Saturday, May 04, 2024
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MP Chunav Results 2023: बीजेपी के लिए क्या गेमचेंजर बनी शिवराज की ये बड़ी घोषणा, जानिए जीत दिलाते 5 बड़े फैक्टर

आखिरकार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी का 'कमल' खिल गया। कांग्रेस की तमाम मशक्कतों के बावजूद रुझानों में बीजेपी को स्पष्ट यानी प्रचंड बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। जानिए वो 5 बड़े फैक्टर, जिन्होंने बीजेपी को सूबे का सिरमौर बना दिया। इनमें से एक फैक्टर तो 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हुआ।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: December 03, 2023 11:30 IST
बीजेपी की विजय में क्या गेमचेंजर साबित हुई शिवराज की ये बड़ी घोषणा- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV बीजेपी की विजय में क्या गेमचेंजर साबित हुई शिवराज की ये बड़ी घोषणा

MP Chunav Results 2023: मध्यप्रदेश में एक बार​ फिर 'कमल' खिलने जा रहा है। रुझानों में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिल चुका है। कुछ महीने पहले यह कहा जा रहा था कि इस बार बीजेपी के लिए चुनावी रण में जीत का सेहरा बंध पाना काफी मुश्किल लग रहा है। एंटी इंकंबेंसी के साथ ही कई फैक्टर इसके साथ जोड़े जा रहे थे, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने रातोंरात बीजेपी को न सिर्फ चुनावी दौड़ में वापस ला दिया, बल्कि विधानसभा चुनाव में  प्रचंड बहुमत से जीत भी दिला दी? जानिए 5 बड़े फैक्टर जिसने बीजेपी को जीत का सेहरा बंधाया है।

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार भी पूरी तरह से जीत के लिए जोर लगा दिया। बीजेपी ने युवाओं और पुराने कद्दावर नेताओं को बराबर तरजीह देते हुए चुनावी मैदान में उतारा। हालांकि इस बार कांग्रेस भी अपनी ओर से पूरी तरह से चुनावी कमर कसे हुए थी। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की 'जय वीरू' की जोड़ी ने इस बार भी चुनावी रणनीति को अपने अनुभव से अंजाम दिया। इस उम्मीद के साथ ही कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की एक बार फिर सरकार बनेगी और 2019 में जो क्लियर मैंडेट नहीं मिल पाया था, वो इस बार एमपी की जनता देगी। लेकिन कुछ महीने पहले शिवराज सिंह चौहान ने ऐसी 'गुगली' फेंकी, जिसने कांग्रेस को चुनाव में 'आउट' कर दिया। 

जानिए जीत के क्या रहे 5 बड़े फैक्टर? क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

1. शिवराज सिंह चौहान की ये बड़ी घोषणा बनी गेंमचेंजर

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ महीने पहले एक बड़ी घोषण की, वो थी लाड़ली बहना योजना स्कीम। यदि हम कहें कि इस स्कीम ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में सबसे बड़ी भूमिका निभाई, तो गलत नहीं होगा। कई राजनीतिक विश्लेषक यह कह रहे हैं कि लाड़ली बहना योजना स्कीम बीजेपी के लिए 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हुई।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के वरिष्ठ विश्लेषक हेमंत पाल ने इंडिया टीवी डिजिटल को बताया कि बीजेपी के पास चुनाव जीतने का कोई बड़ा मुद्दा नहीं था। लेकिन लाड़ली बहना योजना ने बीजेपी को न सिर्फ संभाल लिया, बल्कि चुनाव में जीत भी दिला दी। क्योंकि बीजेपी को जब ये लगा था कि ये हार जाएंगे, तो शिवराज सिंह चौहान ने एक समारोह में घुटनों के बल बैठकर इस योजना की घोषणा की। इसमें बीजेपी ने स्पष्ट प्रदेश की 1.5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को पहले 1000 रुपए फिर 1250 रुपए प्रतिमाह देना शुरू किया।  बीजेपी ने तो यह भी कहा कि हम जीते तो इसे 3 हजार रुपए प्रतिमाह तक ले जाएंगे। यही नहीं, लाड़ली बहनाओं को घर भी देंगे। क्योंकि महिलाओं को फायदा होना, मतलब पूरे परिवार को फायदा होना माना जाता है। इस योजना ने एक परिवार के जो औसतन 5 वोट माने जाते हैं, वो बीजेपी के बढ़ा दिए। इसका फायदा पूरो एमपी को मिला है। इससे पहले इंटेलिजेंस की जो रिपोट थी, वो बीजेपी की जीत से पूरी तरह अलग थी। लेकिन बीजेपी को इस योजना ने जीत दिलाने में अहम रोल निभाया है।

https://www.indiatv.in/elections/madhya-pradesh-assembly-elections

2. फिर चला पीएम मोदी का जादू 

पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में भी धुआंधार जनसभाएं कीं। आदिवासी अंचल झाबुआ, आलीराजपुर, मालवा निमाड़ जहां इस बार कांग्रेस को बड़ी सीटें मिलने के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा था। वहां नरेंद्र मोदी की जनसभाओं ने मतदाताओं को काफी प्रभावित किया। खुद बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय यह मानते हैं कि पिछले बार यानी 2018 में कोविड की वजह से मालवा अंचल में पीएम मोदी की रैलियां और जनसभाएं नहीं हो पाई थीं, जिससे बीजेपी को नु​कसान उठाना पड़ा था। इस बार मालवा निमाड़ के बीजेपी को पीएम मोदी की रैली और जनसभा का काफी लाभ मिला।

3. यूथ को कनेक्ट नहीं कर पाई कांग्रेस

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि कमलनाथ की लीडरशिप यूथ को अट्रैक्ट नहीं करती है। कमलनाथ ने इस बार भी यूथ लीडर को आगे नहीं आने दिया। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने युवाओं को जोड़ने की बजाय परंपरावादी रणनीति से चुनाव में जीतने की योजना बनाई। चूंकि दोनों वृद्ध और अ​ति वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए युवाओं की नब्ज को वह नहीं पकड़ पाए। इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा और बीजेपी को सीधा सीधा लाभ मिल गया। 

4. कमलनाथ की रणनीति पर भारी बीजेपी का ये मुद्दा

 
कांग्रेस ​हर राज्य में अलग अलग रणनीति के साथ आगे बढ़ती है। किसी राज्य में मुस्लिम वोट को लुभाती है, तो किसी राज्य में वो 'धार्मिक' आधार पर वोट मांगने की रणनीति अपनाती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि कमलनाथ भगवान हनुमान के परमभक्त हैं। लेकिन वे सिर्फ चुनाव के वक्त 'हनुमान' फैक्टर पर जोर देते हैं। वहीं मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण वे पिछले चुनाव में आलोचनाओं का शिकार हो गए थे। एक वायरल ​वीडियो में साफ दिख रहा था कि वे मुस्लिम वोटों को पाने के लिए क्या बातें कर रहे थे। वहीं बीजेपी की रणनीति हर राज्य में  एक जैसी रही है। अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण का वादा, जो पूरा हो रहा है, वो फैक्टर भी कहीं न कहीं बीजेपी को लाभ दे गया।

5. बूथ लेवल पर भारी पड़ा बीजेपी के कार्यकर्ताओं का जज्बा

बीजेपी साल 2003 से मध्यप्रदेश की सत्ता में है। वहीं कांग्रेस यदि 2019 से 15 महीने छोड़ दें, तो 2003 से ही सत्ता से बाहर है। ऐसे में ​जाहिर है कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जोश, उत्साह चरम पर रहेगा ही। बीजेपी के कार्यकर्ता हर विकासखंड, जिले और ग्राम स्तर पर उत्साह के साथ काम करते दिखाई देते हैं। इस चुनाव में भी यही दिखाई दिया। भूपेंद्र यादव के साथ बीजेपी के मध्यप्रदेश चुनाव प्रभारी बनाए गए अश्विनी वैष्णव ने खुद कहा कि बूथ लेवल पर हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत और उनके जज्बे की वजह से ही हम चुनाव जीतेंगे। इस बार बीजेपी की जीत में कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या और उनका उत्साह कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर भारी दिखाई दे रहा है। लगातार डेढ़ दशक से भी अधिक समय तक एमपी में सत्ता से बाहर रही कांग्रेस के कार्यकर्ता हताशा में ही रहे हैं, जिन्हें कमजोर केंद्रीय राजनीतिक नेतृत्व की वजह से भी कोई भरोसा नहीं मिल पाया। 

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