Saturday, April 20, 2024
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Akshaya Tritiya 2022: 3 मई को है अक्षय तृतीया, जानिए सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सहित पूजा विधि और महत्व के बारें में।

Sushma Kumari Edited by: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated on: April 28, 2022 20:00 IST
Akshaya Tritiya 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Akshaya Tritiya 2022

Highlights

  • इस बार अक्षय तृतीया 3 मई को पड़ रही है।
  • इस तिथि को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है।

Akshaya Tritiya 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया  मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 3 मई को पड़ रही है। इस तिथि को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसका अधिक महत्व होता है। अक्षय तृतीया के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन चन्दन से श्री विष्णु भगवान की पूजा की जाती है।  ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है और परिवार में सबके बीच आपसी सामंजस्य बना रहता है। लिहाजा अगर आप भी अपने जीवन में खुशहाली और परिवार में सबके बीच आपसी सामंजस्य बनाये रखना चाहते हैं, तो इस दिन स्नान आदि के बाद, साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके आपको भगवान विष्णु की विधिपूर्वक चन्दन से पूजा करनी चाहिए। 

आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सहित पूजा विधि और महत्व के बारें में।

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अक्षय तृतीया 2022 पूजा मुहूर्त

  • अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
  • तृतीया तिथि प्रारम्भ- 3 मई 2021 सुबह 5 बजकर 38 मिनट से 
  • तृतीया तिथि समाप्त: 4 मई सुबह 7 बजकर 59 मिनट तक

सोना खरीदने का मुहूर्त

3 मई सुबह  5 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर  4 मई सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक।

अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी की खरीदारी करना होता है शुभ

अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी खरीदने की भी परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोना-चांदी खरीदकर घर लाने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है साथ ही घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन आप वाहन या मकान जैसी चीजों की भी खरीदारी कर सकते हैं। 

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पूजा विधि

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें। उसके बाद श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाएं।
  • इस बात का ध्यान रखें कि पूजा शांति पूर्वक ही करें।
  • अब श्वेत कमल के फूल या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती, चन्दन आदि से पूजा करें।
  • फिर नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि चढ़ाएं।
  • अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं साथ ही उनका आशीर्वाद लें।
  • इस दिन फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि का दान करें। ऐसा करना पुण्यकारी माना जाता है।
  • अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल और सफेद गुलाब या पीले गुलाब से ही करना चाहिए। 

''सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने। दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥' यानी की सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है।

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया का दिन सालभर की शुभ तिथियों की श्रेणी में आता है। इस दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षयों फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है। लिहाजा इस दिन जो भी शुभ कार्य, पूजा पाठ या दान-पुण्य आदि किया जाता है, वो सब अक्षय हो जाता है। 

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