Highlights
- एक साल के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पेट्रोल गाड़ियों के बराबर होगी : गडकरी
- इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना पेट्रोल वाहनों के मुकाबले दोगुने से अधिक महंगा पड़ता है
- वर्तमान में बैटरी की ऊंची लागत के कारण इलेक्ट्रिक वाहन महंगे हैं
मौजूदा वक्त में देश इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में कदम रख रहा है। इलेक्ट्रिक कार से लेकर स्कूटर और बाइक धड़ाधड़ लॉन्च हो रहे हैं, वहीं सरकार भी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर फोकस कर रही है। लेकिन अभी भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने में सबसे बड़ी हिचक कीमत को लेकर है। आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना पेट्रोल वाहनों के मुकाबले दोगुने से अधिक महंगा पड़ता है। लेकिन जल्द ही स्थिति बदलने वाली है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की मानें तो एक साल के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की कीमत पेट्रोल गाड़ियों की लागत के बराबर होगी। यदि ऐसा होता है तो आपको जल्द ही स्विफ्ट या फिर टिआगो जैसी कारों की रेंज में ही इलेक्ट्रिक कारें खरीदने को मिल जाएंगी। फिलहाल सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक एसयूवी टाटा नेक्सन है,जिसकी दाम करीब 16 लाख हैं।
कैसे घटेंगे दाम
नितिन गडकरी के मुताबिक वर्तमान में बैटरी की ऊंची लागत के कारण इलेक्ट्रिक वाहन महंगे हैं। इसकी हिस्सेदारी वाहन कीमत में 35 से 40 प्रतिशत है। भारत सरकार देश में लीथियम आयन बैटरी के निर्माण के साथ सस्ते विकल्प तलाशने पर फोकस कर रही है। इसके अलावा सरकार व्यापक स्तर पर ग्रीन फ्यूल को बढ़ावा दे रही है।
पेट्रोल-डीजल के रेट में भी कमी आएगी
गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार पेट्रोल और डीजल के बजाए फसल अवशेषों से एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। हम एथेनॉल ब्लेंडिंग की डेडलाइन के मुकाबले पहले ही लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल के बजाय फसल से बचने वाले अवशेष से एथनॉल का प्रोडक्शन करने पर जोर दे रही है। इससे आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल के रेट में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि हम पेट्रोल, डीजल आदि पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा को बचा सकेंगे।गडकरी ने कहा कि जलमार्ग सड़क के मुकाबले परिवहन का सस्ता माध्यम है और इस पर तेजी से काम हो रहा है