प कहते हैं। जब आपका संकल्प पूरा हो जाए तो सभी मूर्तियों को आदरपूर्वक आपको जल में विसर्जित कर देना चाहिए।

Vastu Tips: दुकान में इस दिशा में बैठना लाता है व्यापार में लाभ

sawan2019

sawan2019

ऐसे करें पूजा

अब देखिए ये तो हुई एक सामान्य पूजा, लेकिन अगर किसी विशेष मनोकामना के लिए आप पार्थिव पूजा करना चाहते है तो आपको किस विधि से पूजा करनी चाहिए, ताकि आपको शुभ फल प्राप्त हो वो भी आपको हम बता देते हैं। धूप दीप, नैवेद्य दिये जाने के बाद की पूजा आवरण पूजा कहलाती है।

आवरण पूजा में विग्रह की पूर्व दिशा में पूजा करके मंत्र पढ़ना चाहिए। ये मंत्र है - पूर्वे ऊं शर्वाय क्षितिमूर्तये नमः इसके बाद ईशान दिशा में पूजा करें और मंत्र पढ़ें - “ऐशानये ऊँ भवाय जलमूर्तये नमः” अब आपको उत्तर दिशा में पूजा करने के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करना है - “ऊँ रुद्राये
तेजोमूर्तये नमः” इसी प्रकार उत्तर-पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए- वायव्ये ऊं उग्राय वायुमूर्तये नमः इसके बाद पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और मंत्र पढ़ना चाहिए- पश्चिमे ऊं भीमाकाशमूर्तये नमः। फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए - “नैऋत्ये ऊँ पशुपतये
यजमानमूर्तये नमः”। इसके बाद दक्षिण दिशा की पूजा करने के दौरान आप इस मंत्र का जाप करें - “दक्षिणे ऊँ महादेवाय चंद्रमूर्तये नमः” और आखिर में दक्षिण-पूर्व दिशा में पूजा करें और इस मंत्र का उच्चारण करें - “आग्नेये ऊँ ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः”।

इसी तरह विग्रह की आठों दिशाओं में देवाधिदेव महादेव की अष्टमूर्तियों की पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद इंद्र आदि दस दिक्पालों और उनके वज्र आदि आयुधों की पूजा भी करनी होती है। जिसके उपरांत तीन बार प्रदक्षिणा करनी चाहिए। प्रदक्षिणा के बाद “ऊँ नमः शिवाय” इस षडक्षर मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए। इसके उपरांत “ऊँ नमो महादेवाय” इस मंत्र से विसर्जन करना चाहिए। फिर श्री गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है इस दौरान दोनों से संबंधित मंत्रों का उच्चारण ज़रूर करना चाहिए।

आपको बता दूं कि अगर इस तरीके से एक लाख पार्थिव लिंगों की पूजा की जाए तो मनुष्य इसी लोक में मुक्ति का भागी हो जाता है, लेकिन आज के दौर में इतनी संख्या में पूजन करना संभव नहीं है। अतः आप केवल एक लिंग का निर्माण करके भी बतायी गयी इस विधि के मुताबिक पूजा करते हैं तो भगवान शिव ज़रूर प्रसन्न होंगे और आपकी हर मनोकामना ज़रूर पूरी करेंगे। वहीं इस बात का खास ध्यान भी रखें कि शिवलिंग की पूजा के बाद दस द्रव्यों से दशांश होम करना भी ज़रूरी माना गया है। ये दस द्रव्य हैं - बेलफल, तिल, खीर, घी, दूध, दही, दूर्वा, वट की समिधा, पलाश की समिधा एवं खैर की समिधा।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement